चरित्र से है बनता इन्सान |
चरित्र से है पहचाना जाता इन्सान |
चरित्र है सुन्दर तो सम्मान पाता है इन्सान |
चरित्र है दूषित तो धिक्कार पाता है इन्सान |
जैसे हीरे और आभूषण स्त्री और पुरुष की है सुन्दरता को बढ़ाते |
ठीक वैसे ही उत्तम चरित्र स्त्री व पुरुष की है समाज में एक अलग पहचान है बनाते |
चरित्र न मिलता पैसो से |
चरित्र न बिकता पैसो से |
यह तो इंसान के संस्कारों की खेती से है निकलते |
गर इन्सान के संस्कार की खेती ही है दूषित तो इंसान के चरित्र की पैदावार भी होगी दूषित |
इसलिये उत्तम चरित्र है अगर पाना |
तो माता पिता द्वारा दिये गये उत्तम संस्कारों पर ही होगा चलना |