#एक कप कॉफी...
रात के 2 बज रहे है और नींद मेरी आँखों से काफी दूर है,थोड़ी एक्साइटमेंट है और जरा सा मैं नर्वस भी हु...क्योंकि कल मेरी अंश के साथ पहली डेट है...
मैं नही जानती की मुझे खुश होना चाहिए या उदास,खैर अभी इन सबसे परे सबसे बड़ी टेशन तो ये है कि क्या पहनू,कौन सी कलर अच्छी लगेगी,,ड्रेस के साथ कौन सी यरिंग मैच करेगी,बाल खुले रखूं या बांध लू ,क्या कहूंगी,क्या बात करुँगी इसी उधेर बुन में रात बीत गयी...!!
जी आप सब सोच रहे होंगे की मैं इतनी नर्वस क्यों हु...अंश कौन है...??
मैं बताती हूं न....
अंश मेरा बचपन का दोस्त,जो अब समय के साथ बड़ा हो गया है,चिपटी नाक,गोरा मुखड़ा,मुँहफट ,हाफ पैंट और कमीज डाले घूमने वाला वो लड़का अब 25 साल सलीके से सूट बूट पहनने वाला,बिना सोचे कुछ न बोलने वाला उसके चेहरे पर शरारती मुस्कान नही बल्कि अब बनावटी मुस्कान नजर आती है,जिंदगी की भाग दौड़ में शामिल हो गया है...!!
मैं और अंश बचपन में बहुत अच्छे दोस्त हुआ करते थे,कुछ दिन पहले ही वो अपने मम्मी पापा के साथ मुझे मिलने आया था,लगभग 13 साल बाद,सब आपस में बात कर रहे थे पर मैं और अंश दोनों ही छत की मुंडेर पर खड़े थे पर कुछ देर कोई बात नही हुई,
मैं उसे देख रही थी वो छत पर खड़े दुनिया देख रहा था ,मैंने उससे कहा कि अंश याद है तुम्हे हमारा बचपन कितना मजे करते थे,तुम्हे देख के नही लग रहा की तुम वही अंश हो..??
उसने मुझे तिरछी नजर से देखा और फिर कुछ सोच के बोला,13 साल बाद मिले है वो भी शादी के लिए,हम एक दूसरे को एक दूसरे से जुड़े लोगो को जानते नही,रिस्ता कैसे निभाएंगे,,मैं कुछ नही बोली शायद वो भी इसके आगे बात नही करना चाहता था तो कुछ पूछा नही...!!
उसने फिर कहा तुम्हे याद है वो कॉफी शॉप और हमारा कॉफी पीने की आदत,और फिर हमदोनो हँस पड़े,जब भी हम नाराज होते या उदास होते तो उस कॉफी कैफे में एक कप कॉफी पीने चले जाते,आधी रात गये हमारा छत पर साथ बैठ कॉफी पीना कितना अच्छा था ना वो दिन....ये कहते कहते अंश की आँखे नम हो गयी..!!
मैं बस उसे देख रही थी और ये ख्याल आया रहा था कि उसमें मेरी दोस्ती बाकि है फिर उसने कहा कि
वो मुझसे शादी इसलिये करने को तैयार है क्योंकि दादा जी ऐसा चाहते है,पर हम एक दूसरे को समझने की कोसिस करेगे शादी तक..अगर ना समझ पाए तो शादी नही करेगें..!
कुछ दिनों से मेरे घर का एक अलग ही माहौल है ,मेरे घर में अंश और मेरी शादी की बात चल रही है,मेरे दादा जी की ये आखिरी इच्छा थी की मैं उनके दोस्त के पोते से शादी करू,जिसे अब मेरे पिताजी पूरा करने में लगे है सब खुश है घर में,
और मैं...???
मैं सोच रही थी मैं खुश हूं या नही इस रिस्ते से,हर लड़की एक ही सपना देखती है कि उसका राजकुमार उसे पलको पर बिठाये,,क्या अंश मेरा सपनो वाला राजकुमार है..? क्या वो मुझे खुश रखेगा या फिर क्या वो मेरे सपनों को अपने पंख देगा...!!
मोबाईल की रिंग बजी और मेरा ध्यान सपनो के राजकुमार से मोबाईल रिंग पर आ गया,अंश की कॉल आ रही थी...मैंने लम्बी साँस भरी और कॉल रिसीव की,,,
Hello अंश...मैंने कहा...
Hi अंशिका कैसी हो...???
ठीक हु ये कहते हुए मैंने अपनी आगे वाली लाइन भी बोल दी....
बस आ ही रही हु एक कप कॉफी के लिए...!
और कॉल कट कर दी...
कहानी का अगला पार्ट सुनाऊँगी एक कप कॉफी पार्ट - 2 में..