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संक्षिप्त परिचय: आपका शुभ नाम दीपक राजोरा हैं ।आप राजस्थान के दौसा जिले के छोटे-से गांव रजवास(शेंर सिंह) के निवासी हैं। आप साहित्यिक-संसार में "D.K. उदास" के उपनाम से जाने जाते हैं। आपकी लेखन-कला, चित्र-कला में बचपन से ही रुचि थी।आपने मैकेनिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अध्ययन कार्य किया।और वर्तमान समय में आप चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।आपके मौलिक विचार Facebook, Utube channel,Yourquote app, Nojoto app पर पढ़ें व देखें जा सकते हैं।आप FADED LOVE,JAAYAJ ISHQ,मेरे अहसासों के अल्फ़ाज़,Secret cursh, प्यार : दिल का एहसास आदि संकलित किताब के सह-लेखक भी हैं। Email Id : dkrdausa@gmail.com Mob.- 08741826832 Utube channel : https://youtube.com/channel/UC9yCtXEfdMtCixzMJjieWuA Nojoto app : https://nojoto.page.link/Wq7m Yourquote app : https://www.yourquote.in/deepak-rajora-bcyv8/quotes/kya-aap-mughe-bhi-like-kroge-kya-r7b34

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मां की ममता

मां की ममता

यह किताब मां की ममता को बड़े ही सुन्दर ढंग से समझाती हैं। इसमें कवि मां के विभिन्न भाव-भंगिमाओं के माध्यम से पाठकों को मां की ममता के महत्व को बड़े ही सारगर्भित व काव्यात्मक शैली में समझाता हैं। इसमें मां कभी डांटती है,तो कभी प्यार करती नजर आती है,इस

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ईबुक:

₹ 14/-

मां की ममता

मां की ममता

यह किताब मां की ममता को बड़े ही सुन्दर ढंग से समझाती हैं। इसमें कवि मां के विभिन्न भाव-भंगिमाओं के माध्यम से पाठकों को मां की ममता के महत्व को बड़े ही सारगर्भित व काव्यात्मक शैली में समझाता हैं। इसमें मां कभी डांटती है,तो कभी प्यार करती नजर आती है,इस

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मैं और मेरे अल्फ़ाज़

मैं और मेरे अल्फ़ाज़

यह किताब एक मन की व्यथा को अल्फ़ाज़ों के साथ पिरोती हुई हमारे जीवन की वास्तविक परिस्थिति को प्रदर्शित करती हुई एक अनमोल रचना हैं।

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मैं और मेरे अल्फ़ाज़

मैं और मेरे अल्फ़ाज़

यह किताब एक मन की व्यथा को अल्फ़ाज़ों के साथ पिरोती हुई हमारे जीवन की वास्तविक परिस्थिति को प्रदर्शित करती हुई एक अनमोल रचना हैं।

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कर ली आज अल्फ़ाज़ों से बात

5 नवम्बर 2024
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हिम्मत ना होती थी कि कर पाऊंगा कभी मन की बात... इसी कशमकश में यारों सोचता रहता था दिन और रात... जब से दुनियां रो रोकर पुछती है और हंसकर बता देती हैं... जज्बातों ही जज्बातों में आखिर इंसान को सता

अल्फ़ाज़ संग दिल का दर्द

3 नवम्बर 2024
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दिल-ए-दर्द किसको बताये आजकल, कोई सुनता नहीं हैं... किसी को देखकर युं नैन-ए-कारवां ख्वाब बुनता नहीं हैं... सुनाना किसी को दिल-ए-हाल अब पहले सा नहीं रहा हैं... सोचते-सोचते दिल और कहीं, और दिमाग कही

अल्फ़ाज़ों से दोस्ती

2 नवम्बर 2024
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कभी मैं भी था अकेला, गुमसुम उदास सा... रहा था कभी आखिर मैं भी,कभी बिंदास सा... क्या पता और क्यों,लोग दूर होते जा रहें थे... रिश्तें भी अब तो दोस्तों, हाथों से खोते जा रहें थे... जज्बातों में भी मु

मां के साथ बिताए पल

29 अक्टूबर 2024
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मां के साथ बिताया हर लम्हा, दोस्तों मेरे लिए खास था... मां की ममता का ये सुनहरा, मेरे लिए अहसास था... स्कूल के फटें कपड़ों को, मां लड़-लड़कर सी देती थी... मेरे मना करने पर भी मां,रोटी में भरकर घी

मां के लिए उपहार

28 अक्टूबर 2024
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इक दिन मैं स्कूल में, बैठा-बैठा कुछ सोच रहा था... मां का ख्याल कर खुद को, बार-बार नोंच रहा था... कि क्यों खुद का ख्याल मां नहीं रख पाती हैं ... लेता हूं उपहार मैं जब,दिवाली दोस्तों आती हैं...

मां की याद

28 अक्टूबर 2024
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याद मां की आती है,दोस्तों सबकी आंखें भर आती हैं... कभी शाम तो कभी सुबह, दोस्तों घर की याद दिलाती हैं... बैठी पेड़ की छांव में,कभी तपती दोपहरी के गांव में... आखिर मां याद आ जाती हैं, विचारों के अल

मां की नाराज़गी

28 अक्टूबर 2024
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मां का नाराज होना, कभी कभी सही होता हैं... ना मानें सही बात तो मां का दिल,मन ही मन रोता हैं... नाराज़गी में मेरी मां,कभी तो मुझे देखकर रो लेती हैं... कभी मेरी मां चिंता-मुक्त, निगाहें देखकर सो ले

मां ईश्वर का अंश

28 अक्टूबर 2024
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दोस्तों ईश्वर की मुरत, मां में सुबह-शाम रहती हैं... इसलिए तो हर को मां दुनियां भगवान कहती हैं... भगवान ना आये धरा पर, मां को भेज दिया... तकलीफ़ ना हों लाल को, मां की गोद की सैंज दिल...

मां की डांट

27 अक्टूबर 2024
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मां की डांट में भी दोस्तों,प्यार असीम मिलता हैं... जब बेटा  मुस्कुराकर, अपनी मां के गलें मिलता हैं... डांट में भी मां आखिर, प्यार संजोकर रखती हैं... इसी आशा में बेटों की अखियां, मां की सुरत तखती

मां के ख्वाब

27 अक्टूबर 2024
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बेटा देखें ख्वाब इसलिए,निज ख्वाबों को भुल जाती हैं... खुशी -खुशी मां जिम्मेदारियों के, फंदे पर झूल जाती हैं... धुप देखकर लाल के , इसलिए पल्लू से छांव कर देती हैं... फिर क्यों शिक्षित बहुएं, मां क

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