एक लड़की है वो...
बहुत घबराती है ।
दिन के उजाले मे मुस्कान लिए
रात के अँधेरे मे आंसू बहाती है।
बाहर से जितनी सख्त दिखती है
भीतर से उतना हि डरती है वो
वैसे तो जरुरत नहीं उसे किसी सहारे कि
लेकिन अंतर मन से एक सहारा मांगती है वो।
हट दे कोई इन झूठी परतो को उसके दिल से
और भार ले सुकून के पनाह मे अपने बाहों के दरमियाँ
एक लड़की है वो नक इतना हि तो चाहती है।