मेरा भी जब जन्म हुआ था , घर में ढोल बजा था
माँ ने प्रसव किया जिस घर में, घर भी खूब सजा था
खुशियाँ घर-आँगन में दौडी, रत्ती भर अवसाद नहीं था
इकलौती संतान थी शायद, इसीलिए प्रतिवाद नहीं था
बचपन सुखमय रहा, न जाना कब बीत गया था
वय-किशोर का अनुपम-अनुभव मेरे लिए नया था
अल्प-वयस्क हो गयी सगाई, पति का साथ मिला था
अब तक जो थी कली अछूती, अब वह फूल खिला था
प्रथम प्रसव के समय, मेरे सोलह सावन बीते
रुधिर-स्त्राव अति हुआ, संकट में पड़ी बबीते
रुधिर मुझे जो दिया, नहीं वह जांच कराया होगा
रुधिर संक्रमित था शायद, HIV लाया होगा
मेरे सतीत्व पर सासू माँ, कीचड़ न उछालो
मैं तो जा ही रही हूँ, अपना वंश बचा लो
नाथ कुछ दिन और मेरे दुर्दिन को झेलो
मुझसे रूठो नहीं और मेरे संग खेलो
गोरस से वंचित हो, इससे दु;सह दुःख सहते हो
गुमसुम रहते सदा और तुम दूर दूर रहते हो
इस दुःख का भी भोग करो, तुम इसका नहीं विरोध
इस दुःख में भी उपयोगी है, सबसे अधिक निरोध
मुझे अकिंचन छोड़ा, तो मैं जल्दी मर जाउंगी
वादे सात किये थे, कैसे पूरा कर पाऊँगी
जीवन की संध्या पर अब मैं करूँ भरोसा किसका
वह हमसे अब दूर हो रहा, लिया सहारा जिसका
प्राण-नाथ अंतिम इच्छा यह मेरी पूरी कर देना
अंत समय अपने हाथों से मांग सिन्दूरी कर देना