मां तेरी हर जरूरत, क्या मैं पुरी कर पाऊंगा...
जब पुकारेगी मां,तो क्या मैं दौड़ा चला आऊंगा...
हर समय मेरा ख्याल, कैसे रख लेती हों मां...
मैं सोता भी रहूं तो मेरी सुरत कैसे तख लेती हों मां...
खुद गीले में सोकर, मुझे सुखें में सुलाया था...
जब मैं नन्हा बालक, तेरी गोदी में आया था...
खुद से ज्यादा फिक्र मेरी,खुद से ज्यादा ऐतबार हैं...
संसार की खुशी से बढ़कर,मेरी मां का प्यार हैं...
ना शिकवा ना शिकायत, दिल में रह जाती हैं...
जब मेरी मां मुझें, मुस्कुरा कर बेटा कह जाती हैं...
खुद भुख से भुखी रहकर,मेरा पेट भर देती थी...
जब मैं थोड़ा रोता था तो, मां अपनी रोटी भी धर देती थी...
मुझे देखकर दुखी मेरी मां,मन ही मन रो लेती थी...
मुझे सैंज पर सुला कर मां, खुद कांटों पर सो लेती थी...