shabd-logo

दिवाली में जलते हैं पैसे

13 नवम्बर 2023

25 बार देखा गया 25

होती थी यह वर्षों पहले

जब दिवाली में जलते थे दिये

पर अब चाहे हो जैसे

दिवाली में जलते हैं पैसे

छोड़ते हैं बम-पटाखे

और छोड़ते हैं रॉकेट

फैलाते है प्रदुषण

बढ़ाते हैं बीमारी

चाहे हो जैसे

पर दिवाली में जलते हैं पैसे

दिवाली में दिये अब जलते नहीं

दिये के स्थान पर है अब मोमबत्ती

मोमबत्ती का स्थान भी ले लिया अब बिजली

बिना बिजली के नहीं होता अब दिवाली

पर आपस में खुशियां बाँटने के जगह

खेलकर जुआ करते हैं पैसे की बर्बादी

चाहे हो जैसे

पर दिवाली में जलते हैं पैसे

दिवाली में जलते हैं पैसे

- महेश कुमार वर्मा

1
रचनाएँ
महेश की कविता
0.0
इस पुस्तक में महेश कुमार वर्मा द्वारा लिखित कविताओं का संकलन किया गया है।

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए