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पावन पवित्र स्थल

12 जनवरी 2024

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मन्दाकिनी नदी

नदी के  विहंगम दृश्यों पर नजर डालने से यहां के घाट बनारस की याद ताजा कर जाते हैं । यहां शाम को बनारस की ही तरह आरती और कीर्तन होते है ।दीपावली  अमावस की काली रात मे प्रज्वलित दीपों से मन्दाकिनी के रामघाट की शोभा अमरपुरी सदृश अलौकिक मनोहारी होती है ।
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मंदाकिनी नदी की महिमा *****

मंदाकिनी बहुत ही पवित्र नदी है और इसको गंगा का ही रूप माना गया है 

"सब सर सिंधु नदी नद नाना मंदाकिन कर करहिं बखाना ।
उदय अस्त गिरि अरु कैलासू मंदर मेरु रस सकल सुर बासू "।

इसकी महिमा का वर्णन सभी समुद्र, नदियां ,तालाब सभी मंदाकिनी की महिमा का यशगान करते हैं ।

"सुरसरि सरित नाम मंदाकिनि।
सो सब पातक पोतक डाकिनि "।।

ये मंदाकिनी ऐसी डाकिनी के समान है जो सभी पापों की संतान को खा डालती है इसमे स्नान करन से पाप समूल नष्ट हो जाते है । यहाँ पर नौकायन का आनन्द भी लेते हैं। चांदनी रात मे इसका नजारा कुछ दूसरा ही होता है ।घाट मे केवट अपनी सजी-सजाई नाव लिये खड़े  रहते हैं ।
घाट के सामने में यहां पर चरखारी मंदिर और भरत मंदिर हैं लेकिन वह सभी जीर्ण शीर्ण अवस्था में है ।

मत्यगजेंद्र नाथ जी का मंदिर*****

यहां मत्यगजेंद्र नाथ स्वामी जी के रुद्राभिषेक की अत्याधिक मान्यता है।  इन को चित्रकूट के क्षेत्रपाल का दर्जा प्राप्ति  की मान्यता के कारण तीर्थयात्री मंदाकिनी के जल मे स्नान कर इनका जलाभिषेक व दर्शन करके ही अपनी चित्रकूट यात्रा की शुरुआत करते हैं।

मंदिर मे चार रुद्रावतार ज्योतिर्लिंग हैं ।1--सतयुग में एक स्वयंभू मूर्ति जो ब्रह्मा जी द्वारा किये यज्ञकुंड से प्रकट हुई थी ।स्वयं ब्रह्मा जी द्वारा स्थापित है । 
2--दूसरी रावण के पिता विश्वश्रवा द्वारा स्थापित की गयी है ।
3--तीसरी अत्रि ऋषि द्वारा स्थापित की गई  है ।
4--चौथी मूर्ति की श्री राम जी ने  स्थापना की थी ।
महालिंग प्रतिष्ठाप्य शाम्भव भूरि भावनः।
मत्तगेन्द्रेति नामेद क्षेत्रपाल समादधे (बृहद)
यहां बहुत से श्रद्धालुओं की मन्नत पूरी होती हैं ।

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पुरानी लंका********
रामघाट के सामने के घाट के स्थान को पुरानी लंका बोला जाता है नयी लंका कुबेर ने बनवाई थी जिस पर रावण ने अधिकार कर लिया था ।यही रावण के पिता रहते थे ऐसी मान्यता है ।

रामघाट से आगे जाने पर 2 रास्ते जाते हैं बायीं ओर का सतना बस स्टॉप, प्रमोदवन, जानकीकुंड ,आरोग्यधाम रामदर्शन से होता हुआ सतना (मध्यप्रदेश) को जाता है ।

दूसरा दाहिनी ओर गायत्री शक्तिपीठ से होता हुआ कामदगिरि परिक्रमा को जाता है ।

 क्षेत्रीय भाषा मे कामतानाथ स्वामी कहा जाता है ।
मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बहुत सुंदर और सटीक जानकारी दी आपने 👌👌 आप मेरी कहानी प्रतिउतर और प्यार का प्रतिशोध पर अपनी समीक्षा जरूर दें 🙏🙏

26 फरवरी 2024

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रचनाएँ
पावन चित्रकूट
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प्रस्तावित पुस्तक में मैने अपनी भावी पीढ़ी को कहानी के माध्यम से ऐतिहासिक ,धार्मिक स्थल चित्रकूट के बारे में जानकारी देते हुए अपनी संस्कृति से परिचित कराने का छोटा सा प्रयास किया है ।आपको यह कोशिश कैसी लगी समीक्षा देकर अपने विचार अवश्य बतायें। चित्रकूट भारत के सबसे प्रसिद्ध प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक है । आइये पुस्तक में अवलोकन करते हैं परम पावन रमणीय चित्रकूट के दर्शनीय स्थलों का । " जय श्रीराम"
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महिमा चित्रकूट की (1)

