सारांश
20 अगस्त 2023
मेरा नाम रजनी कौर है। मेरे पिता का नाम मंदा सिंह और माता का नाम शिंदो कौर है। मेरे चार भाई बहन और हैं और मैं अपने भाई बहनों मे तीसरे स्थान पर हूं। मेरा जन्म 2 अगस्त 2004 को श्री मुक्तसर साहिब जिले मे हुआ। मैं श्री मुक्तसर साहिब जिले की तहसील मलोट के एक छोटे से गांव मलवाला कटोरेवाला की रहने वाली हूं। मैंने अपनी दसवीं कक्षा की पढ़ाई अपने ही गांव के सरकारी हाई स्कूल से की है। चूंकि ये स्कूल केवल दसवी कक्षा तक ही सीमित , आगे की पढ़ाई के लिए छात्रों को शहर जाना पड़ता है और स्थानीय बसों में सफर करना पड़ता है, जिसके लिए प्रतिदिन किराया चाहिए होता है। मेरे घर की आर्थिक हालत खराब होने के कारण मेरे लिए प्रतिदिन किराया ले जाना संभव नहीं था। इसलिए मैं अपनी आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख पाई और दसवीं कक्षा तक ही सीमित रह गई। मेरे घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण मेरी पढ़ाई तो छूट गई लेकिन मेरे अंदर की पढ़ने लिखने की रुचि खत्म नहीं हुई। मुझे शुरुआत से ही पढ़ने लिखने का बहुत शौक था। मै अपनी कक्षा में हमेशा अव्वल आती थी। मैंने दसवीं कक्षा में भी 100 में से 100 अंक प्राप्त किए थे। जब मैं दसवीं कक्षा पास करके घर पर बैठ गई तो मुझे अपना पढ़ा लिखा होने बेकार लगने लगा। क्योंकि आज कल के ज़माने में दसवीं पास को कोई कुछ नहीं मानता। ऐसे ही ख्यालात मेरे मन में आते जाते रहते और मैं अपने आप को असहाय महसूस करने लगी। इन्हीं ख्यालातों से छुटकारा पाने के लिए मैं किताबें पढ़ने लगी। मेरे पास जब भी खाली समय होता तो मैं किताबें पढ़ती। ऐसे ही किताबें पढ़ते - पढ़ते मेरे अंदर भी विचारों के समंदर की लहरें उठने लगी और मेरे अंदर भी लिखने का जनून सवार होने लगा। फिर मैंने कुछ कहानियां लिखनी शुरू की लेकिन इन कहानियों को केवल मैं ही पढ़ पाती। मैं चाहती थी कि मेरी कहानी को और लोग भी पढ़े। फिर मैंने यूट्यूब पर सार्
जैसा कि मेरी पुस्तक के नाम से ही पता चल रहा है कि ये पुस्तक औरतों पर लिखी गई है। मैंने अपनी इस किताब मे औरतों की स्थिति को उजागर किया है। मैंने इसमें दिखाने की कोशिश की है कि किस प्रकार औरतों से उनकी आजादी सिर्फ ये कहकर छीन ली जाती है कि वो औरतें हैं
जैसा कि मेरी पुस्तक के नाम से ही पता चल रहा है कि ये पुस्तक औरतों पर लिखी गई है। मैंने अपनी इस किताब मे औरतों की स्थिति को उजागर किया है। मैंने इसमें दिखाने की कोशिश की है कि किस प्रकार औरतों से उनकी आजादी सिर्फ ये कहकर छीन ली जाती है कि वो औरतें हैं
मैने बीतिया वेला नाम की किताब लिखी है, जिसमें मैंने बीते समय के दृश्यों को बियान करने की कोशिश की है। जिसमे मैंने हमारे बीते समय में हमारे बजुर्गों की कुछ ऐसी झलकियों को पेश करने की कोशिश की है जिसकी आज के समय में अहमियत कम होती जा रही है। मेरा इस कि
मैने बीतिया वेला नाम की किताब लिखी है, जिसमें मैंने बीते समय के दृश्यों को बियान करने की कोशिश की है। जिसमे मैंने हमारे बीते समय में हमारे बजुर्गों की कुछ ऐसी झलकियों को पेश करने की कोशिश की है जिसकी आज के समय में अहमियत कम होती जा रही है। मेरा इस कि
