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देनदिनी लेखन प्रतियोगिता

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आ गई बारिश, आ गई बारिश। छम- छम करती आई हैं बारिश। आसमान काले बादल। जोर नाल  हैं गरजते बादल । फिर बरखा गिराते बादल। दूर बागो में बारिश में नाचे मोर। बारिश में अपने पंख फैलाकर पहले पाते मोर। बारिश मे

रजनी कौर   सोहनिया सुनखिया देखो देखो आई है पंजाबना। देखो बन मेलना आई है पंजाबना। गलो में पिपल के पत्तों पाए हुए हैं हार । सिर पर उनके सगी- फूल सवार। कईया दे पाए सुंदर सिल्क दे सूट ने। कईया

एक इंसान को मारती है ,गरीबी।                      इंसान की खवाईशो पूरा ना होने देती, गरीब एक इंसान के लिए श्राप होती है ,गरीबी।                दो वक्त की रोटी भी नही खाने देती ,गरीबी। एक इंसान को आग

                     जब मां हमे एक रुपया देती थी। हम बहुत खुश हो जाते थे। हम एक रूपया लेकर दुकान की तरफ भागते थे। दुकान से एक रुपय की खाने की चीज लेकर आते थे          अब चाहे है हमारे पास लाखो हो रुप

मोर,मोर,मोर,मोर।    कितने सुन्दर पक्षी है मोर।          सब को अपनी सुन्दरता से भाता मोर।   देखो कितना सुन्दर है मोर। सिर पर मोर, के होती हैं कलगी।   मोर की पुश होती है रंग -बिरंगी।    पुश पे हैं डिज़

रंग-  बिरंगी सुंदर तितलियां।                                    फूलो पर बैठती तितलियां।                                     हर किसी के मन को भाती तितलियां।                     रंग-  बिरंगी सुंदर,…....

 करू मैं परमात्मा से यहीं अरदास मैं नहीं बनना चाहता आम या ख़ास। करू मैं परमात्मा से यहीं अरदास मुझे धन दौलत नही चाहीए बस मेरे अपने हो मेरे पास। करू मैं परमात्मा से यहीं अरदास मुझ पर अपनी किरपा यू ही

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जब से मोबाइल फोन आया है तब से बच्चो ने खेलना बंद किया है सारा दिन मोबाइल फोन में गेम ही खेलते हैं अब हमसे बात करना भी भूल गए हैं वो भी क्या दिन थे जब बच्चे, …………  वो भी क्या दिन थे जब बच्चे हस्ते खेल

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जिसकी हों ऊंची जात, वही नही ऊंचा, ऊंची जात के लोग करते है छोटी जात  वालो की निदेया और  भीटिया, देखना भी पसंद नही करते उनका परछाया जिस मानव की हैं ऊंची जाति उसमे क्रोध, वैर और किसी के लिए ना हो दया की

घर - बार त्याग कर, जंगलों में भटकते फिरते है जंगलों में कूद -मूल खाकर गुजारा करते फिरते है      कानो में मुद्रिया पाए और शरीर पर सवाह मली फिरते है जो, ऐसे भगवान की प्राप्ति में फिरते है जो अपने आप को

कभ परमात्मा ने हैं संसार बनाया यह बात आज तक कोई नही जान पाया। जब संसार बना तब कोन सा दिन था , तब कौन सी थी तिथी, कोन सी थी ऋतु अब तक कोई ना बता पाया। जो सिरजनहार इस जगत को करे पैदा। वही बता सकता है

करे कीर्त कमाई ईमानदारी से । जरूरतमंदों की सहायता करे ,अपनी कमाई से बाट कर खाना चहिए साथ सब के।  एक दिन खाने की मदद से पेट भरेगा एक दिन, वह मगता रह जाएगा फिर, हे मानव  जरूरतमंदों की ऐसी सहायता कर, वह

कुदरत ने हमे बहुत कुछ है दिया।                              हमारी कितनी जरूरतों को पूरा है किया।                  कुदरत की देन का एसान आज तक कोई नही चुका पाया ।          कुदरत ने हमे पीने को पानी , क

हमारी किस्मत, खुद नही बदलती किस्मत को हमे बदलना पढ़ता है हमारे माता पिता तो हमें रास्ता दिखा सकते है उस रस्ते पे हमे खुद चलना पढ़ता है।   जो किस्मत बदलने के सहारे बैठ जाता है मुश्किलों को पार करने से

कितने ही शाहिदो ने हमारे देश                         की धरती को आजाद है करवाया             आज हमारे लिए 26 जनवरी का दिन है लाया  आजाद धरती मां के लिए अपनी जाने कुर्बान          कर किसी की  गुला

राम, शाम और मिनी  दादी जी के पास है जाते दादी जी से कहानी सुनाने के लिए है कहते।              दादी जी भी बच्चो से कहती आयो बच्चो तुम्हें सुनाए कहानियां और तुम्हे  बताए बाते  पुरानी । राम दादी से स

जिन्हे बनी बनाई रोटी आसानी से हो जाती हैं नसीब, वही लोग रोटी की कीमत नही है पाते , बनी बनाई रोटी पे अनेको नखरे है दिखाते,,,,,,,,,,,,,,,,, जिन्ह लोगों को सारा दिन काम करके भी दो वक्त की  रोटी भी बड़ी

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