मैंने देखी है गहराई दिल की, अनुमान ना लगा पाया था मैं,घाव इतनी गहराई तक लगा कैसे;दिल तो बडा छोटा सा लेकिन,उसमें चोंट इतनी गहरी क्यों हैं,इतने पर भी दिल से आह तक ना निकली,सब कुछ छिपा कर रखा ,घाव गहरा होने पर भी ,सामने टीस ना उभरने दी इसने;कभी कभी इस दिल ने धोखा भी खाया,उफ़