चुपके - चुपके वो हमारी हर लेख पर नजर रखते हैंदेखकर चेहरे की मुस्कुराहट वो कई सवाल करते हैं काश कि पढ़ लेते वो हृदय के भाव हम सीने में कितने घाव गहरे रखते हैं-दिनेश कुमार कीर
स्त्री , शक्ति, व ममता की प्रतीक,समर्पण,सौन्दर्य, साहस की लीक।तुम,सृजन की हो अनमोल धरोहर।कांपती नहीं,आत्मविश्वास से भरपूर,समाज के रंग-मंच पर है शिनाख्त।स्त्री,जीवन की मिसाल है विख्यात हर कदम आगे
अहंकार भी ज़रूरी है जब बात - अधिकार, चरित्र और सम्मान की हो इनपर उँगुली उठाने वाला पद में कितना बड़ा ही क्यों न हो मेरी नज़रों में वो बहुत ही छोटा हो जाता है ।-दिनेश कुमार कीर
मैं ठहरा फूल सा,कांटों के है किनारे।फिर मुझको कैसे तोड़ गए,मैं था उनके ही सहारे।।-दिनेश कुमार कीर
-नारी तुम हो महान नारी तुम तो हो महान, नारी तुम सकल गुणों की खान। धर्म, कर्म, नेह, प्यार , त्याग, धार सहनशीलता और अनुराग। मायके या खुद का ससुराल, दोनों घर की रखती तुम लाज। अपनी