*गांधी_जयंती’ व ‘#विश्व_शाकाहार_दिवस’ पर कवि गोष्ठी हुई* :-
‘ *म.प्र.#लेखक_संघ_टीकमगढ़ का 304वाँ साहित्यिक अनुष्ठान:-*
#टीकमगढ़// दिनांक-1-10-2023 को नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 304वीं ‘कवि गोष्ठी’‘गांधी जयंती व विश्व शाकाहार दिवस पर केन्द्रित #आकांक्षा_पब्लिक_स्कछल_टीकमगढ़ ’ में आयोजित की गयी है।
कवि गोष्ठी की अध्यक्षता बुजुर्ग शायर हाजी ज़फ़रउल्ला खां ‘जफ़र’ ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ गीतकार शोभाराम दांगी ‘इंदु’ (नदनवारा) रहे,
विषिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ कवि यदुकुल नंदन खरे (बल्देवगढ़) रहे।
कवि गोष्ठी का शुभारंभ कौशल किशोर चतुर्वेदी ने सरस्वती बंदना के पश्चात् यह रचना सुनायी-
करती है फरियाद ये धरती कई हजारों साल।
तब होता है पैदा कोई गांधी जैसा लाल।।
मड़ाबरा़ के गोविन्द्र सिंह गिदवाहा ने सुनाया -
राष्ट्र महात्मा गांधी को,जन-जन करता है नमन।
लहराता तिरंगा देखकर,पुलकित होता है तन मन।।
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने शाकाहार पर दोहे सुनाएँ -
रहे निरोगी वे सदा, जो करते शाकाहार।
रोग पास आये नहीं, खुशी रहे परिवार।।
बल्देवगढ़ के प्रमोद मिश्रा ने पेरोड़ी गीत पढ़ा-
जहाँ जाति धर्म पर लोग लड़े,
निज माता-पिता की ध्यान नहीं..।
नदनवारा के शोभाराम दंागी ने पेरोड़ी सुनाई-
पल-पल में मुस्कान अगर है सुंदर गौरव जान।
एक तू ही मुस्कान जगत में, मुस्कान बिना हैरान।।
बल्देवगढ़ के यदुकुल नंदन खरे ने रचना सुनायी-
यह चारों ओर पड़े कूड़े-कर्कट के ढे़र,
गलियों और चैराहों तक में दिखाई देते है।
रविन्द्र यादव पलेरा ने कविता सुनाई-
हिंदू इसाई सिख,मुस्लामान नहीं हो,
तुम कुछ भी नहीं हो, अगर इंसान नहीं हो।।
रामगढ़ के रामसहाय राय ने कविता पढी-
अहिंसा का आज पालन नहीं हो रहा है।
आज इंसा को ये क्या हो रहा है।।
हाजी ज़फ़रउल्ला खां‘जफ़र ने ग़ज़ल सुनायी-
माँगे दुआ मालिक से हम, खुशहाल हो मेरा वतन।
सब कुछ हमें देती जमीं, सबकी मदद करता गगन।।
बल्देवगढ़ के ब्रजमोहन दुवे ने रचना पढ़ी-
ज्ञानी सुनो लगाकर ध्यान, राजा रानी बने किसान।।
बिना बीज के पैदा कर दी है संतान।।
सियाराम अहिरवार ने कविता सुनाई-
बेटी को अभिशाप न समझो, बेटी भाग्य विधाता है।
एस.आर. सरल ने सुनाया-
पढ़त अहिंसा रोज है,
सुनत अहिंसा रोज।
उपदेशक ही बन रहे,अब समाज पर बोज।।
द्वारिका प्रसाद शुक्ला ने कविता पढ़ी-
सत्य अहिंसा से मिला हमको यह जनतंत्र।
गौरों को झुकना पड़ा फूँका ऐसा मंत्र।
अनवर खान साहिल ने ग़ज़ल पढ़ी-
उन्हें दो रोटी भारी लग रही थीं,
वो अपनी माँ को बाहर छौड़ आए थे
वीरेन्द्र चंसौरिया ने गीत पढ़ा-
राम नाम का सुमिरन कर, जीवन पर लगा ले रे मन।।
कमलेश सेन ने कविता सुनाई-
जीवन के आदर्शो में पिता, मेरे संघर्षो में।
तन से छाप छलकती उनकी संसो के इन तारों में।।
ओमप्रकाश तिवारी कक्का’ ने पढ़ा-
कक्का जीवन में सदा बोलो मीठे बोल,
जीभ हौंठ एकाग्र कर पहले लो वो तौल।।
विजय मेहरा ने ‘समझदार आदमी’ व्यंग्य रचना पढ़ी।
इनके अलावा प्रभुदयाल श्रीवास्तव,बिशाल कड़ा,स्वप्निल तिवारी, शालिनी सिंह,दयाली विश्वकर्मा ,अजीत सिंह आदि ने भी रचनाएँ सुनाई।
कविगोष्ठी का संचालन कमलेश सेन ने किया
तथा सभी का आभार प्रदर्शन वीरेन्द्र चंसौरिया ने किया।
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#रपट
# * राजीव_नामदेव ‘#राना_लिधौरी’*
संपादक ‘#आकांक्षा’ (हिन्दी) पत्रिका
संपादक ‘#अनुश्रुति’ (बुन्देली) पत्रिका
अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
अध्यक्ष- #वनमाली सृजन पीठ, टीकमगढ़
कोषाध्यक्ष-श्री वीरेन्द्र केशव साहित्य परिषद्
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)
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