अनुमान ना लगा पाया था मैं,
घाव इतनी गहराई तक लगा कैसे;
दिल तो बडा छोटा सा लेकिन,
उसमें चोंट इतनी गहरी क्यों हैं,
इतने पर भी दिल से आह तक ना निकली,
सब कुछ छिपा कर रखा ,
घाव गहरा होने पर भी ,
सामने टीस ना उभरने दी इसने;
कभी कभी इस दिल ने धोखा भी खाया,
उफ़ तक ना किया,है दिल फिर से जवां हुआ।
दिल की गहराई ,मै आज भी नाप ना पाया;
आखिर इसकी गहराई में,क्या क्या छिपा है;
में जान ना पाया,इसकी गहराई मैं आज भी नाप ना पाया।