कितनी बातें जो महज ख्वाहिश ही रहीतुम चाहते तो इन आंखों में पढ़ सकते थे
सावन तेरी ज़ुल्फ़ों से, घटा माँग के लाया,बिजली ने चुराई है, तड़प तेरी नज़र से।
रिश्तो का संबंध केवल खून से नहीं होता मुसीबत में जो हाथ थाम ले उससे बड़ा कोई रिश्ता नहीं होता
मोहब्बत इतनी कि उसके सिवा कोई और ना भाएइंतज़ार इतना कि मिट जाए पर किसी और को ना चाहे
लबों पर मुस्कराहट है हज़ारों चोट खाकर भी, हम अपने अश्क बैठे हैं ये पल्कों से दबा कर भी, दिल में जलाए प्यार की इक आस बैठा हूँ, वो क्या जाने दिलों की रोशनी को अब बुझा कर भी!
बूंदों की सरगम, हवाओं के गीत, बरसात में खो जाए दिल की हर प्रीत!हर बूँद कहती एक नई कहानी, बरसात में बिखरे इस दिल की रवानी!-DINESH KUMAR KEER
सिद्दत से काटा है हर पल तेरे साथयू ही खूबसूरत नहीं लगती तेरी यादें
सुंदरता सस्ती है लेकिन चरित्र महंगा है घड़ी सस्ती है लेकिन वक्त महंगा है
"गिला भी तुझ से बहुत है मगर मोहब्बत भी वो बात अपनी जगह है ये बात अपनी जगह"
कहीं होकर भी मैं नहीं हूंँ, कहीं न होकर भी हूँ, बडी कश्मकश में हूँ, कि कहाँ हूंँ और कहाँ नहीं हूँ!
हर वक्त जिन्दगी से गिले शिकवे ठीक नहीं, कभी तो छोड़ दीजिए कश्तियों को लहरों के सहारे!
बारिश की बूंदे भी कुछ तुम्हारी जैसी हो गई, हमने छतरी तो लगाई पर वो मुझे भिंगो गई!
पुरुष जो, लंबे समय से, संचित कर रहे होते है अपने दुःख, किसी करीबी के आ जाने पर, लावा की तरह फूट पड़ते है
"सपनों को सच करने से पहले सपनों को ध्यान से देखना होता है।”
हर कोई यहां फसा हुआ है वक्त की जंजीरों में, हर कोई यहां हंसता है केवल तस्वीरों में!
जरूरी नहीं है की इश्क बाहों के सहारे मिलें,किसी को जी भर के महसूस करना भी मोहब्बत है!
तेरी मोहब्बत पर मेरा हक तो नहीं पर दिल चाहता है आखरी सांस तक तेरा इंतजार करूँ
एक अरसे से वो कह रही है कि मैं तेरी ही तो हूँ, और सच तो ये है कि वो सिर्फ कहती ही तो है!
फिर आसमान में काली घटा छाई है, पत्नी ने फिर दो बाते सुनाई हैदिल कहता है सुधर जाऊँ, मगर पडोसन फिर भीग के आई है
ज़र्रा-ज़र्रा समेट कर खुद को बनाया है हमने,हम से यह ना कहना की बहुत मिलेंगे हम जैसे!