क्षितिज के उस पार
क्षितिज के उस पार,कहीं दूर
,बहुत दूर जब हम मिलेंगे
उम्र के फासले को कर पार
प्रेम की दहलीज पर तब
एक नया पदार्पण होगा
तब न दूर जाने का गम होगा
न पास आने की चाह होगी
तब होगा एक अद्भुत मिलन
आत्मा का आत्मा से,
विलीन हो जाएगी
सारी कामना,सारी वासना
रह जायेगी तो सिर्फ एक आस
तुझे जीने की आस,
तुझमें जीने की साध
तब होगा एक मिलन
एक आस का एक राग से
पूरी हो जाएगी फिर
जीवन की सरगम
बजने लगेगी मधुर स्वरलहरियां
कहीं दूर,क्षितिज के उस पार।।
आशा झा सखी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)