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दुनिया और दुनियादारी

4 फरवरी 2024

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बड़ी अजीब है ये दुनिया 
अजीब-सी है दुनियादारी 
आधी दुनिया में फैली है 
भयंकर स्वार्थ की बीमारी 
स्वार्थ तो है ही भ्रम भी है 
अनंत काल तक जीने का 
खूबसूरत सा वहम भी है 
लोभ में पड़ते, छल करते 
समझ से ये हैं बड़े नादान 
छटाकभर ही इनको ज्ञान
अनंतकाल तक जीना है तो
धन-दौलत तो भरना होगा 
चाहे अपने हों या पराए हों  
इनको तो छलना ही होगा 
 परम सत्य से ये अनजान 
इनको ना इतना भी ज्ञान 
एक रोज़ जहाँ से जाएंगे 
जिस रोज़ जहां से जाएँगे 
धन-दौलत यहीं गवाएंगे 
बस कर्म ही संग ले जाएंगे  
पर फिर भी ना छोड़ेंगे ये 
करनी दुनियादारी 
ऐसी दुनियादारी……… 

         - तीषु सिंह ‘तृष्णा’
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रचनाएँ
सीख ही सबक
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काव्य संग्रह, जो संकलन है भावनाओं और ज़िंदगी के तजुर्बों से जुड़ी कविताओं का...
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2024 जंक्शन

4 फरवरी 2024
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धक्-धक् करती रेल हम जीवन अपनी पटरी है पटरी पर गाड़ी अपनी बस चलती रहती है कभी ये बाएं मुड़ती है कभी ये दाएं मुड़ती है पर गाड़ी तो पटरी पर बस चलती ही रहती है कभी लहर

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दोस्त

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4 फरवरी 2024
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4 फरवरी 2024
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4 फरवरी 2024
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बड़ी अजीब है ये दुनिया अजीब-सी है दुनियादारी आधी दुनिया में फैली है भयंकर स्वार्थ की बीमारी स्वार्थ तो है ही भ्रम भी है अनंत काल तक जीने का खूबसूरत सा वहम भी है लोभ म

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हे ईश्वर !

4 फरवरी 2024
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हे ईश्वर ! आपने जो मुझे दिया उसके लिए बहुत-बहुत शुक्रिया | आज ये कविता जो मैंने लिखी है मेरा लक्ष्य सिर्फ एक ही है | मेरे मन में छपे और इस पन्ने पर लिखे अक्षरों को आप पढ़

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8 फरवरी 2024
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