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दर्शनीय स्थल (2)

11 जनवरी 2024

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इसी चित्रकूट में श्री रामचंद्र जी ने माता पिता द्वारा दिये गये  14 वर्ष के वनवास में 12 वर्ष  यहीं गुजारे थे।
महर्षि अत्रि व पत्नी अनुसूया की यह पवित्र तपोस्थली थी । यह धर्म की नगरी कही जाती है। संत शिरोमणि तुलसीदास जी ने में रामचरितमानस में चित्रकूट का बहुत ही मनोहारी व विशद वर्णन किया है ।अपने 14 वर्ष के वनवास में जब श्री रामचंद्र जी बाल्मीकि जी के आश्रम में जाकर उनसे  अपने निवास  स्थान के लिए पूछा तो फिर बाल्मीकि जी ने कहा ,
चित्रकूट गिरि करहु  निवासू ,तहँ तुम्हार सब भांति सुपासू ।।
चित्रकूट महिमा अमित कहीं महामुनि गाइ । 

संत शिरोमणि तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में बहुत ही अच्छा वर्णन किया है । चित्रकूट में बहुत से घूमने के स्थल हैं । रामचंद्र जी के वहां पर 12 वर्ष रहने के कारण चित्रकूट का कण-कण एक परम पावन पवित्र भूमि बन गया है।प्रकृति ने प्रभु राम जी के आगमन की खुशी मे चित्रकूट को दोनो हाथो से प्राकृतिक सम्पदा वारी है।
मान्यतानुसार यहां जो प्राण त्यागेगा सीधे बैकुंठ जाएगा ।वैष्णव, शैव्य, शक्ति तीनों के उपासको ने अपनी तपस्थली बनाई है। तीनो के आराध्य देव भी विराजमान हो अपने साधकों को आध्यात्मिक विभुतियो से कृतकृत्य करते हैं ।

चित्रकूट धाम कर्वी के नाम से उत्तर प्रदेश मे मंडल है यह उसी में स्थित है। यह इलाहाबाद से 120 किलोमीटर है कर्वी से मात्र 8 किलोमीटर है यह विंध्य पर्वत श्रंखला में आता है यहां पर कामदगिरि पर्वत है । पयस्वनी मंदाकिनी के नाम से गंगा है ।अनेक मनोरम घाट वा मंदिर हैं ।यहां पर अनेकों संप्रदायों के मठ और अखाड़े हैं। यहां पर एक तुलसी पीठ भी बनाया गया है जिसके श्री रामभद्राचार्य जी पीठाधीश्वर हैं ।
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रामघाट ,राघव घाट व भरत घाट  है।
चित्रकूट की यात्रा में हम सबसे पहले चलते हैं रामघाट ।कर्वी रेलवे-स्टेशन व बसस्टैड से रामघाट को बस, टेम्पो,टैक्सी ई रिक्सा जैसे साधन आसानी से उपलब्ध हो जाते है मात्र 8-10 किलोमीटर की दूरी है । 

राम घाट********
राघव घाट के उत्तर दिशा के घाट को रामघाट कहते हैं । इसी रामघाट मे श्री राम जी स्नान करते थे ।
आइ नहाए सरित बर सिय समेत दोउ भाइ । (रामचरितमानस)
तुलसीदास जी ने हनुमान जी की प्रेरणा से यहीं पर रामचंद्र जी के साक्षात दर्शन किये थे लेकिन तुलसीदास जी उनको पहचान नहीं पा रहे थे तब हनुमान जी ने तोता का स्वरूप धारण कर उनको ये  दोहा पढ़ते हुए पहचान बताई थी ।
चित्रकूट के घाट में भई संतन की भीर। तुलसीदास चंदन घिसे तिलक देत रघुवीर 

घाट मे शुकरूपी हनुमान जी की प्रतिमा बनी हुयी 
है ।

राघव घाट*****
इस घाट में महापुरुष श्री रामचंद्र जी ने अपने पिता दशरथ जी का तर्पण कर पिंडदान किया था ।  । जो पुण्य श्राद्ध संस्कार का फल्गु नदी गया बिहार में मिलता है वही राघव घाट में किए पिंडदान का फल मिलता है । यह रामघाट का दक्षिणी सिरा है और चार दिव्य नदियों का संगम है । सीता मां के अंश से उत्पन्न गायत्री गंगा, वहां पर किसी समय कामदगिरि पर्वत के  ब्रह्मकुंड स्थान से निकली सरयू ,सतना जिले के वरौधा के पास, उद्गम स्थल दूध सदृश जलवाली मां पयस्वनी व अत्रि आश्रम से मन्दाकिनी के नाम से आई गंगा का संगम स्थल था । पिंड दान करने के कारण और 4 नदियां मिलने के कारण ही इसे राघव प्रयाग नाम मिला था । अब केवल मंदाकिनी धारा ही शेष बची है ।

भरत घाट *****
मान्यतानुसार यहां भरत जी जब राम को मनाने आये थे तब सभी गुरुजनो व भरत जी ने यहीं पर स्नान किया था ।तीनो घाट पास-पास अगल-बगल हैं ।   
        जय श्रीराम। 
मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बहुत सुंदर लिखा है आपने 👌 आप मेरी कहानी पर अपनी समीक्षा जरूर दें 🙏🙏

