भारतीय पौराणिक धार्मिक परंपरा में विश्वकर्मा पूजा एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पूजा भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है, जिन्होंने जगत के सर्वसमग्र निर्माण में अपनी विशेष भूमिका निभाई। इस लेख में, हम विश्वकर्मा पूजा के महत्व, तिथि, और इसका आयोजन कैसे किया जाता है, इन सब विषयों पर चर्चा करेंगे।
**विश्वकर्मा पूजा का महत्व:**
विश्वकर्मा पूजा भगवान विश्वकर्मा को समर्पित होता है, जिन्होंने दिव्य शिल्पकला में अपनी अद्वितीय कौशल से जगत को सौंदर्यपूर्ण और उपयोगी चीजें दी। उन्होंने सूर्य मंदिर, द्वारका नगरी, और महाभारत के द्वार्का नगर की निर्माण किया था।
**तिथि:**
विश्वकर्मा पूजा चैत्र मास के बड़े पूर्णिमा को मनाई जाती है, जिसे विशेष रूप से "विश्वकर्मा जयंती" के नाम से जाना जाता है।
**पूजा का आयोजन:**
विश्वकर्मा पूजा के दिन, शिल्पकार, उद्योगपति, और कारीगर अपने कामशाला और कार्यस्थल को सजाते हैं और उन्हें विशेष रूप से सजाकर भगवान विश्वकर्मा को पूजते हैं। उन्हें पूजा और आरती के बाद प्रसाद भोगने का अवसर मिलता है। यह त्योहार भगवान विश्वकर्मा की आराधना के लिए नहीं होता है, बल्कि यह उन कामकाजी लोगों को समर्पित होता है जिन्होंने अपने कौशल से जीवन को सुखमय बनाने का प्रयास किया है।
विश्वकर्मा पूजा भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह समृद्धि, समृद्धि, और सौभाग्य की प्राप्ति की कामना के साथ मनाई जाती है। यह एक साझा और आदर्शिक त्योहार है जो सामाजिक सांस्कृतिक एकता को प्रमोट करता है और कामकाजी लोगों के योगदान को महत्वपूर्ण बनाता है।