shabd-logo

कंप्यूटर नेटवर्क क्या है

1 जनवरी 2024

5 बार देखा गया 5

कंप्यूटर नेटवर्क क्या है ( Computer Network in Hindi)


आधुनिक युग अर्थात् (वर्तमान समय में अनेक संस्थानों के विभिन्न विभागों में कम्प्यूटर स्थापित करके मानवीय कार्य प्रणाली के स्थान पर कम्प्यूटरीकृत कार्य-प्रणाली को अपनाया जा रहा है। कम्प्यूटरीकृत कार्य-प्रणाली में यदि विभिन्न कम्प्यूटरों को किसी माध्यम की सहायता से परस्पर संयोजित कर दिया जाता है तो इस व्यवस्था को कम्प्यूटर नेटवर्क कहते हैं। कम्प्यूटर नेटवर्क के सभी कम्प्यूटरों में डेटा और सूचना का परस्पर आदान-प्रदान हो सकता है।


एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर में डेटा और सूचना के आदान-प्रदान को डेटा संचार कहते हैं। डेटा संचार, कम्प्यूटर वर्क की सहायता से किया जाता है। जब दो या उससे अधिक कम्प्यूटर किसी माध्यम (तार/बेतार) की सहायता से परस्पर संपर्क में होते हैं तो इस प्रकार की व्यवस्था कम्प्यूटर नेटवर्क कहलाती है।


कम्प्यूटर नेटवर्क एक ऐसी डेटा संचरण व्यवस्था है जिसके अंतर्गत कम्प्यूटर एक-दूसरे से डेटा व सूचनाओं, (आलेख, चित्र, आवाज, चलचित्र इत्यादि) के आदान-प्रदान के अतिरिक्त आपस में अन्य हार्डवेयर जैसे - प्रिंटर, डिस्क ड्राइव, प्रोसेसर, मॉडम, वैब कैमरा इत्यादि का भी साझा प्रयोग कर सकते हैं।


कम्प्यूटर नेटवर्क के लाभ (Advantages of a Computer Network)


1. हार्डवेयर का साझा प्रयोग (Sharing of Hardware) 


कम्प्यूटर नेटवर्क के द्वारा हार्डवेयर इत्यादि संसाधनों का साझा प्रयोग किया जा सकता है, यहाँ हार्डवेयर का अर्थ कम्प्यूटर तथा उससे सम्बद्ध सभी उपकरणों, जैसे- प्रिंटर, स्कैनर, डिस्क ड्राइव, मॉडम इत्यादि से है। 


कम्प्यूटर नेटवर्क के इस गुण के कारण जहाँ किसी कार्यालय में कार्यरत कर्मचारियों की संख्या के अधिक होने की स्थिति में जितने कम्प्यूटर सिस्टम होंगे उतने ही प्रिंटर, स्कैनर, डिस्क ड्राइव इत्यादि की आवश्यकता होगी, वहाँ मात्र एक प्रिंटर, स्कैनर इत्यादि की सहायता से कार्य संपादित किये जा सकते हैं। इससे कम्प्यूटरीकृत प्रणाली की लागत में कमी आती है तथा समय की भी बचत होती है।


2. सॉफ्टवेयर का साझा प्रयोग (Sharing of Softwares) 


इसके अंतर्गत हम सॉफ्टवेयर की क्षमता का अधिकतम प्रयोग कर सकते हैं। कम्प्यूटरीकृत प्रणाली में किसी कार्यालय/संस्थान में लगे प्रत्येक कम्प्यूटर में अलग-अलग सॉफ्टवेयर लोड करने की आवश्यकता नहीं होती है। इस प्रणाली से जुड़े प्रत्येक कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर का साझा प्रयोग कर सकते हैं। जिससे समय तथा धन दोनों की ही बचत हो जाती है। 


3. पूर्ण विश्वसनीयता (Reliability) 


कम्प्यूटर नेटवर्क प्रणाली के माध्यम से प्राप्त किया गया डेटा व सूचनाएँ पूर्णत: सुरक्षित होती हैं। कम्प्यूटर नेटवर्क द्वारा संचारित किया गया डेटा उसी स्वरूप में प्राप्त होता है, जिस रूप में

