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करवाचौथ

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तुम्हारें बिछड़ने का मलाल नहीं चाहताइसलिए तुम्हें हर हाल में पाना चाहता हूँ

मुद्दत बाद उसने पूछा, कहां रहते हो हमने मुस्कुरा के कहा, तुम्हारी तलाश में

रेस वो लोग लगाते है जिसे अपनी किस्मत आजमानी हो, हम तो वो खिलाडी है जो अपनी किस्मत के साथ खेलते है! 

महकता रहेगा हमेशा मेरा ख्याल तुम्हारे मन मेंतेरे न चाहने पर भी हम तुझे याद आया करेगें 

बरसात की सुबह आई, लेकर ताज़गी की बहार,धरती पर बिखरी हरियाली, झूम उठे पेड़-पहाड़।फूलों पर ओस की बूंदें, चमक उठी जैसे मोती,नवीन जीवन की कहानी, कह रही है ये ज्योति।पंछी गा रहे गीत नए, नदियाँ बहती अविरल,आ

यदि ये चेहरे बयां करते जज़्बात दिलों के          तो शायद इन एहसासों की जरूरत न होती         यदि महज़ कहने से कोई अपना हो जातातो शायद रिश्ते निभान

झुकी-झुकी-सी नज़र बे-करार हैं कि नहीं दबा-दबा-सा सही दिल में प्यार हैं कि नहीं

तेरी मुस्कराहट की है बात, जैसे खिला हो गुलाब,हर लम्हा बन जाए हसीन, हर ख्वाब हो जाए आबाद।तेरी हंसी की मिठास में, घुली है चाशनी सी,जैसे चांदनी रात में, चमके चांदनी सी।मुस्कराहट तेरी देख के, दिल भी हैरान

एक चांद आसमान में, दूसरा जमीं पर खिला,दोनों की रौशनी से, जग सारा हीरा बन गया।आसमानी चांद की चमक, जमीं के चांद का प्यार,इन दोनों के मिलन से, सजी रात की बहार।सितारे भी शर्मा गए, इस रोशनी के आगे,एक चांद

वफ़ा की जंजीर से डर लगता है, कुछ अपनी तक़दीर से डर लगता हैजो मुझे तुझसे जुदा करती है, हाथ की उस लकीर से डर लगता है

लबों पर मुस्कराहट है हज़ारों चोट खाकर भी, हम अपने अश्क बैठे हैं ये पल्कों से दबा कर भी, दिल में जलाए प्यार की इक आस बैठा हूँ, वो क्या जाने दिलों की रोशनी को अब बुझा कर भी! 

बूंदों की सरगम, हवाओं के गीत, बरसात में खो जाए दिल की हर प्रीत!हर बूँद कहती एक नई कहानी, बरसात में बिखरे इस दिल की रवानी!-DINESH KUMAR KEER

सिद्दत से काटा है हर पल तेरे साथयू ही खूबसूरत नहीं लगती तेरी यादें

मत सोना किसी की गोद में सिर रखकर, जब ये बिछड़ते है ना तो रेशम के तकियों पर भी नींद नहीं आती! 

पुरुष जो, लंबे समय से, संचित कर रहे होते है अपने दुःख, किसी करीबी के आ जाने पर, लावा की तरह फूट पड़ते है

तेरे साथ कितनी हसीन थी ज़िंदगीअब तेरे बिना बस सज़ा है ज़िंदगीतेरे साथ कितने मज़े में थी ज़िंदगीअब तेरे बिना बड़ी बेमज़ा है ज़िंदगीकभी तूने ही संवारी थी मेरी ज़िंदगीफिर क्यों तूने उज़ाड़ दी मेरी ज़िंदग

फूल खिलते हैं बहारों का शामा होता है,ऐसे ही मौसम में तो प्यार जवाँ होता है,दिल की बातों को होंठों से नहीं कहते हैं,ये फ़साना तो निगाहों से बयाँ होता है।

वो हर बार पहली मुलाकात की तरह मिलती है मुझसे... मुझे हर बार पहली नज़र का इश्क़ हो जाता है उससे... 

लफ्ज़ कम है लेकिन बहुत प्यारे हैं, तुम हमारे हो ओर हम तुम्हारे हैं।

कितना "बेईमान" है ये" दिल..."धड़क रहा "मेरे लिए           "तड़प रहा तेरे" लिए...-दिनेश कुमार कीर

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