एक समय की बात है, जब भूमि पर अधर्म और अन्याय का राज्य था। मनुष्यों को दुःख और पीड़ा से भरा जीवन जीना पड़ रहा था। उनकी प्रार्थनाओं को सुनकर, देवताओं ने सोचा कि अब इस दुःख से मुक्ति पाने का समय आ गया है।
तब भगवान् विष्णु के अवतार के रूप में, उनकी पत्नी देवी लक्ष्मी के साथ ही, भूमि पर प्रकट हुए। वे कृष्णा कहलाएं, जिनके मनोहारी स्वरूप को देखकर सबके हृदय में प्रेम की भावना जाग्रत हो गई।
कृष्णा ने अपने बाल स्वरूप में वृंदावन में नंद यशोदा के पास वनवास बिताया। वहां उन्होंने अपनी लीलाओं से सबको प्रभावित किया। उनके साथी गोपियाँ, उनकी मधुर मुरली की ध्वनि, उनकी नाटकीय रासलीला, सबको प्रेम की अनुभूति कराती थीं।
कृष्णा के प्रेम की कहानियाँ आज भी हमें प्रेरित करती हैं। उनकी बाल-लीलाएं, माखन चोरी, गोपियों के संग में नृत्य, सभी को प्रेम का संदेश देती हैं।
कृष्णा का महाभारत युद्ध में भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया, जिसने मानवता को जीवन के मार्ग पर लाने में मदद की।
कृष्णा की मृत्यु के बाद, उनके प्रेम और लीलाओं की कथाएं हमेशा सुनाई जाती रहीं। आज भी हम उनके प्रेम को स्मरण करते हैं और उनके पावन नाम का जाप करते हैं।
यही हैं कृष्णा जी की कहानी, जो हमें प्रेम, समर्पण, सहानुभूति, और धर्म का संदेश देती है। हमें सदैव उनके प्रतिमा में, मन, वचन, और कर्म से उनकी उपासना करनी चाहिए।