लेखिका अध्यापिका
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जाना निश्चित है परंतु तिथि अनिश्चित। संसार में आने के बाद प्रथम कार्य जो हमने किया था वो था सांस लेना... और संसार से जाते समय जो अंतिम कार्य हमारे द्वारा किया जायेगा वो भी होगा आखिरी सांस लेना। इस प्र
खूबसूरत सा एक जहान बनाएं यारोंआओ खुद को जरा इंसान बनाएं यारोंकहने को भले ही यह दुनिया इंसानों से भरी पड़ी है पर इन सब में से वास्तव में कितने इंसान हैं यह कहना बहुत ही मुश्किल है। ज्यादा दूर क्यों जाए