चार पैर पर जो है चलती |
सनातन धर्म में जो है पूजती |
तैतीस कोटि देवी देवता है जिसमे समाये |
उसी को है हम गौ माता कहलाये |
युगों युगों से जो है पूजती |
भगवान कृष्ण की जो थी लाड़ली |
वही कल कामधेनु कहलाये |
युग बीते दिन बीते बीती सभी रात |
जैसे आया कलयुग गौ का हुआ बुरा हाल |
कल तक थी जो पूजनीय |
आज वही सड़कों पर इधर-उधर भटकती जाये |
बेजुबान होकर भी जो |
माँ का फर्ज निभाये |
दूध,घ्रत की करे व्यवस्था |
आज वही दाने-दाने के लिये
मोहताज हुई जाये |