💐💐घूँघट में सजनी💐💐
आड़ लगाती घूँघट की
गोरी सबसे नजर बचाती
रूप सलोना है मनभावन
सोचकर मन ही मन शर्माती।
इस घूँघट की आड़ से सजनी
अपने साजन को तरसाती
तांक-झांक से करते साजन
देखकर प्रियतमा मन मुस्काती।
बेबस से प्रियतम घूँघट देखे
सजन की बेचैनी मन को भाती
घूँघट की ओट में प्यारी दुल्हन
सोच कर साजन कुछ सकुचाती।
कब साजन घूँघट पट खोलेंगे
मन ही मन में वो अकुलाती
कैसे उनके नैनों के तीर सहूँगी
उर ही उर में बहुत घबराती।
लाज, शर्म,हया में सिकुड़ी
अपना घूँघट और बढ़ाती
प्रेम में डूबी दुल्हन सलोनी
घूँघट से अपनी प्रीत निभाती।।
आशा झा सखी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)