1 दिसम्बर 2021
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<div>पिछले वर्ष लॉकडाउन में लिखी मेरी एक छोटी सी कवि</div><div><br></div><div>आज माई खातिर सबके प्रे
<div><br></div><div><br></div><div>देश के किसान बाटी हम</div><div>खेतवा में जाइ के अन्न उपजाई ला हम<
<div><br></div><div><br></div><div>आज एक नन्हि कली खिलल बा</div><div>हमरे घरे एक बिटिया के जन्म मिलल
<div>दिहले हमार हाथ, उनका हाथ में</div><div>रिश्ता बन गइल, हमार उनकर साथ में</div><div>अग्नि देव के
ऊपर वाले के लिखल अद्भुत कहानी बानी हमउनका बगीचा के सुंदर क्यारी बानी हमगर्व होता कहे में की नारी बानी हमचाही नाही अलग पहचान आपन नया पहचान बनाइबनारी बानी ई युग केअईसन कर के दिखाईबजन्म से मृत्यु तक
आज एक नन्हि कली खिलल बाहमरे घरे एक बिटिया के जन्म मिलल बासबसे ऊ प्यारी बाघर के राजदुलारी बाखुश आज हम बहुत बानीइधर उधर गोदी मैं उठा के उनका घुमावत बानीअब न तोहके केहू डराईन केहू तोहके सताई तोहरे ऊ
आवता छठ के परबछठ कइल हमनी के धरमले के चली न छठ घाटे रखी दउरा अपना माथेदेखी घाट बनल बा सुहानाअब रउआ करि ना बहानाआवता छठ के परब.....बाजारी से केरा हम ले अइनीउखड़ी खेते से मंगवलीलिप-पोत चूल्ही के हम,
हाथ जोड़ करी ले विनतीहमरे घरे आई न भवानीचउका पुरवली ऐ माईफल ले अइली होनिमिया के डाढ़ नीचे झुलुवा लगवली होनिमिया के डाढ़ नीचे......आई न आई माई झुलुवा झुलाइब होरउआ खातिर गोटेदार चुनरिया हम लाइब होनिमि