कामचोर को टोंकते, निकल जायेगा दम, उसका काम करे कोई और, वह बैठे हो बेशर्म। (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नीलपदम्"
कामचोर की आँख में, होत सुअर का बाल, देख अंदेशा काज का, लेत बहाना ढ़ाल । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नीलपदम्"
कामचोर का साथ यदि, कभी तुम्हें मिल जाय, नाश करे तासे पहले, भागो सिर रख कर पाँव । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "
कामचोर की मनः स्थिति, विकट अनोखी होय, तरु पीपल उगा दीवार पर, ये कहे छाया होय । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "
कामचोर ने है किये, आजीवन येही काम, हर स्थिति को कोसना, खाना, सोना, आराम । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"
कामचोर देखे सदा, कहाँ बहाने चार, झूठे दर्द, झूठी दलीलें, हैं उसके औजार । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"
अनबनी बारिश है कुछ ऐसी, जिसका कुछ पता नहीं। कब बरसे, कब निकल जाए सूरज। गर्मी का मौसम, उम्मीद जगाते बादल। न जाने कब बरस पड़े, लेकर ठंडी हवा का कलेवर। अनबनी बारिश है कुछ ऐसी, जिसका कुछ पता नहीं। बूंदा ब
*विश्व हास्य दिवस*विश्व हास्य दिवस परजोर का ठहाका लगाओहँसो और हँसाओचारों ओर खुशियाँ फैलाओ।सिर्फ एक दिन ही क्योंरोज हँसने का बहाना ढूँढ लाओअपनों के साथ ठिठोली"दीप" गैरों को गले लगाओ।बच्चों के साथ बच्चे