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दिग्विजय सिंह शेखावत -मणकसास- के बारे में

मेरे सीने में एक झरना है...... बस इसी बात का तो मरना है ।।

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दिग्विजय सिंह शेखावत -मणकसास- की पुस्तकें

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आत्मा ही परमात्मा है। परोपकार ही परम् सुख है। कर्म ही पूजा है।।

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