shabd-logo

ग़ज़ल

26 नवम्बर 2022

11 बार देखा गया 11

तेरा ग़म भी क्या क्या कर के बैठा है
सारी  खुशियां  बेवा  कर के बैठा है

शह्र जलाने वाला तो इक मोहरा था
कोई  है  जो  पर्दा  कर  के  बैठा  है

इक लड़की ने हंस के तुझ को क्या देखा
तू  तो  उसका  पीछा  कर  के  बैठा  है

तेरा मज़हब अम्न की ख़ातिर आया था
लेकिन  तू  तो  दंगा  कर  के   बैठा   है

                   मोनिस फराज़

Monis faraz की अन्य किताबें

1

पछता रहा हूँ आप को हालात बता के मैं

26 नवम्बर 2022
0
0
0

दिल पर तुम्हारे नाम का क़श्क़ा लगा के मैं मजमे  से  दूर  बैठा  हूँ सहारा में आ के मैं मुझ  को  ये डर  कि  मैं कहीं वादा न तोड़ दूँ निकला हूँ घर से साग़र -ओ- मीना उठा के मैं अब क्या बताऊँ आप से क्या चा

2

ग़ज़ल

26 नवम्बर 2022
0
0
0

तेरा ग़म भी क्या क्या कर के बैठा है सारी  खुशियां  बेवा  कर के बैठा है शह्र जलाने वाला तो इक मोहरा था कोई  है  जो  पर्दा  कर  के  बैठा  है इक लड़की ने हंस के तुझ को क्या देखा तू  तो  उसका  पीछा  कर  क

3

ग़ज़ल

26 नवम्बर 2022
0
0
0

रुख़ से पर्दा जो उठा रक्खा है तौबा तौबा तू ने हंगामा मचा रक्खा है तौबा तौबा एक तो आँखें तिरी यार हैं ख़ंजर जैसी उस पे काजल भी लगा रक्खा है तौबा तौबा शैख़ जी आप को आख़िर ये हुआ क्या है कहो जाम हाथो

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए