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दोहा

24 मई 2017

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उखडा मन पहचानिए, मन की गाथा जान

मन ही हाँ संसार में, लेता सारे मान।


कर्म करे फल एक है, कर्म बिना है कहाँ

सदभावन उच्च विचार, लेत अब कौन यहाँ।

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