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चित्रकूट में जानकीकुंड

16 जनवरी 2024

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जानकीकुंड ********

रामघाट से 2 किलोमीटर मंदाकिनी नदी के किनारे (जनक सुता होने के कारण सीता जी को जानकी भी कहा गया है) मान्यता है सीता जी यहां स्नान करती थी ।जानकी कुंड में रामभद्राचार्य जी जो तुलसी पीठ के मठाधीश हैं का  निर्मित कराया कांच का मंदिर है जिसमे राम सीता लक्ष्मण व हनुमान जी की प्रतिमा है । नीचे जानकी कुंड है ।
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यहाँ काँच के मन्दिर के पीछे नीचे की ओर मंदाकिनी की धार बहुत ही साफ शान्त है इस स्थान को मानो प्रकृति ने फुर्सत मे रुचि-रुचि कर अपने हाथ से गढ़ा है ।रामघाट मे मंदाकिनी गहरी होने के कारण व नीचे मटियारी होने से मैं अपने छोटे बच्चो के साथ यहीं स्नान को आती हूं । बड़ों के कमर तक जल रहता है गरमी मे जलस्तर और नीचे हो जाता है ।नीचे कंकर पत्थर होने के कारण बिल्कुल पारदर्शी दिखता है बच्चे बहुत खुश होते हैं । 

यहां पर पर्यटन विभाग की तरफ से  पानी रोककर 2 कृत्रिम 3 फुट ऊंचाई के लगभग जलप्रपात जैसा आकार दिया गया है श्रद्धालु इन्ही के ऊपर या नीचे बैठकर स्नान करते हैं ।सामने रणछोड़ दास जी महाराज जानकीकुंड नेत्र चिकित्सालय है जहां पर हजारों नेत्र आप्रेशन निःशुल्क किये जाते हैं ।ये मुम्बई के मफतलाल गुजराती ग्रुप का है । जहां हरेक प्रान्त से लोग शल्य चिकित्सा हेतु आते हैं ।

आगे चलकर पंजाबी भगवान का हनुमान जी का मंदिर है । रघुवीर मंदिर रणछोड़ दास जी के द्वारा स्थापित श्री राम मां जानकी लक्ष्मण जी की मूर्ति हैं इन्होंने संस्कृत विद्यालय की स्थापना के साथ रघुवीर मंदिर ट्रस्ट की स्थापना की थी ।

आगे फलाहारी भगवान का आश्रम है ऐसी मान्यता है कि पहले यहां पर रहने वाले संत केवल फलाहार खा कर के ही निर्वाह करते थे इसी से यहां का नाम फलाहारी आश्रम पड़ा हुआ है। इसी के आगे चलते हुए आरोग्यधाम टाटा मेमोरियल वालों का आयुर्वेदिक चिकित्सालय व दंत चिकित्सालय  बनाया गया है । नानाजी देशमुख द्वारा स्थापित दीनदयाल शोध संस्थान आयुर्वेदिक केन्द्र है । 

स्फटिक शिला ********
यह जानकीकुंड से डेढ़ 2 किलोमीटर की दूरी पर है मानस में इसका जिक्र है फटिक सिला बैठे दोउ भाई 
यहां बैठकर राम सीता जी चित्रकूट की सुंदरता का अवलोकन करते थे उनके चरणों के चिन्ह आज भी अंकित हैं इसी शिला पर बैठी माता सीता को इंद्र पुत्र जयंत ने काक रूप धारण कर उन्हें चोंच मारी थी । 
एक बार चुनि कुसुम सुहाये निजकर भूषन राम बनाए ।(अरण्यकांड )
सीता चरण चोंच हतिभागा मूढ़ मन्दमति कारन कागा । (अरण्यकाण्ड )

मां सीता के पैर से रक्त की धार बहने लगी तब भगवान राम ने एक तिनका मे वाण अनुसंधान कर मारा जयंत सब जगह बचने के लिए भागने लगा पर कोई ने शरण न दी तब नारद जी ने श्रीराम जी के पास माफी मांगने की सलाह दी ।

नारद देखा विकल जयंता ,
लागि दया कोमल चित संता ।(अरण्य) 

तब भगवान ने माफ कर सजा के रूप में उसकी एक आंख फोड दी ।तभी से ऐसा माना जाता है कि कौआ एक आंख के (काने ) होते हैं ।

                 


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रचनाएँ
पावन चित्रकूट
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प्रस्तावित पुस्तक में मैने अपनी भावी पीढ़ी को कहानी के माध्यम से ऐतिहासिक ,धार्मिक स्थल चित्रकूट के बारे में जानकारी देते हुए अपनी संस्कृति से परिचित कराने का छोटा सा प्रयास किया है ।आपको यह कोशिश कैसी लगी समीक्षा देकर अपने विचार अवश्य बतायें। चित्रकूट भारत के सबसे प्रसिद्ध प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक है । आइये पुस्तक में अवलोकन करते हैं परम पावन रमणीय चित्रकूट के दर्शनीय स्थलों का । " जय श्रीराम"
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महिमा चित्रकूट की (1)