उसे भेजा जाता है अर्थात् केवल प्रयोगकर्त्ता ही स्वयं से सम्बंधित डेटा व सूचनाओं को प्राप्त कर सकता है। अतः डेटा व सूचनाओं के चोरी व परिवर्तित होने की सम्भावनाएँ नगण्य होती हैं।)


4. संचार में तीव्रता (Fast Communication) 


कम्प्यूटर नेटवर्क प्रणाली की सहायता से किसी भी प्रकार की फाइल या दस्तावेज (Documents) को एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर पर अतिशीघ्र अर्थात् कुछ ही सेकण्डों में प्रेषित किया जा सकता है। चाहे अन्य कम्प्यूटरों की दूरी कितनी भी अधिक क्यों न हों इससे समय व श्रम दोनों की ही बचत हो जाती है।


नेटवर्क में प्रयुक्त किये जाने वाले विभिन्न उपकरण (Different Equipments Used in Networking)


कम्प्यूटर नेटवर्क प्रणाली के कुशल संचालन हेतु निम्नलिखित उपकरणों का उपयोग किया जाता है- 


1. क्लाइंट (Client) 


यह एक कम्प्यूटर नोड होता है जो सर्वर की सेवाओं का प्रयोग करता है। नेटवर्क प्रणाली पर कार्य कर रहे सभी कम्प्यूटर सर्वर से जुड़े होते हैं तथा सर्वर के साथ सूचनाओं तथा सुविधाओं का साझा प्रयोग करते हैं। जिनमें सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर (डिस्क, प्रिंटर, मॉडम) इत्यादि प्रमुख हैं।)


2. सर्वर (Server) 


कम्प्यूटर नेटवर्क प्रणाली के मुख्य कम्प्यूटर अर्थात् केन्द्रीय कम्प्यूटर को सर्वर कहा जाता

है। इससे सभी कम्प्यूटर जुड़े होते हैं। इसके द्वारा नेटवर्क के कम्प्यूटरों की फाइलों और अन्य संसाधनों का साझा उपयोग तथा प्रोग्राम का संचालन किया जाता है। 


3. केबिल (Cable) 


यह कम्प्यूटर नेटवर्क प्रणाली का एक महत्त्वपूर्ण माध्यम होता है जिसकी सहायता से कम्प्यूटरों को आपस में जोड़ा जाता है, जिससे कि आँकड़ों (Data information) का आदान-प्रदान किया जा सके। कोएक्सियल केबिल तथा ऑप्टिकल फाइबर केबिल इसके प्रमुख उदाहरण हैं।


4. हब (Hub) 


यह नेटवर्क प्रणाली में विभिन्न कम्प्यूटरों को तारों के माध्यम से एक साझा बिन्दु से जोड़ने का कार्य करता है। इसका आकार एक आयताकार बॉक्स के रूप में होता है जिसमें अनेक छिद्र होते हैं, जिन्हें पोर्ट कहा जाता है।


5. नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम (Network Operating System) 


यह सिस्टम सॉफ्टवेयर का महत्त्वपूर्ण भाग होता है, जो कम्प्यूटर नेटवर्क प्रणाली को संचालित व नियंत्रित करने का कार्य करता है। यह नेटवर्क प्रणाली के केन्द्रीय कम्प्यूटर अर्थात् सर्वर में उपस्थित रहता है, जहाँ से यह आंकड़ों के आदान-प्रदान को नियंत्रित व संचालित करता

है। इन्हीं पोटों में नेटवर्क से जुड़ने वाले कम्प्यूटर के तार जोड़ दिये जाते हैं।


नेटवर्क की बनावट/नेटवर्क टोपोलॉजी (Structure of Network/Network Topologies)


कम्प्यूटर नेटवर्क प्रणाली का निर्माण करने के लिए अनेक कम्प्यूटरों को किसी न किसी संचार माध्यम की सहायता से आपस में जोड़ा जाता है, जिससे कि वे आपस में आँकड़ों का आदान-प्रदान कर सकें। कम्प्यूटरों को आपस में

