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घूँघट में सजनी

29 अक्टूबर 2021

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💐💐घूँघट में सजनी💐💐


आड़ लगाती घूँघट की

गोरी सबसे नजर बचाती

रूप सलोना है मनभावन

सोचकर मन ही मन शर्माती।


इस घूँघट की आड़ से सजनी

अपने साजन को तरसाती

तांक-झांक से करते साजन

देखकर प्रियतमा मन मुस्काती।


बेबस से प्रियतम घूँघट देखे

सजन की बेचैनी मन को भाती

घूँघट की ओट में प्यारी  दुल्हन

सोच कर साजन कुछ सकुचाती। 


कब साजन घूँघट पट खोलेंगे

मन ही मन में वो अकुलाती

कैसे उनके नैनों के तीर सहूँगी

उर ही उर में बहुत घबराती।


लाज, शर्म,हया में सिकुड़ी

अपना घूँघट और बढ़ाती

प्रेम में डूबी दुल्हन सलोनी

घूँघट से अपनी प्रीत निभाती।।


आशा झा सखी

जबलपुर (मध्यप्रदेश)

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क्या बात है... प्रत्येक पंक्ति हिया को भा गयी।👌👍😊💐

30 अक्टूबर 2021

Shailesh singh

Shailesh singh

बहुत ही खूबसूरत रचना

29 अक्टूबर 2021

Diya Jethwani

Diya Jethwani

Bahut khub

29 अक्टूबर 2021

आशा झा सखी

आशा झा सखी

30 अक्टूबर 2021

सादर आभार हिया जी🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

आशा झा सखी

आशा झा सखी

सादर आभार जी

29 अक्टूबर 2021

Shivansh Shukla

Shivansh Shukla

बहुत खूब 👍👍🤟🤟

29 अक्टूबर 2021

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हिंदी भाषा

15 सितम्बर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">हिंदी हमारी मातृभाषा</span></div><div><span style="font-size: 16

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<div><span style="font-size: 16px;">💐💐बारिश की बूंदें💐💐</span></div><div><span style="font-size:

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घूँघट में सजनी

29 अक्टूबर 2021
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<p>💐💐घूँघट में सजनी💐💐</p> <p><br></p> <p>आड़ लगाती घूँघट की</p> <p>गोरी सबसे नजर बचाती</p> <p>रूप

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