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अनुसूया आश्रम व गुप्त गोदावरी

16 जनवरी 2024

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ये दोनो स्थान चित्रकूट के चारधाम के अन्तर्गत आते है ।
अनुसूया आश्रम
जानकीकुंड से 14 किलोमीटर की दूरी पर घने जंगलों से घिरा यह स्थान है । पहले बहुत निर्जन होने के कारण यहां पर लोग अकेले नहीं जाते थे । यह चारों धाम की यात्रा में आता है ।यही माता कर्दम ऋषि की पुत्री माता अनुसूया के सतीत्व की परीक्षा लेने के लिए ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों देवता आए थे । उन्होंने अपने सतीत्व के बल से उन्हें बाल रूप बनाकर पालने में लिटा दिया था तभी तीनों देवियां ( ब्रह्माणी, लक्ष्मी जी व पार्वती जी )अपने पतियों को लेने आई थी । 

माता अनुसूया के सतीत्व के प्रताप से ही  गंगा का उद्गम इसी मंदाकिनी के रूप में इसी स्थान में हुआ था । यहां पर उनके पुत्र दत्तात्रेय , दुर्वासा व चंद्रमा की मूर्तियां है । यह स्थान परम पवित्र प्राकृतिक धार्मिक तपोस्थली है यहीं पर माता अनुसूया ने सीता जी को पातिव्रत्य धर्म का उपदेश दिया था ।यहां एक बड़ा सा सभागार भी है ।

माता अनुसुइया आश्रम***
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गुप्त गोदावरी यह रामघाट से18 किलोमीटर लगभग की दूरी पर है यहां दो गुफाएं हैं एक चौड़ी और ऊंची है प्रवेश द्वार संकरा होने के कारण घुसने में कठिनाई हो सकती है दूसरी लंबी और संकरी है । यह हमेशा पानी से भरी रहती है मान्यता है कि इस संकरी गुफा में अंत में राम लक्ष्मण सीता जी बैठते थे। 

उनके बैठने के स्थान पर अब भी दीवारो मे धनुषवाण के रखने के स्थान बने हैं । राम के चित्रकूट आगमन को जानकर गौतम ऋषि की पुत्री गोदावरी नासिक से भूमिगत मार्ग से आकर यहां प्रकट हुई है  देवताओं ने इस दैवीय गुफा का निर्माण विश्वकर्मा से पहले ही करवा लिया था।

यह गुफा पूर्ण प्रकृति निर्मित है यहाँ की स्वच्छ पानी की धारा त्रेतायुग की घटनाओं की साक्षी है । 

गुप्त गोदावरी गुफा***
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खटखटा चोर *********
यहां पर माता सीता स्नान करती थी एक बार मयंक नामक राक्षस उनके वस्त्रों को चुरा कर भाग गया था तब सीता जी ने अपने सिर का बाल तोड़कर पत्थर का हो जाने का श्राप दे दिया और कहा कि ये यहां पर आने वाले दर्शनार्थियों के पाप खाकर पेट भरा करेगा ।

बाद  में लक्ष्मण जी ने गुफा के अंदर ऊपरी भाग  छत में बांधकर लटका दिया था वह पत्थर  के रूप मे आज भी यहां पर लटक रहा है ।  हवा से इधर उधर हिलने डुलने से इधर-उधर टकराने से खटखट की आवाज करता है इसलिए इसे खटखटा चोर के नाम से जाना जाता है।          
 खटखटा चोर***
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रचनाएँ
पावन चित्रकूट
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प्रस्तावित पुस्तक में मैने अपनी भावी पीढ़ी को कहानी के माध्यम से ऐतिहासिक ,धार्मिक स्थल चित्रकूट के बारे में जानकारी देते हुए अपनी संस्कृति से परिचित कराने का छोटा सा प्रयास किया है ।आपको यह कोशिश कैसी लगी समीक्षा देकर अपने विचार अवश्य बतायें। चित्रकूट भारत के सबसे प्रसिद्ध प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक है । आइये पुस्तक में अवलोकन करते हैं परम पावन रमणीय चित्रकूट के दर्शनीय स्थलों का । " जय श्रीराम"
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महिमा चित्रकूट की (1)

11 जनवरी 2024
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दादी जी दादी जी!! "आज आप हमें चित्रकूट के बारे में अच्छे से जानना चाहते हैं वहां ऐसी क्या विशेषता थी कि भगवान राम जी ने अपने 14 वर्ष के वनवास काल के 12 वर्ष वहीं बिताये"?जरूर कृष्णा बेटा आज तुम स