11 जनवरी 2024

Dr.Vijay Laxmi

Dr.Vijay Laxmi

11 जनवरी 2024

बहुत-बहुत आभार मीनू जी । मैं अभी ही देख रही।

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रचनाएँ
पावन चित्रकूट
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प्रस्तावित पुस्तक में मैने अपनी भावी पीढ़ी को कहानी के माध्यम से ऐतिहासिक ,धार्मिक स्थल चित्रकूट के बारे में जानकारी देते हुए अपनी संस्कृति से परिचित कराने का छोटा सा प्रयास किया है ।आपको यह कोशिश कैसी लगी समीक्षा देकर अपने विचार अवश्य बतायें। चित्रकूट भारत के सबसे प्रसिद्ध प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक है । आइये पुस्तक में अवलोकन करते हैं परम पावन रमणीय चित्रकूट के दर्शनीय स्थलों का । " जय श्रीराम"
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महिमा चित्रकूट की (1)

11 जनवरी 2024
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दादी जी दादी जी!! "आज आप हमें चित्रकूट के बारे में अच्छे से जानना चाहते हैं वहां ऐसी क्या विशेषता थी कि भगवान राम जी ने अपने 14 वर्ष के वनवास काल के 12 वर्ष वहीं बिताये"?जरूर कृष्णा बेटा आज तुम स

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दर्शनीय स्थल (2)

11 जनवरी 2024
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इसी चित्रकूट में श्री रामचंद्र जी ने माता पिता द्वारा दिये गये 14 वर्ष के वनवास में 12 वर्ष यहीं गुजारे थे।महर्षि अत्रि व पत्नी अनुसूया की यह पवित्र तपोस्थली थी । यह धर्म की नगरी कही जाती

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पावन पवित्र स्थल

12 जनवरी 2024
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मन्दाकिनी नदीनदी के विहंगम दृश्यों पर नजर डालने से यहां के घाट बनारस की याद ताजा कर जाते हैं । यहां शाम को बनारस की ही तरह आरती और कीर्तन होते है ।दीपावली अमावस की काली रात मे प्रज्वलित दी

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प्रमुख और रमणीय स्थल

12 जनवरी 2024
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मुख्य देव कामदगिरि *****कामद गिरि की विशेषता है कि यह हर ओर से देखने मे धनुषाकार ही दिखता है।यह चित्रकूट का सबसे प्रमुख स्थान है ।इसका कामदगिरि के नाम से संरक्षण ट्रस्ट भी है । यह भगवान के

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चित्रकूट में भरत-लक्ष्मण

12 जनवरी 2024
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भरत मिलाप *********बच्चो रामचन्द्र जी पिता की आज्ञा मानकर 14 वर्ष को पत्नी सीता व भाई लक्ष्मण के साथ वन को चले जाते अयोध्या में कैकेयी पुत्र भरत व सुमित्रा नन्दन शत्रुघ्न लौटकर

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चित्रकूट में जानकीकुंड

16 जनवरी 2024
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जानकीकुंड ********रामघाट से 2 किलोमीटर मंदाकिनी नदी के किनारे (जनक सुता होने के कारण सीता जी को जानकी भी कहा गया है) मान्यता है सीता जी यहां स्नान करती थी ।जानकी कुंड में रामभद्राचार्य जी जो तुलसी पीठ

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अनुसूया आश्रम व गुप्त गोदावरी

16 जनवरी 2024
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ये दोनो स्थान चित्रकूट के चारधाम के अन्तर्गत आते है ।अनुसूया आश्रमजानकीकुंड से 14 किलोमीटर की दूरी पर घने जंगलों से घिरा यह स्थान है । पहले बहुत निर्जन होने के कारण यहां पर लोग अकेले नहीं जाते थे । यह

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संकर्षण गिरि में हनुमानधारा

16 जनवरी 2024
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कामदगिरि के पूर्व दिशा में एक संकर्षण गिरि है ।इसी पहाड़ी के शिखर पर स्थित हनुमान धारा में पहाड़ के सहारे टिकी हनुमान जी की विशाल मूर्ति है मूर्ति के ठीक ऊपर पहाड़ मे 2 कुंड हैं जिनका जल मूर्ति क

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चित्रकूट भरत कूप

18 जनवरी 2024
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भरतकूप*******भरत जी जब रामचंद्र जी को मनाने अयोध्या से चित्रकूट आए थे तब उन्होने रामचंद्र जी के राज्याभिषेक के लिए साथ में सभी तीर्थों का जल ले लिया था लेकिन प्रभु पित्राज्ञा से 14 वर्ष के

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मड़फा आश्रम, सुतीक्ष्ण व सरभंग आश्रम

18 जनवरी 2024
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मड़फा पहाड़********भरतकूप क्षेत्र में बीहड़ जंगल में लगभग ढाई सौ मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित मरपा पहाड़ है इसी पहाड़ पर मांडव ऋषि का आश्रम था जिसके कारण इसका मांडव ऋषि का अपभ्रंश रूप होकर मड़फा पहाड़ के

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बाल्मीकि आश्रम

21 जनवरी 2024
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रामदर्शन ********यह सतना चित्रकूट मार्ग पर आरोग्यधाम के आगे रास्ते मे है ।यह एक संग्रहालय है यहां राम जी व रामायण काल से सम्बंधित वस्तुये है ।एक चित्रगैलरी मे बिजलीचालित रामायण कथा दिखाई जाती है । यहा

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शबरी प्रपात

21 जनवरी 2024
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बांके सिद्ध आश्रम *******बांके सिद्ध अनसूया जी के भाई सांख्य दर्शन के प्रणेता कपिल मुनि का स्थान कहा जाता है । इस गुफा में लगभग 15- 20000 वर्ष पहले के प्राकृतिक शैल भित्ति चित्र हैं जो प्रशासन क

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