जोड़ने के विभिन्न तरीके/डिजाइन हो सकते हैं, जिनके आधार पर उन्हें (कम्प्यूटर/client से) जोड़ा जाता है, ये तरीके टोपोलॉजी कहलाते हैं।


एक नेटवर्क में कम्प्यूटरों को आपस में जोड़ने की तकनीक को ही नेटवर्क टोपोलॉजी कहा जाता है अर्थात् नेटवर्क टोपोलॉजी से अभिप्राय उस भौगोलिक व्यवस्था से है, जिसके अंतर्गत नेटवर्क में उपस्थित विभिन्न कम्प्यूटर एक दूसरे से सम्पर्क स्थापित करते हैं।


नेटवर्क टोपोलॉजी के प्रमुख प्रकार (Types of Network Topology)


(1) बस टोपोलॉजी (Bus Topology)

(2) स्टार टोपोलॉजी (Star Topology)

(3) रिंग टोपोलॉजी (Ring Topology)

(4) कम्पलीटली कनेक्टेड टोपोलॉजी (Completely Connected Topology)/


1.बस टोपोलॉजी (Bus Topology) 


यह सर्वाधिक सरल नेटवर्क टोपोलॉजी है। इसके अंतर्गत एक नेटवर्क की सभी नोड (कम्प्यूटर) एक ही संचार लाइन से जुड़ी होती हैं और सभी नोड उसी संचार लाइन का साझा प्रयोग करती

हैं। इसमें एक लम्बी केबिल से डिवाइस जुड़े होते हैं। यह नेटवर्क इन्सटॉलेशन छोटे अथवा अल्पकालीन बस टोपोलॉजी के लिए होता है। इस प्रकार की नेटवर्क टोपोलॉजी का प्रयोग सामान्यतः ऐसे संस्थानों/स्थानों पर किया जाता है, जहाँ अत्यन्त उच्चगति के कम्युनिकेशन चैनल का प्रयोग सीमित क्षेत्र में किया जाना होता है।


इस व्यवस्था में जब भी कोई नोड किसी अन्य नोड को डेटा भेजना चाहता है तो सर्वप्रथम चैक करता है संचार लाइन फ्री (Free) है अथवा नहीं। फ्री होने की स्थिति में उस नोड को डेटा लाइन में प्रसारित कर दिया जाता है। इन्हें स्थापित (Install) करना काफी सरल होता है।


नेटवर्क में नई नोड को जोड़ना अत्यधिक सरल होता है। अन्य किसी एक कम्प्यूटर के खराब होने की स्थिति में नेटवर्क प्रभावित नहीं होता।इस प्रणाली में लागत कम आती है। इसका कारण है कि इसमें अन्य किसी भी टोपोलॉजी की अपेक्षा कम केबिल का उपयोग किया जाता है।


2. स्टार टोपोलॉजी (Star Topology)


इस नेटवर्क व्यवस्था के केन्द्र में एक मुख्य कम्प्यूटर लगा होता है जिसे केन्द्रीय नोड अथवा हब (Hub) कहा जाता है। नेटवर्क के सभी कम्प्यूटर इस केन्द्रीय कम्प्यूटर से एक अलग संचार लाइन के द्वारा जुड़े रहते हैं। कम्प्यूटरों के मध्य सूचनाओं का आदान-प्रदान केन्द्रीय कम्प्यूटर के माध्यम से ही संभव होता है। केन्द्रीय कम्प्यूटर एक समय में एक से अधिक कम्प्यूटरों को समान्तर रूप से डेटा संचारित कर सकता है। 


जब किसी नोड (कम्प्यूटर) द्वारा किसी अन्य नोड को डेटा संचारित करना होता है तो डेटा सर्वप्रथम केन्द्रीय कम्प्यूटर को संचारित किया जाता है फिर वह अन्य कम्प्यूटर को डेटा प्रसारित कर देता है अर्थात् किसी भी प्रकार के डेटा के आदान-प्रदान की प्रत्येक प्रक्रिया में केन्द्रीय कम्प्यूटर की ही प्रमुख भूमिका रहती है।

