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धापू भाग 1(नाम में क्या रखा है जनाब )

9 अक्टूबर 2023

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ये कहानी, राजस्थान की एक ग्रामीण लड़की की है जिसका नाम धापू है । धापू का मतलब है तंग आ चुके है । बहुत  से लोग कहते मिल जायेगे नाम में क्या रखा है जनाब  ??
काम से मतलब रखिये ।
पर नहीं नाम हमारी पहचान मुकाम से लेकर समाज में होने का आजीवन गवाह है । हिंदू धर्म के सिद्धांतानुसार नाम का प्रभाव  नामी में भी पड़ता 
है । 

यह हमारी पहचान ही नहीं बताता है बल्कि यह हमारे व्यक्तित्व, स्वभाव, बर्ताव और भविष्य पर भी प्रभाव डालता है । जिस व्यावहारिक जगत में रह रहे हैं उसमें दो ही चीजें नाम और रूप व्याप्त हैं ।

नाम माता-पिता की सोच का भी सूचक होता है । राजस्थान के गांव, खेड़ा में लड़कियों की स्थिति बहुत ही सोचनीय है । 

"रामघनी" (हे भगवान बस बहुत बिटिया दे दी)
"हैचुकी "(बस बहुत हो गयी) 
"अंतिमा" (अंतिम ही हो )
और जो कुछ थोड़ी आधुनिकता के रंग में रंगे हैं वे "नाराजी", "मिस्ड काल" "फालतू "जैसे नाम रखते 
हैं । 
पश्चिमी राजस्थान के गांव में तो मैंने "माफी" नाम तक सुने ।

यह तो हुई नाम की बात । मैं जो यह कहानी धापू की लिख रही  हूं । यह एक ऐसी ही लड़की की कहानी है जिसने अपने नाम को परे रख अपना मुकाम बनाया है । ना तो उसे नाम से तनिक भी शर्मिंदगी थी और ना इससे कोई लेना देना। बस वह थी तो अपनी धुन की पक्की।

बस नाम मे क्या रखा है जनाब काम से मतलब रखिये की सोच को चरितार्थ करने वाली धापू । 

ये एक त्याग समर्पण विश्वास भरे प्यार की कहानी
 है । भीका जी (कुंवर सा ) इस कहानी के नायक हैं व धापू  प्रेमकथा की नायिका ।  इनका प्यार पल्लवित पुष्पित होता है या फिर😓😥 
जानने के लिए पढ़े ।🤔🤔

प्यार की एक अनोखी कहानी
धापू 💞🌹💞🌹💞🌹💞🌹💞


वह अपने माता पिता की 5 वीं संतान थी । उसका नाम धापू था । 4 उससे बड़ी बहनें उससे छोटा एक भाई प्रताप । चलिए यह तो हुआ मेरी कहानी की नायिका का परिचय ।

धापू- धापू !!!! स्कूल से हाफ डे की छुट्टी लेकर आ जाना अंदर से तेज आवाज में पुकारते हुए मासा ने कहा । धापू जवाब दिए बिना ही निकल गई उसे माशा के जल्दी बुलाने का मतलब अच्छे से पता
 था ।आज 15 दिन में 4 परिवार रिश्ते के लिए आ चुके थे पर ढाक के वही तीन पात ।

फोन से बाद में बोलते हैं कह कर  खा पी कर चले जाते पर किसी का फोन वापस ना आता । ऐसा भी नहीं था कि धापू देखने सुनने में अच्छी नहीं थी ।हां उसके पिता का बैंक बैलेंस जरूर कमजोर था । 

धापू सुंदर ,जहीन, सर्वगुण संपन्न हर नजर से सुयोग्य थी । पर उसके पिता इस  योग्य नहीं थे कि लड़के वालों की मांगों को पूरा कर सकें । एक मध्यमवर्गीय किसान थे । ऊपर से चार बड़ी बेटियों की शादी में कर्जदार हो चुके थे । 

पांचवें नंबर की धापू थी । उसके नाम से ही सब को ज्ञात हो जाता बेटियों की पैदाइश से तंग आ चुके हैं । धापू उन लड़कियों में से ना थी जो भाग्य को कोसती हैं या अपने नाम को लेकर शर्मिंदा होती हैं ।

वह तो अपनी भाग्यविधाता स्वयं थी लगन व निष्ठा की पक्की । धापू घर के कामों में मां का हाथ बटाती ,भाई को पढ़ने में मदद करती , यहां तक कि छुट्टी वाले दिन बापू को खाना लेकर देने खेत जाती तो बापू के साथ में बराबर से खेत का काम कराती ।

भाई प्रताप आठवीं में पढ़ रहा था स्वयं बारहवीं  में पढ़ रही थी ।उसने मासा से कई बार कहा अब तो मैं और प्रताप ही बचे हैं, आप मेरी लगन को क्यों इतना परेशान रहती हो । हो जाएगी पहले पढ़ तो लूं  । मुझे आगे पढ़ लिखकर अफसर बनना है । तुमको व बापू सा को पूरा देश घुमाना है ,चारों धाम की यात्रा करानी है । बोलते- बोलते अपने स्वप्न संसार में खो जाती ।

आगे की कहानी क्या मोड़ लेती है जानने के लिए पढ़े आगे के भाग क्रमशः
                     
 स्वरचित डा.विजय लक्ष्मी


Laxmi Tyagi

Laxmi Tyagi

एक नये शब्द से परिचय हुआ धापू कई बार लोग अपने व्यक्तित्व और नाम के विपरीत भी कार्य कर जाते हैं बेहतरीन लिखा मेरी रचनाओं पर भी दृष्टि डालिए 🙏👌👌👌

14 दिसम्बर 2023

Dr.Vijay Laxmi "अनाम अपराजिता"

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6 जनवरी 2024

प्रोत्साहन वर्धक समीक्षार्थ बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद लक्ष्मी जी🙏🙏 धीरे-धीरे एप समझ आ रहा है।आपकी रचनायें पढूंगी।

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रचनाएँ
धापू
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धापू एक ऐसी लड़की की कहानी जिसका लक्ष्य है हर हाल में पढ़ाई को अपनी ढ़ाल बना आगे बढ़ना । वह एक ऐसे माहौल में रहने वाली लड़की है , जहां लड़कियों को हर तरह कमतर आंका जाता है । उनको पढ़ाना फिजूलखर्ची समझा जाता है । शादी भी दहेज के तौल होती है । धापू के मां-बाप अपनी कमजोर स्थिति के कारण आगे की पढ़ाई कराने से हाथ खड़े कर देते हैं । आखिर धापू पढ़ने के लिए क्या समझौता करती है जानने के लिए पढ़े प्यार भरे अहसास जज्बात की अनोखी कहानी धापू।
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ये कहानी, राजस्थान की एक ग्रामीण लड़की की है जिसका नाम धापू है । धापू का मतलब है तंग आ चुके है । बहुत से लोग कहते मिल जायेगे नाम में क्या रखा है जनाब ??काम से मतलब रखिये ।पर नहीं नाम हमारी

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