होती थी यह वर्षों पहले जब दिवाली में जलते थे दिये पर अब चाहे हो जैसे दिवाली में जलते हैं पैसे छोड़ते हैं बम-पटाखे और छोड़ते हैं रॉकेट फैलाते है प्रदुषण बढ़ाते हैं बीमारी चाहे हो जैसे पर दिवाल
आई दिवाली खुशियों वाली,खुशियों के सब दीप जलाएं,कोई दुःखी न हो इस जग में,ऐसा प्रभु से आशीष हम पाएं।आई अमावश की काली रात है देखो,मिलजुल कर सब दीप जलाएं,एक से मिलकर एक दीप जलाकर,हम जग को रौशन कर जाएं।न स
कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को पंच दिवसीय दीपोत्सव का आरम्भ भगवान धन्वन्तरी की पूजा-अर्चना के साथ शुरू होकर भाई दूज तक मनाया जाता है, जो सुख, समृद्धि का खुशियों भरा दीपपर्व ’तमसो मा ज्योतिर
दीपावली पर जगमग रोशन,हर्षित पुलकित है बालमन,इधर-उधर वो डोल रहे हैं,खूब पटाखे फोड़ रहे हैं।कोई चिटपिट, कोई फुलझड़ी,कोई चरखी चला रहे हैं,कोई मस्त हो अनार चलता,कोई व्यस्त हो साँप बनाता, कोई रॉकेट छोड़
💫⚡🌟🌻💥🌈 दीपावली बड़ी बड़ी खुशियाँ लाये छोटी दीपावली छोटी छोटी इच्छाएँ पूरी करे बड़ी दीपावली कष्टों से रक्षा करें गोवर्धन मजबूत करे भाईदूज स्नेह का बंधन पर्वों की यह श्रृंखला सुखकारी हो अनन्
दिपावली है रोशनी का त्योहार, सभी के मन में है खुशियों कीदीपावली
इस दीवाली सबके हृदय में दया , शांति, करुणा और क्षमा का उदय हो, क्रोध और ईर्ष्या का नाश हो और प्रे
इस दीवाली आओगे न ? मित्रों, चार नवम्बर को दीपावली का प्रकाश पर्व है... हम सभी
आज दीपोत्सव की सभी को अनेकशःहार्दिक शुभकामनाएँ...माटी के ये दीप जलानेसे क्या होगा, जला सको तो स्नेह भरे कुछ दीप जलाओ |दीन हीन और निर्बल सबहीके जीवन में स्नेहपगी बाती की उस लौ को उकसाओ ||दीपमालिका मेंप्रज्वलित प्रत्येक दीप की प्रत्येक किरण हम सभी के जीवन में सुख, समृद्धि,स्नेह और सौभाग्य की स्वर्णिम
आओ हम सब मिलकर ऐसा दीप जलाएँआओ हम सब मिलकर ऐसा दीप जलाएँदीप बनाने वालों के घर में भी दीये जलाएँचीनी हो या विदेशी हो सबको ढेंगा दिखाएँअपनों के घर में बुझे हुए चूल्हे फिर जलाएँअपनें जो रूठे हैं उन्हें हम फिर से गले लगाएँ।आओ हम सब मिलकर ऐसा दीप जलाएँजो इस जग में जगमग-जगमग जलता जाएजो अपनी आभा को इस जग म
आज धन्वन्तरी त्रयोदशी –जिसे धनतेरस भी कहा जाता है – का पर्व है, और कल दीपमालिका के साथ धन की दात्रीमाँ लक्ष्मी का आह्वाहन किया जाएगा... धन, जो है उत्तमस्वास्थ्य का उल्लास… धन, जो है ज्ञान विज्ञान का आलोक… धन,जो है स्नेह-प्रेम-दया आदि सद्भावों का प्रकाश… सभी का जीवन इससमस्त प्रकार के वैभव से समृद्ध र
दीपों की जगमग है दिवाली दीपों का श्रृंगार दिवाली है माटी के दीप दिवाली मन में खुशियाँ लाती दिवाली || रंगोली के रंग दिवाली लक्ष्मी संग गणपति का आगमन दिवाली स्नेह समर्पण प्यार भरी मिठास का विस्तार दिवाली अपनों के संग अपनों के रंग में घुल जाने की प्रीति दिवाली हाथी घोड़े मिट्टी के बर्तन फुलझड़ियों का
मन में जोद्वेष भरे हैं,दीपों की टीमटीम में सब जल जाएं। अगंध से जोदिल हैं हमारे,गेंदों की सुगंधसे महक जाएंभर जाएं । मुहब्बत जो अनकहेरह गए हैं,रंगोली के रंगोंसे खिल जाएंनिखर जाएं। इरादे जो डगमगसे हैं,गणपति सब पूरापक्का कर जाएं। जो मुश्किल है जीने में,लक्ष्मी अपने साथझोल
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँप्रिय मित्रों, प्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ |दीपमालिका में प्रज्वलित प्रत्येक दीप की प्रत्येक किरण आपके जीवनमें सुख, समृद्धि, स्नेह और सौभाग्य कीस्वर्णिम आभा प्रसारित करे…. दिवाली पर्व है प्रकाश का – केवल दीयों का प्रकाशनहीं, मानव हृदय आलोकित हो जिससे ऐसे स्नेहरस मे
आज छोटी दीवाली है, कल दीपमालिका के साथधन की दात्री माँ लक्ष्मी का आह्वाहन किया जाएगा | धन, जो हैउत्तम स्वास्थ्य का उल्लास... धन, जो है ज्ञान विज्ञान काआलोक... धन, जो है स्नेह-प्रेम-दया आदि सद्भावों काप्रकाश... सभी का जीवन इस समस्त प्रकार के वैभव से समृद्ध रहे इसी कामना के साथ सभीको दीपावली के प्रकाश
दीपावली जब से नजदीक आती जा रही है, मन अजीब सा हो रहा है। स्कूल आते जाते समय राह में बनती इमारतों/ घरों का काम करते मजदूर नजर आते हैं। ईंट रेत गारा ढोकर अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम करनेवाले मजदूर मजदूरनियों को देखकर यही विचार आता है - कैसी होती होगी इन
लक्ष्मीपूजन का मुहूर्तजैसा कि सभी जानते हैं कि दीपावली बुराई, असत्य, अज्ञान, निराशा, निरुत्साह, क्रोध, घृणा तथा अन्य भी अनेक प्रकार के दुर्भावोंरूपी अन्धकार पर सत्कर्म, सत्य, ज्ञान,आशा तथा अन्य अनेकों सद्भावों रूपी प्रकाश की विजय का पर्व है और इस दीपमालिका केप्रमुख दीप हैं सत्कर्म, सत्य, ज्ञान, आशा,