इस नेटवर्क प्रणाली में एक कम्प्यूटर से केन्द्रीय कम्प्यूटर को जोड़ने में न्यूनतम संचार लाइनों की आवश्यकता होती है। 


नये नोड (कम्प्यूटर  को जोड़ना सरल होता है। नोड (कम्प्यूटर) की संख्या बढ़ने पर नेटवर्क की कार्य-क्षमता अथवा गति में कोई परिवर्तन नहीं होता। किसी नोड (कम्प्यूटर) के खराब होने की स्थिति में अन्य सभी कम्प्यूटर तथा नेटवर्क प्रणाली प्रभावित नहीं होती। यह सम्पूर्ण प्रणाली केन्द्रीय कम्प्यूटर पर निर्भर होती है जिसके खराब होने की स्थिति में नेटवर्क प्रभावित हो जाता है।


3. रिंग टोपोलॉजी (Ring Topology)


इस टोपोलॉजी की परिकल्पना घेरे (Ring) पर आधारित होती है। इसमें सभी नोड (कम्प्यूटर) एक घेरे के रूप में जुड़े होते हैं। इसके अंतर्गत प्रत्येक कम्प्यूटर अपने से आगे वाले कम्प्यूटर व

अपने से पीछे वाले कम्प्यूटर से सीधी संचार लाइन द्वारा जुड़ा होता है। इस टोपोलॉजी का कोई सिरा (End) नहीं होता है इस कारण इस नेटवर्क प्रणाली में कोई भी केन्द्रीय कम्प्यूटर नहीं होता। यह टोपोलॉजी स्टार टोपोलॉजी की अपेक्षा अधिक विश्वसनीय होती है, क्योंकि कम्युनिकेशन में सभी नोड (कम्प्यूटर) की सहभागिता होती है।


4. कम्पलीटली कनेक्टेड टोपोलॉजी (Completely Connected Topology): 


इस नेटवर्क में प्रत्येक कम्प्यूटर अन्य कम्प्यूटरों से सीधे जुड़ा होता है। इसमें सभी कम्प्यूटरों के आपस में जुड़े होने के कारण इसे प्वाइंट-टू- प्वाइंट (Point-to-Point) नेटवर्क भी कहा जा सकता है अर्थात् इस नेटवर्क व्यवस्था में नेटवर्क पर स्थित प्रत्येक कम्प्यूटर उसी नेटवर्क के अन्य प्रत्येक कम्प्यूटर से सीधे जुड़कर आँकड़ों का आदान-प्रदान करने का कार्य कर सकता है। सामान्यतः इस प्रकार की प्रणाली का उपयोग उन संस्थानों/स्थानों पर किया जाता है जहाँ कम संख्या में नोड (कम्प्यूटर) जुड़नी होती है। 


इस नेटवर्क टोपोलॉजी में डेटा तीव्र गति से संचारित होता है क्योंकि डेटा संचरण दो नोड (कम्प्यूटर) के मध्य सीधी संचार लाइन द्वारा जुड़ा होता है। किसी एक नोड (कम्प्यूटर) अथवा संचार लाइन के खराब होने की स्थिति में अन्य नोड व संचार लाइनें प्रभावित नहीं होती हैं। 


नेटवर्क का वर्गीकरण (Classification of Networks)


भौगोलिक दूरी अथवा प्रसार क्षेत्र के आधार पर नेटवर्क को तीन श्रेणियों में विभक्त किया गया है जो निम्नलिखित हैं-


(1) लोकल एरिया नेटवर्क (Local Area Network: LAN)


(2) मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क (Metropolitan Area Network: MAN)


(3) वाइड एरिया नेटवर्क (Wide Area Network: WAN) )