11 जनवरी 2024
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दादी जी दादी जी!! "आज आप हमें चित्रकूट के बारे में अच्छे से जानना चाहते हैं वहां ऐसी क्या विशेषता थी कि भगवान राम जी ने अपने 14 वर्ष के वनवास काल के 12 वर्ष वहीं बिताये"?जरूर कृष्णा बेटा आज तुम स

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दर्शनीय स्थल (2)

11 जनवरी 2024
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इसी चित्रकूट में श्री रामचंद्र जी ने माता पिता द्वारा दिये गये 14 वर्ष के वनवास में 12 वर्ष यहीं गुजारे थे।महर्षि अत्रि व पत्नी अनुसूया की यह पवित्र तपोस्थली थी । यह धर्म की नगरी कही जाती

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पावन पवित्र स्थल

12 जनवरी 2024
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मन्दाकिनी नदीनदी के विहंगम दृश्यों पर नजर डालने से यहां के घाट बनारस की याद ताजा कर जाते हैं । यहां शाम को बनारस की ही तरह आरती और कीर्तन होते है ।दीपावली अमावस की काली रात मे प्रज्वलित दी

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प्रमुख और रमणीय स्थल

12 जनवरी 2024
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मुख्य देव कामदगिरि *****कामद गिरि की विशेषता है कि यह हर ओर से देखने मे धनुषाकार ही दिखता है।यह चित्रकूट का सबसे प्रमुख स्थान है ।इसका कामदगिरि के नाम से संरक्षण ट्रस्ट भी है । यह भगवान के

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चित्रकूट में भरत-लक्ष्मण

12 जनवरी 2024
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भरत मिलाप *********बच्चो रामचन्द्र जी पिता की आज्ञा मानकर 14 वर्ष को पत्नी सीता व भाई लक्ष्मण के साथ वन को चले जाते अयोध्या में कैकेयी पुत्र भरत व सुमित्रा नन्दन शत्रुघ्न लौटकर

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चित्रकूट में जानकीकुंड

16 जनवरी 2024
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जानकीकुंड ********रामघाट से 2 किलोमीटर मंदाकिनी नदी के किनारे (जनक सुता होने के कारण सीता जी को जानकी भी कहा गया है) मान्यता है सीता जी यहां स्नान करती थी ।जानकी कुंड में रामभद्राचार्य जी जो तुलसी पीठ

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अनुसूया आश्रम व गुप्त गोदावरी

16 जनवरी 2024
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ये दोनो स्थान चित्रकूट के चारधाम के अन्तर्गत आते है ।अनुसूया आश्रमजानकीकुंड से 14 किलोमीटर की दूरी पर घने जंगलों से घिरा यह स्थान है । पहले बहुत निर्जन होने के कारण यहां पर लोग अकेले नहीं जाते थे । यह

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संकर्षण गिरि में हनुमानधारा

16 जनवरी 2024
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कामदगिरि के पूर्व दिशा में एक संकर्षण गिरि है ।इसी पहाड़ी के शिखर पर स्थित हनुमान धारा में पहाड़ के सहारे टिकी हनुमान जी की विशाल मूर्ति है मूर्ति के ठीक ऊपर पहाड़ मे 2 कुंड हैं जिनका जल मूर्ति क

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चित्रकूट भरत कूप

18 जनवरी 2024
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भरतकूप*******भरत जी जब रामचंद्र जी को मनाने अयोध्या से चित्रकूट आए थे तब उन्होने रामचंद्र जी के राज्याभिषेक के लिए साथ में सभी तीर्थों का जल ले लिया था लेकिन प्रभु पित्राज्ञा से 14 वर्ष के

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मड़फा आश्रम, सुतीक्ष्ण व सरभंग आश्रम

18 जनवरी 2024
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मड़फा पहाड़********भरतकूप क्षेत्र में बीहड़ जंगल में लगभग ढाई सौ मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित मरपा पहाड़ है इसी पहाड़ पर मांडव ऋषि का आश्रम था जिसके कारण इसका मांडव ऋषि का अपभ्रंश रूप होकर मड़फा पहाड़ के

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बाल्मीकि आश्रम

21 जनवरी 2024
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रामदर्शन ********यह सतना चित्रकूट मार्ग पर आरोग्यधाम के आगे रास्ते मे है ।यह एक संग्रहालय है यहां राम जी व रामायण काल से सम्बंधित वस्तुये है ।एक चित्रगैलरी मे बिजलीचालित रामायण कथा दिखाई जाती है । यहा

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शबरी प्रपात

21 जनवरी 2024
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बांके सिद्ध आश्रम *******बांके सिद्ध अनसूया जी के भाई सांख्य दर्शन के प्रणेता कपिल मुनि का स्थान कहा जाता है । इस गुफा में लगभग 15- 20000 वर्ष पहले के प्राकृतिक शैल भित्ति चित्र हैं जो प्रशासन क

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