मेरी पुस्तक का नाम बशीरा है। मैने अपनी इस पुस्तक में बशीरा नाम के एक व्यक्ति के बारे में लिखा है। बशीरे के जरिए मैंने यह समझाने की कोशिश की है,कि जो लोग खुद को बदकिस्मत समझते हैं ,और भगवान को कोसते हैं कि हमें हीं भगवान ने इतने दुख दिए । उनको यह समझ
मेरी पुस्तक का नाम बशीरा है। मैने अपनी इस पुस्तक में बशीरा नाम के एक व्यक्ति के बारे में लिखा है। बशीरे के जरिए मैंने यह समझाने की कोशिश की है,कि जो लोग खुद को बदकिस्मत समझते हैं ,और भगवान को कोसते हैं कि हमें हीं भगवान ने इतने दुख दिए । उनको यह समझ
मानव जीवन में जंगल बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जंगल मानव की बहुत सी जरुरतों को पूरा करते हैं। जंगल बहुत सी लकड़ियां प्रदान करते हैं। जो हमारे अलग -अलग कामों के लिए उपयोग की जाती है। जैसे कि भोजन पकाने के लिए, फर्नीचर बनाने के लिए , कुर्सी
मानव जीवन में जंगल बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जंगल मानव की बहुत सी जरुरतों को पूरा करते हैं। जंगल बहुत सी लकड़ियां प्रदान करते हैं। जो हमारे अलग -अलग कामों के लिए उपयोग की जाती है। जैसे कि भोजन पकाने के लिए, फर्नीचर बनाने के लिए , कुर्सी
मेरी यह पुस्तक जिंदगी के महत्व के बारे मे है। जिंदगी जो दुनिया का सबसे रहस्यमई राज़ है। इस राज़ का ना तो कोई आज तक पता लगा पाया है और ना ही कोई लगा पाएगा। कोई नहीं जानता कि इस दुनिया में उसे कब तक जीवित रहना है और ना ही कोई यह जान पाया है कि एक बार म
मेरी यह पुस्तक जिंदगी के महत्व के बारे मे है। जिंदगी जो दुनिया का सबसे रहस्यमई राज़ है। इस राज़ का ना तो कोई आज तक पता लगा पाया है और ना ही कोई लगा पाएगा। कोई नहीं जानता कि इस दुनिया में उसे कब तक जीवित रहना है और ना ही कोई यह जान पाया है कि एक बार म
मैने अपनी पुस्तक, सफलता की ओर, में एक विधवा औरत की कहानी लिखी है। जिसका नाम सुरजीत है। सुरजीत ने अपनी बेटी को पढ़ा लिखा कर । अपनी बेटी को अपने पैरों पर खड़ा किया। सुरजीत से बहुत लोगों ने कहा कि मिनी को पढ़ाने लिखाने का तुम्हें क्या फायदा। इसने तो अपन
मैने अपनी पुस्तक, सफलता की ओर, में एक विधवा औरत की कहानी लिखी है। जिसका नाम सुरजीत है। सुरजीत ने अपनी बेटी को पढ़ा लिखा कर । अपनी बेटी को अपने पैरों पर खड़ा किया। सुरजीत से बहुत लोगों ने कहा कि मिनी को पढ़ाने लिखाने का तुम्हें क्या फायदा। इसने तो अपन
मेरे द्वारा रचित पुस्तक आखरी इच्छा में मैंने एक विधवा मां की आखरी इच्छा की कहानी लिखी है। जो काल्पनिक रचना है। जिसमें एक मां की आखरी इच्छा थी कि वह डॉ बने। लेकिन समाज में चल रही नैतिक बुराईयों की वजह से उसके घर वालों ने उसकी शादी कर दी। कहानी एक वि
मेरे द्वारा रचित पुस्तक आखरी इच्छा में मैंने एक विधवा मां की आखरी इच्छा की कहानी लिखी है। जो काल्पनिक रचना है। जिसमें एक मां की आखरी इच्छा थी कि वह डॉ बने। लेकिन समाज में चल रही नैतिक बुराईयों की वजह से उसके घर वालों ने उसकी शादी कर दी। कहानी एक वि
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