1. Local Area Network (LAN) 


विभिन्न प्रकार के तारों (Co-axial cable/fibre optic/twisted pair cable) के माध्यम से एक या उससे अधिक कम्प्यूटरों को जोड़ना LAN अर्थात् लोकल एरिया नेटवर्क कहलाता है। इस प्रणाली में सैकड़ों नोड (कम्प्यूटर) को नेटवर्क से जोड़ा जा सकता है। ये नोड टर्मिनल, प्रिंटर, डिस्क ड्राइव इत्यादि डिवाइस (Device) हो सकते हैं। इसका प्रसार क्षेत्र अत्यधिक सीमित स्थान (एक कमरा, भवन अथवा एक परिसर) अर्थात् लगभग 1 किलोमीटर (1 km) की सीमा में ही हो सकता है।


लोकल एरिया नेटवर्क का प्रसार क्षेत्र बहुत ही छोटा होता है तथा यह संस्था का अपना नेटवर्क होता है। इसका प्रयोग छोटे क्षेत्रों जैसे- कार्यालय, कम्पनी, महाविद्यालय, बैंक, इत्यादि स्थानों पर किया जा सकता है।


2. Metropolitan Area Network (MAN) 


इस नेटवर्क प्रणाली का क्षेत्र LAN की अपेक्षा विस्तृत होता है अर्थात् यह एक महानगर जितने विस्तृत क्षेत्र को नेटवर्क की सुविधाएँ प्रदान करने की क्षमता रखता है इसीलिए इसे मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क कहा जाता है। इसमें लगभग 100 किलोमीटर के क्षेत्र में अनेक कम्प्यूटरों को कोऐक्सियल केबिल/माइक्रोवेव सर्किट की सहायता से आपस में जोड़कर आँकड़ों का प्रसारण किया जा सकता है। 


सामान्यतः इस नेटवर्क प्रणाली का उपयोग एक ही शहर में स्थित एक संस्थान की अनेक शाखाओं (Branches) को जोड़कर आँकड़ों

का आदान-प्रदान करने के लिए किया जाता है। केबिल टी०वी० प्रसारण इसके प्रमुख उदाहरणों में से एक है।


3. Wide Area Network (WAN) 


इस नेटवर्क के द्वारा एक साथ अनेक संस्थायें चाहे वे एक ही देश/शहर में हों अथवा दूसरे देश अर्थात् विश्व में फैली हों, डेटा का आदान-प्रदान कर सकती हैं अर्थात् इसकी प्रसारण सीमा में एक शहर से लेकर पूरा विश्व आता है। यह एक बड़े आकार का डेटा नेटवर्क होता है। इसमें डेटा के संचरण की गति LAN की अपेक्षा कम होती है। अधिक दूरी होने के कारण इसमें अनेक संचार माध्यमों जैसे - माइक्रोवेव, उपग्रह तथा टेलीफोन लाइन इत्यादि का प्रयोग किया जाता है।


वाइड एरिया नेटवर्क में कुछ ऐसे शक्तिशाली कम्प्यूटर जुड़े होते हैं जो रिसीवर (Receiver) एवं ट्रांसमीटर (Transmitter) के मध्य एक ऐसी कड़ी का कार्य करते हैं जिसके द्वारा आँकड़ों को एम्प्लीफाई (Amplify) तथा

त्रुटिहीन बनाकर तीव्र गति से आगे अन्य कम्प्यूटरों को प्रसारित कर दिया जाता है। भारत में स्थापित WAN के प्रमुख उदाहरण- रेलवे रिजर्वेशन, शेयर मार्केट, बैंक आदि हैं। इंटरनेट एक ऐसा ही WAN है जो समस्त विश्व के कम्प्यूटरों को जोड़ सकता भौगोलिक सीमा नहीं होती है। 


FAQ:


Q: कंप्यूटर नेटवर्क से आप क्या समझते हैं?


ANS: इसकी पूरी जानकारी आर्टिकल में दी गई है।


Q: नेटवर्क का क्या मतलब होता है?


ANS: विश्वव्यापी सूचना एवं संचार तंत्र; इंटरनेट; संजाल।


Q: कंप्यूटर नेटवर्क के प्रकार कितने हैं?


ANS: कई सारे



Singh sujitpratap की अन्य किताबें

किताब पढ़िए