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चित्रकूट में भरत-लक्ष्मण

12 जनवरी 2024

5 बार देखा गया 5
भरत मिलाप *********

बच्चो रामचन्द्र जी पिता की आज्ञा मानकर 14 वर्ष   को पत्नी सीता व भाई लक्ष्मण के साथ  वन को चले जाते अयोध्या में कैकेयी पुत्र भरत व सुमित्रा नन्दन शत्रुघ्न लौटकर जब आते हैं तो उन्हें दशरथ जी के बारे में और रामचंद्र जी के वनवास का हेतु खुद का होना पता लगता है , वह दशरथ जी का क्रिया कर्म करने के बाद सब के बहुत कहने पर भी राजगद्दी में न बैठ कर रामचंद्र जी को मनाने के लिए चित्रकूट आते हैं साथ में शत्रुघ्न गुरु वशिष्ठ सभी माताएं मंत्रीगण व असंख्य प्रजा भी जाती है । यह वही स्थान है जहां राम और भरत का मिलन हुआ था।

भरत राम की मिलन लखि ,
बिसरे सबहिं अपान ।
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पाषाण शिला तक पिघल गई थी  कहने का अर्थ है जो ह्रदय से बहुत कठोर  थे उनके ह्रदय भी इस प्रेम की पराकाष्ठा के मिलन की गर्मी से मोम जैसे पिघल गए थे । उनके मिलन की साक्षी पिघली शिलाओं पर राम सीता लक्ष्मण भरत जी चरण चिन्ह आज भी अंकित देखे जा सकते हैं ।
लक्ष्मण पहाड़ी*******

पर्वत के दक्षिणी भाग में छोटी सी पहाड़ी है इसे लक्ष्मण पहाड़ी कहते हैं। यहां पर शिखर में लक्ष्मण जी का मंदिर बना हुआ है ।मंदिर में एक कुंड है जो हमेशा जलापूरित  रहता है । मंदिर के बरांडे में बने स्तंभों को लोग लक्ष्मण जी का स्वरूप मानकर भेंटार्चन करते हैं। जब प्रभु राम जी और माता जानकी शयन करते थे तो जंगली प्राणियों से रक्षार्थ धनुष बाण लेकर लक्ष्मण जी बैठते थे ।रामचरितमानस में चौपाई है 

कछुक दूरी धरि बान सरासन,
जागन लगे बैठि वीरासन ।

यहां पर रोपवे मार्ग भी बन गया है यदि सीढ़ियों से चढ़ने में असमर्थ है तो ट्रॉली से ऊपर  जा सकते हैं ।ये परिक्रमा मार्ग मे ही पड़ता है ।

प्रमोद वन********

रामघाट के आगे 2 रास्ते हो जाते है ।दाहिनी ओर का कामदगिरि परिक्रमा मार्ग की ओर जाता है बायीं ओर का प्रमोदवन से रामदर्शन तक जाता है ।

रामघाट से बाईं ओर 1 किलोमीटर चित्रकूट सतना रोड पर सतना बस स्टॉप के आगे यह पवित्र स्थान है । यहां रीवा नरेश द्वारा निर्मित नारायण भगवान का मंदिर है ।यहां पर कल्पवृक्ष है जो विश्व में कहीं पर भी नहीं है ऐसी मान्यता है इसके नीचे परिक्रमा करने से मन्नत पूरी होती हैं । ये 500 वर्ष पुराना बताया जाता है । संतान कामना वाले यहां वृक्ष के तने मे कलावा धागा बांधकर व नारियल रखकर मन्नत मानते हैं पूरी होने पर यहां दर्शन करने आते 
हैं ।

यहां पर जीवित्पुत्रिका शिवलिंगी का भी वृक्ष है जिससे पुत्र प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है । इसे संतान दायिनी वृक्ष कहा जाता है । कहा। जाता है  रीवा नरेश ने संतान कामना से 108 कुंडी यज्ञ कराया था जिसके साक्षी  दास हनुमान प्रमोद वन के सामने एक सिद्ध स्थान है। 


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रचनाएँ
पावन चित्रकूट
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प्रस्तावित पुस्तक में मैने अपनी भावी पीढ़ी को कहानी के माध्यम से ऐतिहासिक ,धार्मिक स्थल चित्रकूट के बारे में जानकारी देते हुए अपनी संस्कृति से परिचित कराने का छोटा सा प्रयास किया है ।आपको यह कोशिश कैसी लगी समीक्षा देकर अपने विचार अवश्य बतायें। चित्रकूट भारत के सबसे प्रसिद्ध प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक है । आइये पुस्तक में अवलोकन करते हैं परम पावन रमणीय चित्रकूट के दर्शनीय स्थलों का । " जय श्रीराम"
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महिमा चित्रकूट की (1)

