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एक अंतर्कथा

गजानन माधव मुक्तिबोध

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मुक्तिबोध की लंबी कविता 'एक अंतर्कथा' का संकलन।  

ek antarkatha

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पुस्तक के भाग

1

एक अंतर्कथा / भाग 1 / गजानन माधव मुक्तिबोध

6 अप्रैल 2023
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अग्नि के काष्ठ खोजती माँ, बीनती नित्य सूखे डंठल सूखी टहनी, रुखी डालें घूमती सभ्यता के जंगल वह मेरी माँ खोजती अग्नि के अधिष्ठान मुझमें दुविधा, पर, माँ की आज्ञा से समिधा एकत्र कर रहा हूँ मैं

2

एक अंतर्कथा / भाग 2 / गजानन माधव मुक्तिबोध

6 अप्रैल 2023
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आगे-आगे माँ पीछे मैं; उसकी दृढ़ पीठ ज़रा सी झुक चुन लेती डंठल पल भर रुक वह जीर्ण-नील-वस्त्रा है अस्थि-दृढ़ा गतिमती व्यक्तिमत्ता कर रहा अध्ययन मैं उसकी मज़बूती का उसके जीवन से लगे हुए वर्षा-गर

3

एक अंतर्कथा / भाग 3 / गजानन माधव मुक्तिबोध

6 अप्रैल 2023
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सपने से जागकर पाता हूँ सामने वही बरगद के तने-सरीखी वह अत्यंत कठिन दृढ़ पीठ अग्रगायी माँ की युग-युग अनुभव का नेतृत्व आगे-आगे, मैं अनुगत हूँ। वह एक गिरस्तन आत्मा मेरी माँ मैं चिल्लाकर पूछता – क

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एक अंतर्कथा / भाग 4 / गजानन माधव मुक्तिबोध

6 अप्रैल 2023
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वह कौन? कि सहसा प्रश्न कौंधता अंतर में – 'वह है मानव परंपरा' चिंघाड़ता हुआ उत्तर यह, 'सुन, कालिदास का कुमारसंभव वह।' मेरी आँखों में अश्रु और अभिमान किसी कारण अंतर के भीतर पिघलती हुई हिमालयी चट्ट

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