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वह दर्द भरा है सभी के दिलो में ना जाने कब वह बाहर निकले।कब तक यूं ही सहते रहोगे सनातन पर कहर की पीड़ा,अब तो खड़क उठाओ।कमज़ोर हमें समझ बैठा है,अब तो रण भूमि में आओ।और कितने का बलिदान देखोगे और कितने का