11 जनवरी 2024
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दादी जी दादी जी!! "आज आप हमें चित्रकूट के बारे में अच्छे से जानना चाहते हैं वहां ऐसी क्या विशेषता थी कि भगवान राम जी ने अपने 14 वर्ष के वनवास काल के 12 वर्ष वहीं बिताये"?जरूर कृष्णा बेटा आज तुम स

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दर्शनीय स्थल (2)

11 जनवरी 2024
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इसी चित्रकूट में श्री रामचंद्र जी ने माता पिता द्वारा दिये गये 14 वर्ष के वनवास में 12 वर्ष यहीं गुजारे थे।महर्षि अत्रि व पत्नी अनुसूया की यह पवित्र तपोस्थली थी । यह धर्म की नगरी कही जाती

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पावन पवित्र स्थल

12 जनवरी 2024
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मन्दाकिनी नदीनदी के विहंगम दृश्यों पर नजर डालने से यहां के घाट बनारस की याद ताजा कर जाते हैं । यहां शाम को बनारस की ही तरह आरती और कीर्तन होते है ।दीपावली अमावस की काली रात मे प्रज्वलित दी

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प्रमुख और रमणीय स्थल

12 जनवरी 2024
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मुख्य देव कामदगिरि *****कामद गिरि की विशेषता है कि यह हर ओर से देखने मे धनुषाकार ही दिखता है।यह चित्रकूट का सबसे प्रमुख स्थान है ।इसका कामदगिरि के नाम से संरक्षण ट्रस्ट भी है । यह भगवान के

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चित्रकूट में भरत-लक्ष्मण

12 जनवरी 2024
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भरत मिलाप *********बच्चो रामचन्द्र जी पिता की आज्ञा मानकर 14 वर्ष को पत्नी सीता व भाई लक्ष्मण के साथ वन को चले जाते अयोध्या में कैकेयी पुत्र भरत व सुमित्रा नन्दन शत्रुघ्न लौटकर

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चित्रकूट में जानकीकुंड

16 जनवरी 2024
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जानकीकुंड ********रामघाट से 2 किलोमीटर मंदाकिनी नदी के किनारे (जनक सुता होने के कारण सीता जी को जानकी भी कहा गया है) मान्यता है सीता जी यहां स्नान करती थी ।जानकी कुंड में रामभद्राचार्य जी जो तुलसी पीठ

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अनुसूया आश्रम व गुप्त गोदावरी

16 जनवरी 2024
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ये दोनो स्थान चित्रकूट के चारधाम के अन्तर्गत आते है ।अनुसूया आश्रमजानकीकुंड से 14 किलोमीटर की दूरी पर घने जंगलों से घिरा यह स्थान है । पहले बहुत निर्जन होने के कारण यहां पर लोग अकेले नहीं जाते थे । यह

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संकर्षण गिरि में हनुमानधारा

16 जनवरी 2024
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कामदगिरि के पूर्व दिशा में एक संकर्षण गिरि है ।इसी पहाड़ी के शिखर पर स्थित हनुमान धारा में पहाड़ के सहारे टिकी हनुमान जी की विशाल मूर्ति है मूर्ति के ठीक ऊपर पहाड़ मे 2 कुंड हैं जिनका जल मूर्ति क

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चित्रकूट भरत कूप

18 जनवरी 2024
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भरतकूप*******भरत जी जब रामचंद्र जी को मनाने अयोध्या से चित्रकूट आए थे तब उन्होने रामचंद्र जी के राज्याभिषेक के लिए साथ में सभी तीर्थों का जल ले लिया था लेकिन प्रभु पित्राज्ञा से 14 वर्ष के

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मड़फा आश्रम, सुतीक्ष्ण व सरभंग आश्रम

18 जनवरी 2024
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मड़फा पहाड़********भरतकूप क्षेत्र में बीहड़ जंगल में लगभग ढाई सौ मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित मरपा पहाड़ है इसी पहाड़ पर मांडव ऋषि का आश्रम था जिसके कारण इसका मांडव ऋषि का अपभ्रंश रूप होकर मड़फा पहाड़ के

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बाल्मीकि आश्रम

21 जनवरी 2024
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रामदर्शन ********यह सतना चित्रकूट मार्ग पर आरोग्यधाम के आगे रास्ते मे है ।यह एक संग्रहालय है यहां राम जी व रामायण काल से सम्बंधित वस्तुये है ।एक चित्रगैलरी मे बिजलीचालित रामायण कथा दिखाई जाती है । यहा

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शबरी प्रपात

21 जनवरी 2024
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बांके सिद्ध आश्रम *******बांके सिद्ध अनसूया जी के भाई सांख्य दर्शन के प्रणेता कपिल मुनि का स्थान कहा जाता है । इस गुफा में लगभग 15- 20000 वर्ष पहले के प्राकृतिक शैल भित्ति चित्र हैं जो प्रशासन क

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