तेरा ग़म भी क्या क्या कर के बैठा है
सारी खुशियां बेवा कर के बैठा है
शह्र जलाने वाला तो इक मोहरा था
कोई है जो पर्दा कर के बैठा है
इक लड़की ने हंस के तुझ को क्या देखा
तू तो उसका पीछा कर के बैठा है
तेरा मज़हब अम्न की ख़ातिर आया था
लेकिन तू तो दंगा कर के बैठा है
मोनिस फराज़