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दैनिन्दिनी डायरी प्रतियोगीता

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आप सभी ने यह देखा होगा की जब भी हम कोई फिल्म या किसी भी वीडियो में भावुकता का कोई प्रसंग देखते या सुनते है तो हमारा मन इतना भावुक हो जाता है की हमारे भावुक मन से विरह के आंसू आँखों द्वारा निकलने लगते

सभी इंसान इस धरती पर सु:ख की आस चाहते है और उसके लिये नित्य परिश्रम भी करते रहते है और अपनी तरफ से ईश्वर को भी प्रसन्न करते रहते है ताकि उनके परिवार व उनकी संतान को किसी भी तरह का दु:ख ना देखने पड़े जी

आज की इस दुनिया में जब सभी अपने मन के मुताबमुताबिक जी रहे है और भारत देश का संविधान सबको अपनी इच्छा से जीने का अधिकार भी देता है लेकिन जो लोग समाज के साथ अपने परिवार व समाज में रह रहे है उन्हें इज्जत

जैसा की आप सभी जानते है की दोस्ती कहीं से भी किसी से भी और कैसे भी हो सकती है किन्तु देखने वाली बात यह है की क्या आज के समय में ऐसा संभव है तो जवाब होगा नही आज की दुनिया में सब पैसों से ही हर चीज को त

प्रेम की परिभाषा की अगर बात करे तो दो पवित्र आत्माओं के मिलन का नाम ही प्रेम है भगवान राधा और कृष्ण जैसे पवित्र प्रेम की अभिलाषा इस संसार में दूसरा कोई नही है आज के कलयुग मेंवासनाओं के पूजारी इतने भर

जैसा की आप सभी जानते है की हमारे भारत देश में गुरु का दर्जा व गुरु का आदर कितना ऊंचा व कितना सर्वोपर्रि है किन्तु अगर आज के हालात देखे तो क्या गुरु की कदर आज कहीं होती है तो जवाब है- नही वो इसलिये की

जैसा की आप सभी जानते है की भारत की मात्रभाषा हिन्दी रही है अर्थात हम भारतवासी अपनी हिन्दी भाषा को अपनी माँ का दर्जा देते है अत: जब कोई भाषा किसी देश की माँ है और आज आलम यह है की किसी भी स्कूल कॉलैज मे

चार पैर पर जो है चलती |
सनातन धर्म में जो है पूजती |
तैतीस कोटि देवी देवता है जिसमे समाये |
उसी को है हम गौ माता कहलाये |
युगों युगों से जो है पूजती |

तराजू है न्याय का प्रतीक |तराजू है समानता का प्रतीक |तराजू के दोनों पलड़े है समान |इसलिये कानून में है सभी को समान अधिकार |क्या आज की दुनिया में मिलता हैं इंसाफ ये बात बता दे ऐ इंसान |एक तराजू के पलड़े

अक्सर इंसान अपनी बोलचाल में हर बार मैं शब्द का प्रयोग करता है की अमुक कार्य मैनें किया हैं मैं ही करने वाला हूँ में ना होता तो कुछ नही होता में अगर चला जाऊं तो तुमसे कुछ नही होगा में ही सब कुछ हूँ ऐसे

चरित्र से है बनता इन्सान |चरित्र से है पहचाना जाता इन्सान |चरित्र है सुन्दर तो सम्मान पाता है इन्सान |चरित्र है दूषित तो धिक्कार पाता है इन्सान |जैसे हीरे और आभूषण स्त्री और पुरुष की है सुन्दरता को बढ़

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