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घटिया-मटिया (भाग-२)

14 मार्च 2024

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मुखियाजी अपनी बातें आगे बढ़ाते हुए कहते हैं - महात्मा ने बताया कि, मटिया साधक कुछ काले टोटके और काली साधनाओं के यंत्र बनाते हैं उन्हें पूरी तरह जला दो तो इस शैतान से छुटकारा मिल सकता है पर एसे लोग फिर से साधना फिर से काले टोटके और विद्या से नाटे शैतान को बार-बार बुला सकते है ! उस समय गाँव वाले काली टोटके वाले यंत्रो और सामानों को जलाना तो चाहते थे पर डर के मारे कुछ नहीं कर पा रहे थे ! एक दिन उस इंसान ने गांव की एक महिला से जबरदस्ती करने की कोशिश की पर इस कोशिश का नतीजा वो नही हुआ जो वह चाहता था, बल्कि उस महिला की मौत हो गई ! इसे कुछ लोगों ने देख लिया और गांववालों को बता दिया ! इससे गांववाले इतने गुस्से से भर गए कि उनके अंदर का डर मटिया के लिए खत्म हो गया और  पुरे गांव ने मिलकर उस आदमी को मार डाला और उसकी काली मटिया साधना वाले इस पूरे घर को आग के हवाले कर दिया !

बीरसिंह - वैसे कौन था वो सुवर इंसान ? मुखिया कहते है, इस घर का मालिक मंडल का दादा !

सियाराम - भैया ऐसा कैसे हो सकता है ? क्या मंडल के दादा मारे जाने के बाद भी जिंदा हो गए ? क्या काली साधना से वो अमर हो गए ?

मुखिया - नहीं मंडल का दादा तो मारा गया पर उसकी काली मटिया साधना जिंदा है ! तुम्हें पता है ना हमारे बचपन में भी कुछ-कुछ किस्से मटिया वाले थे, पर उन मटिया ने हमें कभी किसी तरह परेशान नहीं किया ! ये सब पिछले 3-4 सालो से हो रहा है मतलब इसकी साधना अब भी की जा रही है, इस तरह की ये मटिया अब इंसानों की जान भी लेने लगे है, मतलब बिल्कुल 40 साल पहले घटिया मटिया की तरह !

बीरसिंह - तो फिर हमें देर नहीं करनी चाहिए अभी के अभी इस खंडहर में जला देते हैं !

मुखिया - ऐसी बेवकुफी मत करो ! जब तक साधक जिंदा है घटिया-मटिया भी जिंदा रहेगा ! सबसे पहले साधक को पकड़ना है ताकि वो कभी काली मटिया साधना ना कर सके !

बीरसिंह - काका सोचना क्या है, चलो जाके मंडल को पकड़ लेते हैं !

मुखिया - बिना किसी प्रमाण के हम किसी को भी नहीं पकड़ सकते ! अगर हमने गलत इंसान को पकड़ा तो जो  मटिया साधक है वो कभी भी पकड़ा नहीं जाएगा !

इस तरह मुखिया ने मंडल के घर पर पंचो को दिन रात निगरानी करने के लिए बोल दिया !

कुछ दिनों की निगरानी के बाद एक रात कुछ कुत्ते फिर से भौंकने लगे और एक घर के छप्पर की ओर देख कर भौंकने लगे, निगरानी कर रहे लोग छिप कर ये सब देख रहे थे ! उन्होंने देखा कि, एक घर के छप्पर पर वही नाटा शैतान मतलब मटिया बैठा हुआ था ! मटिया बड़े गुस्से से कुत्तों को घूर रहा था ! थोड़ी देर बाद वो मटिया बड़ी तेजी से उछलते हुए वहां से दौड़कर खंडहर में चल दिया (वही जहां काली साधना के समान पड़े थे) ! बीरसिंह और सुमेर दोनों झाड़ू लेकर उस खंडहर के बाहर खड़े थे और बाकी के पंच, मुखिया और बाबा मंडल के घर के बाहर छिपकर बैठे हुए थे ! मटिया को शायद पता चल चुका था कि खंडहर के बाहर कुछ लोग झाड़ू लेकर खड़े हैं, इसीलिये वो 'के-के' की आवाज निकाल कर खूब शोर करने लगा और कब सुमेर के चेहरे पर खरोच मार कर भाग गया पता ही ना चला ! सुमेर और बीरसिंह उसका पिछा करते हुए बाकी के लोगो के पास पहुचे !

तब सबने देखा कि, वो मटिया मंडल के घर में एक खुली खिड़की से अंदर घुस गया ! पूरी रात सारे लोग छिपकर मंडल के घर के बाहर ही खड़े रहे, सुबह 5 बजे मंडल की पत्नी कचरा फेंकने घर के बाहर आयी ! मुखियाजी उसके पास जा कर कहने लगे बहू रात में कोई दिक्कत तो नहीं हुई ? मटिया ने तुम्हें परेशान तो नहीं किया ?

