ज्ञान राशि के महा सिन्धु को, तम आच्छादित जगत इंदु को, पुरा सभ्यता के केंद्र बिंदु को, नमस्कार इसको मेरे बारम्बार । रूप रहा इसका अति सुंदर, वैभव इसका जैसा पुरंदर, स्थिति भी ना कम विस्मयकर, है
मेरा प्यारा भारत देश, सुन्दर निराला तेरा वेश, मस्तक पर श्वेत चन्द्रिका लिए हिम का मुकुट बना लिया, गंगा बना रखी है तूने अपना यज्ञोपवीत, प्राचीन सभ्यता और यहाँ की रीत, मेरे प्यारे देश रहे तेरा
देशभक्ति भावना को उजागर करने के लिये ज्ञान को समझने और खोजने की उर्जा सच्चे दिल से जागनी चाहिए। उच्च देशभक्ति के गुण मे पवित्रता के साथ अहिसा ,प्रेम,संयम,साहस,एकता एवं बलिदान का उद्देश्य ही तपस्या
मैं कट्टर नहीं हूं स्वयं को भारतीय कहना, मानव कहना कट्टरता नहीं है; अपनी जड़ों से जुड़े रहना; जो समूचे विश्व को एक माने, एक कुटम्ब माने, ऐसी जड़ों से जुड़े रहना कट्टरता नहीं है।