एक दिन आया जब दुनिया का महासम्मेलन,
जहां इकट्ठे हुए थे शक्तिशाली देशों के प्रतिनिधान।
ग-20 नामक यह सम्मेलन, एक नयी पहचान,
विश्व में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण, ऐसा मान।
यहां मिले थे देशों के महानतम नेता,
विचार-विमर्श की थी महत्त्वपूर्ण मीटिंग की सेटा।
संघर्षों को सुलझाने का था यह मंच,
समस्याओं को हल करने का था यह संग्राम।
संघर्षों के पार होने की थी यही ख्वाहिश,
सुलझे थे संकटों के अटपटे विवादों की राशि।
आर्थिक मंदी, वायु परिवर्तन, असमानता का सवाल,
हर देश को था इनमें खुद को ढालने का विचार।
एकता का संकल्प लिया था यहां देशों ने,
सहयोग की थी प्रतिज्ञा दी हरोंने।
युगपुरुषों के सम्मान को किया था समर्पित,
समस्याओं के समाधान को मान्यता दी थी सबने।
भारत की संगठना की थी यहां प्रशंसा,
आत्मनिर्भरता की दी थी मिसाल सबको संक्षिप्त में।
सुंदरता से सजी थी हर जगह यह सम्मेलन,
कायम रहे यह संघर्षों का विजयी ध्येय।
जी-20 सम्मेलन के बाद था विश्व का नया मोर,
एकता और सहयोग के बने थे संकल्प नये सपनों के।
देशों की संगठना हुई थी मजबूत, अपार,
यही है जी-20 सम्मेलन की कहानी, अनुपम और अद्वितीय।