मंडल की पत्नी लड़खड़ाते स्वर में कहने लगी न न न ना.. नहीं जेठजी मटिया हमारे घर नहीं आया था !

मुखिया -अरे रे घबराओ मत मैं तुम्हें डराना नहीं चाहता था! ठीक है अपना और घर का ध्यान रखना आज कल मटिया बहुत खतरनाक हो गया है !

मंडल की पत्नी - जी ....जी !

मुखिया - ठीक है फिर अपना काम करो !

मंडल की पत्नी जी बोल कर कागज़ में लपेटे हुवे कचरे को घर से थोड़ी दूर जा कर फेंक देती है !

मंडल की पत्नी जैसे ही घर के अंदर जाती है, वैसे ही मुखिया, सियाराम और बीरसिंह उस कागज में लपेटे हुए कचरे को लकड़ी की सहायता से हटाते हैं, तो वो कुछ और नहीं बल्कि इंसानी मल होता है ! अब बाते साफ हो चुकी थी कि, मटिया के साधक कोई और नहीं बल्कि मंडल ही होगा !

मुखिया ने गांव के हर घर के बड़ो को बैठक में बुलाया और सबको इस घाटे की जानकारी दी ! गाँववालों बहुत ही ज्यादा गुस्से में मंडल और उसके परिवार को मारने और उसके घर को जलाने की बात कहने लगे ! मुखिया ने सबको शांत किया और आगे क्या करना है ये बताया ! बैठक के तुरन्त बाद ही मुखिया और सियाराम पंचो के साथ मंडल के घर पर गए और रात में जो मटिया मंडल के घर में घुसा था,उसके बारे में पूछने लगे !

मंडल ने साफ साफ किसी मटिया के रात में आने की बात नकार दी ! मुखिया ने पूछा कि ठीक है मटिया रात में नहीं आया पर तुम्हारी पत्नी सुबह इंसानी मल फेंकने क्यों गई थी ? यहां तो सिर्फ तुम दोनों ही रहते हो, और तुम्हारा कोई बच्चा भी नही है ! ये मल तुम्हारे घर में कहां से आया ? मंडल पहले तो साफ साफ मना कर रहा था पर सियाराम के गुस्से और दबाव में कहने लगा कि मुझे पता नहीं था कि, मेरी पत्नी सुबह मल फेंकने गई थी ! अगर मटिया मल हमारे घर ला कर फेंकता तो मेरी पत्नी जरूर बताती ! ये सारी बाते मंडल की पत्नी सुन रही थी ! बीच में आकर कहने लगी जी, मटिया तो दिखा नहीं था पर सवेरे मल देखा तो मैं समझ गई थी कोई मटिया आया था और उसे कुछ ना मिला तो मल फेंक कर चला गया !

सियाराम - अच्छा इतने बड़े घर में सिर्फ 2 लोग रहते हो कई कोठियों में अनाज रखा है ! पैसे जेवर भी होंगे पर मटिया को यहां कुछ नहीं मिला और वो मल फेंक कर चला गयाक्ष!

मंडल - जी, हमें क्या पता मटिया क्या करने आया था ? उसने मल फेंका और चला गया !

मुखिया - ठीक है मुझे तुम्हारे घर की तलाश लेनी है ।

मंडल - नहीं, जब हमने कुछ गलत नहीं किया तो आप तलाशी नहीं कर सकते !

मुखिया - अगर तुमने कोई गलती नहीं की है तो ततलाशी तो होनी ही चाहिए डरना क्यों ?

एसा कहते हुवे मुखिया मंडल के घर के अंदर जाने लगते हैं! सियाराम बीच में आ रहे मंडल का हाथ पकड़ कर उसे किनारे कर देते हैं ! दूसरे तरफ मंडल की पत्नी का रोना शुरू हो जाता है !

मुखिया मंडल के घर में प्रवेश करते हैं, अंदर जाते ही इतना ज्यादा गंदगी और बदबू फेला हुआ था कि मुखिया को उल्टी आने वाली ही थी ! किसी तरह उन्होने अपने पास रखे कपडे़ (गमछे) से अपना नाक ढंक लिया और सीधे रसोई घर में जा कर खाने के बर्तनों को खोल कर देखते हैं ! उन बार्तनो में खाना तो था पर साथ ही साथ मल भी मिला हुआ था ! जिससे पता लग गया कि मंडल ही मटिया का साधक है (जब भी मटिया चोरी करने में नाकामयाब होता है और उसे कुछ नहीं मिलता है तो वह इंसानी मालो को अपने साधक के खाने में डाल देता है) !

