जो भूल जाते है वो गैर होते हैजो हर पल याद आते है वो अपने होते है
ये राहें ले ही जायेंगी मंजिल तक हौसला तो रखकभी सुना है कि अँधेरे ने सवेरा ना होने दिया
अपनों से मिला तजुर्बा सिर्फ इतना सीखाता हैउतना ही मिलों किसी से जितना वो मिलना चाहता है
सावन तेरी ज़ुल्फ़ों से, घटा माँग के लाया,बिजली ने चुराई है, तड़प तेरी नज़र से।
बूंदों की सरगम, हवाओं के गीत, बरसात में खो जाए दिल की हर प्रीत!हर बूँद कहती एक नई कहानी, बरसात में बिखरे इस दिल की रवानी!-DINESH KUMAR KEER
सुंदरता सस्ती है लेकिन चरित्र महंगा है घड़ी सस्ती है लेकिन वक्त महंगा है
"सपनों को सच करने से पहले सपनों को ध्यान से देखना होता है।”
दिल का दर्द छुपा कर बाहर से मुस्कुरा देना, कैसे कहें क्या होता है किसी को पाकर गँवा देना!
अश्क छुप - छुप कर बहाना है मुझेसबके आगे मुस्कुराना है मुझेएक तरफा इश्क़ की है ये सजाउस तरफ से भी निभाना है मुझे-दिनेश कुमार कीर
तुम्हारे बिना ये दिल उदास रहता है,हर लम्हा जैसे एक साजिश का हिस्सा है।तुम्हारे संग ही तो खुशियाँ है मेरी,तुमसे ही मेरी हर सांस जुड़ी है।
फूल खिलते हैं बहारों का शामा होता है,ऐसे ही मौसम में तो प्यार जवाँ होता है,दिल की बातों को होंठों से नहीं कहते हैं,ये फ़साना तो निगाहों से बयाँ होता है।
मैने मुस्कुरा कर जीत लिया दर्द अपना लोग मुझे दर्द देकर भी मुस्कुरा ना सके
धोखा दे जाती है अक्सर मासूम चेहरे की चमक...हर चमकते काँच के टुकड़े को हीरा नहीं कहते...!
तू शौक से कर सितम जितने भी तेरे बस में हैं... मैं भी तो देखूं कैसे कैसे तीर तेरे तरकश में हैं...
शब्दों का प्रयोग सावधानी से करिए साहब, ये परवरिश का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करते हैं ...!(कृपया शालीनता से टिप्पणी करें और गलत भाषा का चयन करके अपनी गलत मानसिकता प्रकट न करें)-दिनेश कुमार कीर
सिर झुका कर उसकी हर बातें सुनी जाती है,पसंदीदा स्त्री से बहस नहीं की जाती है...-दिनेश कुमार कीर
जिंदगी मिलती सबको एक सी है,बस इसे जीने के तरीके अलग होते हैं।-दिनेश कुमार कीर
मंजिल की तलाश में चले कितने हैं पैर ये कांटों से छिले कितने हैं कामयाबी के इस शोर के पीछेजीत हार के सिलसिले कितने हैं-दिनेश कुमार कीर
जो पानी से नहाएगा वह सिर्फ लिबास बदलेगा पर जो पसीने से नहाएगा वो इतिहास बदलेगा-दिनेश कुमार कीर
उड़ान तो भरनी है, चाहे कितनी बार भी गिरना पड़ेसपनो को पूरा करना है, चाहे खुद से भी क्यों न लड़ना पड़े-दिनेश कुमार कीर