11 जनवरी 2024
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दादी जी दादी जी!! "आज आप हमें चित्रकूट के बारे में अच्छे से जानना चाहते हैं वहां ऐसी क्या विशेषता थी कि भगवान राम जी ने अपने 14 वर्ष के वनवास काल के 12 वर्ष वहीं बिताये"?जरूर कृष्णा बेटा आज तुम स

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दर्शनीय स्थल (2)

11 जनवरी 2024
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इसी चित्रकूट में श्री रामचंद्र जी ने माता पिता द्वारा दिये गये 14 वर्ष के वनवास में 12 वर्ष यहीं गुजारे थे।महर्षि अत्रि व पत्नी अनुसूया की यह पवित्र तपोस्थली थी । यह धर्म की नगरी कही जाती

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पावन पवित्र स्थल

12 जनवरी 2024
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मन्दाकिनी नदीनदी के विहंगम दृश्यों पर नजर डालने से यहां के घाट बनारस की याद ताजा कर जाते हैं । यहां शाम को बनारस की ही तरह आरती और कीर्तन होते है ।दीपावली अमावस की काली रात मे प्रज्वलित दी

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प्रमुख और रमणीय स्थल

12 जनवरी 2024
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मुख्य देव कामदगिरि *****कामद गिरि की विशेषता है कि यह हर ओर से देखने मे धनुषाकार ही दिखता है।यह चित्रकूट का सबसे प्रमुख स्थान है ।इसका कामदगिरि के नाम से संरक्षण ट्रस्ट भी है । यह भगवान के

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चित्रकूट में भरत-लक्ष्मण

12 जनवरी 2024
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भरत मिलाप *********बच्चो रामचन्द्र जी पिता की आज्ञा मानकर 14 वर्ष को पत्नी सीता व भाई लक्ष्मण के साथ वन को चले जाते अयोध्या में कैकेयी पुत्र भरत व सुमित्रा नन्दन शत्रुघ्न लौटकर

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चित्रकूट में जानकीकुंड

16 जनवरी 2024
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जानकीकुंड ********रामघाट से 2 किलोमीटर मंदाकिनी नदी के किनारे (जनक सुता होने के कारण सीता जी को जानकी भी कहा गया है) मान्यता है सीता जी यहां स्नान करती थी ।जानकी कुंड में रामभद्राचार्य जी जो तुलसी पीठ

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अनुसूया आश्रम व गुप्त गोदावरी

16 जनवरी 2024
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ये दोनो स्थान चित्रकूट के चारधाम के अन्तर्गत आते है ।अनुसूया आश्रमजानकीकुंड से 14 किलोमीटर की दूरी पर घने जंगलों से घिरा यह स्थान है । पहले बहुत निर्जन होने के कारण यहां पर लोग अकेले नहीं जाते थे । यह

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संकर्षण गिरि में हनुमानधारा

16 जनवरी 2024
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कामदगिरि के पूर्व दिशा में एक संकर्षण गिरि है ।इसी पहाड़ी के शिखर पर स्थित हनुमान धारा में पहाड़ के सहारे टिकी हनुमान जी की विशाल मूर्ति है मूर्ति के ठीक ऊपर पहाड़ मे 2 कुंड हैं जिनका जल मूर्ति क

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चित्रकूट भरत कूप

18 जनवरी 2024
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भरतकूप*******भरत जी जब रामचंद्र जी को मनाने अयोध्या से चित्रकूट आए थे तब उन्होने रामचंद्र जी के राज्याभिषेक के लिए साथ में सभी तीर्थों का जल ले लिया था लेकिन प्रभु पित्राज्ञा से 14 वर्ष के

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मड़फा आश्रम, सुतीक्ष्ण व सरभंग आश्रम

18 जनवरी 2024
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मड़फा पहाड़********भरतकूप क्षेत्र में बीहड़ जंगल में लगभग ढाई सौ मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित मरपा पहाड़ है इसी पहाड़ पर मांडव ऋषि का आश्रम था जिसके कारण इसका मांडव ऋषि का अपभ्रंश रूप होकर मड़फा पहाड़ के

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बाल्मीकि आश्रम

21 जनवरी 2024
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रामदर्शन ********यह सतना चित्रकूट मार्ग पर आरोग्यधाम के आगे रास्ते मे है ।यह एक संग्रहालय है यहां राम जी व रामायण काल से सम्बंधित वस्तुये है ।एक चित्रगैलरी मे बिजलीचालित रामायण कथा दिखाई जाती है । यहा

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शबरी प्रपात

21 जनवरी 2024
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बांके सिद्ध आश्रम *******बांके सिद्ध अनसूया जी के भाई सांख्य दर्शन के प्रणेता कपिल मुनि का स्थान कहा जाता है । इस गुफा में लगभग 15- 20000 वर्ष पहले के प्राकृतिक शैल भित्ति चित्र हैं जो प्रशासन क

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