16 कामरो के इस घर में एक कमरे से दूसरे कमरे की छानबिन करते हुवे मुखिया और बाबा धीरे-धीरे मुआयना करने लगते हैं ! पीछे-पीछे सारे पांच भी आ जाते हैं ! बाहर मंडल की पत्नी का रोना जारी था, उस पर वो गलिया भी निकलने लगी ! मंडल बहुत दुखी था ! बाबा और मुखिया सबसे आखिर में घर के सबसे अँधेरे कमरे में जाते हैं जहाँ पूरा घनघोर अँधेरा छाया था ! सुबह के 10 बजे घर में रात जैसा अँधेरा तो होता नहीं पर इनका कामरा ऐसे जगह पर था जहाँ सूर्य की एक भी किरण नहीं दिख रही थी ! लालटेन की रोशनी में देखने पर बाबा और मुखिया दोनों के पांव तले जमीन ही सरक गई !

उन्होंने देखा कि काली साधना के यंत्र और बहुत सी चीज़ उस घर में रा्खी हुई है ! मांस के चिथड़े, खून से सने कपड़े यहीं पड़े हुए हैं ! 2 काले रंग की लम्बी मटकिया भी मांस के चिथड़े और खून से भरे थे ! मटकी के बाहर लाल स्याही से कुछ आकृति उकेरी गथी थी! थोड़ी ही देर में मंडल एक लंबी छुरी पकड़ कर मुखिया पर वार करता है पर उसका ये वार बाबा रोक लेते हैं ! पीछे से बीरसिंह भी दौड़कर अंदर आता है और मंडल को पकड़ लेता है ! ये सारी चीजें देखने के बाद मुखिया और सारे पंच बाहर आ जाते हैं !

मंडल और उनकी पत्नी दोनों काफी ज्यादा रोने लगते हैं ! मंडल अपनी पत्नी को गुस्से से चिल्लाने लगता है कि लो बुरे काम का बुरा नतीजा ! मुखिया और सारे के सारे लोग मंडल के घर के बाहर बैठे हैं ! मंडल का हाथ बंधा हुआ है, और उसकी पत्नी भी उसी के पास सिर झुका के बैठी हुई है! सियाराम एक जोर का तमाचा जड़ देते हैं मंडल के गाल पर और कहते हैं, अब बता सारी कहानी !

मंडल रोते हुए कहना शुरू करता है - मेरे दादा ने अपनी मौत से पहले पूरी साधना मेरे पिता को सिखा दी थी पर उन्होने कभी इसका गलत इस्तमाल नहीं किया, हमारे यहां तब भी मटिया पिताजी ने अपनी साधना से रखा हुआ था ! उन्होने इसे ज्यादा ख़तरनाक नहीं बनाया था वो जानते थे कि ऐसा करना सही नहीं होगा ! मेरी शादी के बाद उन्होंने मुझे कई बार ये काली साधना सीखने को कहा पर मैंने हमेशा मना किया ! इसके बाद उन्होंने मेरी पत्नी को इसकी साधिका बना दिया ! लालच में आकर उसने भी इस साधना को पूरी तरह से सीख लिया, यहां तक ​​कि सबसे खतरनाक साधना भी, जिसका फल हमें कभी ना कभी भुगतान ही था! इसके आगे मंडल कहता है जब से ये बाबा यहां आया है तब से ही मटिया लगातार नाकामयाब हो रहा था ! मुखिया हंसते हुए कहते हैं कि ये कोई बाबा नहीं है, ये मेरे मित्र हैं जो पुलिस में हैं ! पुलिस भी गांव में हो रही घाटनाओ से परेशान थी और

हम भी उस मटिया की कहर से बाहर नहीं आ पा रहे थे तो मैंने और सियाराम ने ये तरकीब निकाली की, बाबा के नाम से हम पुलिस को गांव की निगरानी और मटिया की समस्या का हल निकालेंगे और अब सब साफ हो चुका है !

तभी अचानक मंडल की पत्नी पास में पड़ी हुई छुरी उठाती है और अपने गर्दन में चलाती है ! खून की छिटो के बिखरने के साथ ही उसकी पत्नी की मौत हो जाती है ! मंडल को गांव से बाहर निकल दिया जाता है और पुरे घर को आग के हवाले कर दिया जाता है ! 'के-के' की चीख़ पूरे गाँव में गूंजती है और कुछ देर बाद पूरे गाँव में सन्नाटा छा जाता है ! पुरे पांच दिनों बाद उस घर से आग बुझने लगती है और घटिया-मटिया का किस्सा ज्ञानपुर से हमेशा के लिए ख़त्म हो जाता है !

नोट:- हां एक सत्य घाटना है, सिर्फ गांव का नाम और लोगो के नाम बदले गये हैं !

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घटिया-मटिया
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छत्तीसगढ़ ग्रामीण अंचल की एक ऐसी कहानी, जिसमें नाटे शैतानों की बुरी शक्ति ने पूरे गाँव को परेशान कर रखा था !

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