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संकर्षण गिरि में हनुमानधारा

16 जनवरी 2024

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कामदगिरि के पूर्व दिशा में एक संकर्षण गिरि 
है ।
इसी पहाड़ी के शिखर पर स्थित हनुमान धारा में पहाड़ के सहारे टिकी हनुमान जी की विशाल मूर्ति है मूर्ति के ठीक ऊपर पहाड़ मे 2 कुंड हैं जिनका जल मूर्ति के सामने गिरता है  । इसी पहाड़ी की एक शिला पर मारुति नंदन की आकृति उभरी हुयी है दक्षिण भुजा स्कंध भाग पर ऊपर  झरने से जलधारा गिरती है । 

इस जलधारा को पाताल गंगा के नाम से जाना जाता है ।हनुमान जी को स्पर्श कर गिरने के कारण यह  हनुमान धारा के नाम से प्रसिद्ध है । भीषण गर्मी मे भी इस जलधार से  अनवरत शीतल जल गिरना रहस्य का विषय है जबकि पूरा पहाड़ तप्त होने से कोई भी अन्य जलस्रोत आस-पास नहीं दिखाई पड़ते हैं । इसका जलस्रोत पृथ्वी के अंदर से बताया जाता है ।

इस जल को रोग नाशक कहा जाता है इसमें अनेकों वनौषधियां व भूगर्भीय खनिज मिश्रित रहते हैं । हनुमान धारा नाम का यह स्थान बहुत ही मनोरम और हरीतिमा युक्त मनोहारी है । एक समय डाकुओ का ठिकाना होने के कारण श्रद्धालु अकेले जाने से डरते थे ।

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मान्यता है कि लंका दहन के बाद आग की लपटों से दग्ध मारुति नंदन समुद्र में कूद पड़े थे पर इससे भी उनका दाह कम नहीं हुआ था तब राम राज्य में उन्होंने प्रभु श्री रामचंद्र जी से शारीरिक दाह को शांत करने का उपाय पूछा । श्रीराम जी ने चित्रकूट के बिंध्य गिरि पर निवास करने के लिए बताया तब से हनुमान जी यहीं विराजमान हो गये ।

पहाड़ी शिखर पर ही थोड़ी और ऊपर सीता रसोई है यहां माता सीता वनवास काल मे भोजन बनाती 
थीं । 

एक दूसरी किवदंती है कि जब भगवान अपनी लीला निर्वहन कर गोलोकवासी होने लगे तो हनुमान जी ने भी इच्छा जताई तब भगवान ने कहा पवनपुत्र आपको तो यही रहना पड़ेगा आपको अशोक वाटिका मे सीता माता ने अजर-अमर का वरदान दिया था ।श्रीराम प्रभो की आज्ञा शिरोधार्य कर हनुमान जी संकर्षण गिरि पर विराजमान हुए तो भगवान ने वाण मारकर एक जलस्रोत निकाल दिया जो आजतक है उसका जल जाता कहां है यह भी अज्ञात है ।

यहां पर लाल पत्थर के संगमरमर से बनाई हुई 365 सीढ़ियां हैं अब तो यहां पर रोपवे का भी निर्माण हो गया है उड़न खटोला से यहां का दृश्य काफी मनोरम मनोहारी दिखाई पड़ता है ।

वनदेवी अयोध्या की कुलदेवी***
हनुमान धारा मार्ग पर लगभग दो ढाई किलो मीटर पर  एक वनदेवी आश्रम है  कहा जाता है कि जब रामचंद्र जी वनवास को आए तो उन की रक्षार्थ अयोध्या की कुलदेवी भी यही निवास करने लगी । अयोध्या कांड में चौपाई भी आई है *******

वनदेवी वनदेव उदारा ,
करिहहिं सास-ससुर समसारा ।

सीता जी स्नान करके इनका पूजन अर्चना करती थी उसके बाद ही यहां पर रसोई बना कर  प्रथम उनका प्रसाद भोग लगाती ।



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रचनाएँ
पावन चित्रकूट
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प्रस्तावित पुस्तक में मैने अपनी भावी पीढ़ी को कहानी के माध्यम से ऐतिहासिक ,धार्मिक स्थल चित्रकूट के बारे में जानकारी देते हुए अपनी संस्कृति से परिचित कराने का छोटा सा प्रयास किया है ।आपको यह कोशिश कैसी लगी समीक्षा देकर अपने विचार अवश्य बतायें। चित्रकूट भारत के सबसे प्रसिद्ध प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक है । आइये पुस्तक में अवलोकन करते हैं परम पावन रमणीय चित्रकूट के दर्शनीय स्थलों का । " जय श्रीराम"
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महिमा चित्रकूट की (1)

