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कृष्ण लीला

19 अगस्त 2022

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वासुदेव श्रीकृष्ण मुरारी की
सुनाऊँ लीला गिरधारी की
असुर कुल एक राजा हुए महान
पाताल राज बलि था उनका नाम
जीते तीनों लोक बजादिया नाम का डंका
कष्टों से त्राहिमाम कर रही जनता
प्रार्थना की सबने मिलकर
विष्णु जी गए फिर वामन बनकर
बलि की सुता थी रत्ना
राजा की प्यारी थी ललना
देखकर वामन का अवतार
उमड़ आया वात्सल्य और प्यार
मन ही मन मान चुकी वो
प्रभु को अपना लड्डू गोपाल
सोच रही माता बनकर लाड़ लड़ाऊँ
कराके दुग्धपान मैं तेरी माता बन जाऊँ
खूब लड़ाऊँ लाड़, प्यार,दुलार
तुझे अपने हृदय से लगाऊँ
प्रभु ने जानी इच्छा 
रत्ना को वर दे डाला
मैं बनूँगा तेरा लल्ला 
तुम मेरी माता बन जाना
कराके स्तनपान अपना नेह लुटाना
ज्यों ही प्रभु ने अपना रूप बढाया
माँग कर तीनों लोक दान में
बलि को पाताल सिमटाया
देखकर क्रोधित हुए फिर
नयनों ने अंगार बरसाया
दे दूँ जहर इस कपूत को
मन में ये विचार आया
मन ही मन रत्ना ने जब ये दोहराया
ये भी होगा पूरा ऐसा वर था पाया
तभी तो बनकर पूतना
कृष्ण को स्तनपान कराया
पूरा करने वरदान माँ का ध्यान रखा
हर कर उसके प्राण
माँ का उद्धार किया।।

आशा झा सखी
जबलपुर( मध्यप्रदेश)

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