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दर्शनीय स्थल (2)

11 जनवरी 2024
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इसी चित्रकूट में श्री रामचंद्र जी ने माता पिता द्वारा दिये गये 14 वर्ष के वनवास में 12 वर्ष यहीं गुजारे थे।महर्षि अत्रि व पत्नी अनुसूया की यह पवित्र तपोस्थली थी । यह धर्म की नगरी कही जाती

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पावन पवित्र स्थल

12 जनवरी 2024
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मन्दाकिनी नदीनदी के विहंगम दृश्यों पर नजर डालने से यहां के घाट बनारस की याद ताजा कर जाते हैं । यहां शाम को बनारस की ही तरह आरती और कीर्तन होते है ।दीपावली अमावस की काली रात मे प्रज्वलित दी

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प्रमुख और रमणीय स्थल

12 जनवरी 2024
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मुख्य देव कामदगिरि *****कामद गिरि की विशेषता है कि यह हर ओर से देखने मे धनुषाकार ही दिखता है।यह चित्रकूट का सबसे प्रमुख स्थान है ।इसका कामदगिरि के नाम से संरक्षण ट्रस्ट भी है । यह भगवान के

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चित्रकूट में भरत-लक्ष्मण

12 जनवरी 2024
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भरत मिलाप *********बच्चो रामचन्द्र जी पिता की आज्ञा मानकर 14 वर्ष को पत्नी सीता व भाई लक्ष्मण के साथ वन को चले जाते अयोध्या में कैकेयी पुत्र भरत व सुमित्रा नन्दन शत्रुघ्न लौटकर

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चित्रकूट में जानकीकुंड

16 जनवरी 2024
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जानकीकुंड ********रामघाट से 2 किलोमीटर मंदाकिनी नदी के किनारे (जनक सुता होने के कारण सीता जी को जानकी भी कहा गया है) मान्यता है सीता जी यहां स्नान करती थी ।जानकी कुंड में रामभद्राचार्य जी जो तुलसी पीठ

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अनुसूया आश्रम व गुप्त गोदावरी

16 जनवरी 2024
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ये दोनो स्थान चित्रकूट के चारधाम के अन्तर्गत आते है ।अनुसूया आश्रमजानकीकुंड से 14 किलोमीटर की दूरी पर घने जंगलों से घिरा यह स्थान है । पहले बहुत निर्जन होने के कारण यहां पर लोग अकेले नहीं जाते थे । यह

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संकर्षण गिरि में हनुमानधारा

16 जनवरी 2024
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कामदगिरि के पूर्व दिशा में एक संकर्षण गिरि है ।इसी पहाड़ी के शिखर पर स्थित हनुमान धारा में पहाड़ के सहारे टिकी हनुमान जी की विशाल मूर्ति है मूर्ति के ठीक ऊपर पहाड़ मे 2 कुंड हैं जिनका जल मूर्ति क

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चित्रकूट भरत कूप

18 जनवरी 2024
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भरतकूप*******भरत जी जब रामचंद्र जी को मनाने अयोध्या से चित्रकूट आए थे तब उन्होने रामचंद्र जी के राज्याभिषेक के लिए साथ में सभी तीर्थों का जल ले लिया था लेकिन प्रभु पित्राज्ञा से 14 वर्ष के

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मड़फा आश्रम, सुतीक्ष्ण व सरभंग आश्रम

18 जनवरी 2024
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मड़फा पहाड़********भरतकूप क्षेत्र में बीहड़ जंगल में लगभग ढाई सौ मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित मरपा पहाड़ है इसी पहाड़ पर मांडव ऋषि का आश्रम था जिसके कारण इसका मांडव ऋषि का अपभ्रंश रूप होकर मड़फा पहाड़ के

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बाल्मीकि आश्रम

21 जनवरी 2024
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रामदर्शन ********यह सतना चित्रकूट मार्ग पर आरोग्यधाम के आगे रास्ते मे है ।यह एक संग्रहालय है यहां राम जी व रामायण काल से सम्बंधित वस्तुये है ।एक चित्रगैलरी मे बिजलीचालित रामायण कथा दिखाई जाती है । यहा

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शबरी प्रपात

21 जनवरी 2024
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बांके सिद्ध आश्रम *******बांके सिद्ध अनसूया जी के भाई सांख्य दर्शन के प्रणेता कपिल मुनि का स्थान कहा जाता है । इस गुफा में लगभग 15- 20000 वर्ष पहले के प्राकृतिक शैल भित्ति चित्र हैं जो प्रशासन क

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