11 जनवरी 2024
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दादी जी दादी जी!! "आज आप हमें चित्रकूट के बारे में अच्छे से जानना चाहते हैं वहां ऐसी क्या विशेषता थी कि भगवान राम जी ने अपने 14 वर्ष के वनवास काल के 12 वर्ष वहीं बिताये"?जरूर कृष्णा बेटा आज तुम स

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दर्शनीय स्थल (2)

11 जनवरी 2024
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इसी चित्रकूट में श्री रामचंद्र जी ने माता पिता द्वारा दिये गये 14 वर्ष के वनवास में 12 वर्ष यहीं गुजारे थे।महर्षि अत्रि व पत्नी अनुसूया की यह पवित्र तपोस्थली थी । यह धर्म की नगरी कही जाती

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पावन पवित्र स्थल

12 जनवरी 2024
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मन्दाकिनी नदीनदी के विहंगम दृश्यों पर नजर डालने से यहां के घाट बनारस की याद ताजा कर जाते हैं । यहां शाम को बनारस की ही तरह आरती और कीर्तन होते है ।दीपावली अमावस की काली रात मे प्रज्वलित दी

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प्रमुख और रमणीय स्थल

12 जनवरी 2024
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मुख्य देव कामदगिरि *****कामद गिरि की विशेषता है कि यह हर ओर से देखने मे धनुषाकार ही दिखता है।यह चित्रकूट का सबसे प्रमुख स्थान है ।इसका कामदगिरि के नाम से संरक्षण ट्रस्ट भी है । यह भगवान के

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चित्रकूट में भरत-लक्ष्मण

12 जनवरी 2024
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भरत मिलाप *********बच्चो रामचन्द्र जी पिता की आज्ञा मानकर 14 वर्ष को पत्नी सीता व भाई लक्ष्मण के साथ वन को चले जाते अयोध्या में कैकेयी पुत्र भरत व सुमित्रा नन्दन शत्रुघ्न लौटकर

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चित्रकूट में जानकीकुंड

16 जनवरी 2024
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जानकीकुंड ********रामघाट से 2 किलोमीटर मंदाकिनी नदी के किनारे (जनक सुता होने के कारण सीता जी को जानकी भी कहा गया है) मान्यता है सीता जी यहां स्नान करती थी ।जानकी कुंड में रामभद्राचार्य जी जो तुलसी पीठ

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अनुसूया आश्रम व गुप्त गोदावरी

16 जनवरी 2024
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ये दोनो स्थान चित्रकूट के चारधाम के अन्तर्गत आते है ।अनुसूया आश्रमजानकीकुंड से 14 किलोमीटर की दूरी पर घने जंगलों से घिरा यह स्थान है । पहले बहुत निर्जन होने के कारण यहां पर लोग अकेले नहीं जाते थे । यह

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संकर्षण गिरि में हनुमानधारा

16 जनवरी 2024
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कामदगिरि के पूर्व दिशा में एक संकर्षण गिरि है ।इसी पहाड़ी के शिखर पर स्थित हनुमान धारा में पहाड़ के सहारे टिकी हनुमान जी की विशाल मूर्ति है मूर्ति के ठीक ऊपर पहाड़ मे 2 कुंड हैं जिनका जल मूर्ति क

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चित्रकूट भरत कूप

18 जनवरी 2024
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भरतकूप*******भरत जी जब रामचंद्र जी को मनाने अयोध्या से चित्रकूट आए थे तब उन्होने रामचंद्र जी के राज्याभिषेक के लिए साथ में सभी तीर्थों का जल ले लिया था लेकिन प्रभु पित्राज्ञा से 14 वर्ष के

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मड़फा आश्रम, सुतीक्ष्ण व सरभंग आश्रम

18 जनवरी 2024
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मड़फा पहाड़********भरतकूप क्षेत्र में बीहड़ जंगल में लगभग ढाई सौ मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित मरपा पहाड़ है इसी पहाड़ पर मांडव ऋषि का आश्रम था जिसके कारण इसका मांडव ऋषि का अपभ्रंश रूप होकर मड़फा पहाड़ के

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बाल्मीकि आश्रम

21 जनवरी 2024
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रामदर्शन ********यह सतना चित्रकूट मार्ग पर आरोग्यधाम के आगे रास्ते मे है ।यह एक संग्रहालय है यहां राम जी व रामायण काल से सम्बंधित वस्तुये है ।एक चित्रगैलरी मे बिजलीचालित रामायण कथा दिखाई जाती है । यहा

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शबरी प्रपात

21 जनवरी 2024
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बांके सिद्ध आश्रम *******बांके सिद्ध अनसूया जी के भाई सांख्य दर्शन के प्रणेता कपिल मुनि का स्थान कहा जाता है । इस गुफा में लगभग 15- 20000 वर्ष पहले के प्राकृतिक शैल भित्ति चित्र हैं जो प्रशासन क

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