दुनिया में कितने तरह के लोग रहते हैं। लेकिन अपना भला व स्वार्थ ही चाहते हैं। लेकिन हम जो सोचते हैं उससे कुछ अलग ही होती हमारी सोच। जो कुछ हम देखते हैं और महसूस करते हैं उस से परे सांसारिक लोग होते हैं। जो दिखाते कुछ और होता कुछ और है।
जैसे- हम अपनी बेटियां या बेटों के लिए अच्छा रिश्ता तलाशने की भरपूर कोशिश करते हैं।
बेटियों व बेटो की शादी के लिये- रईस ,खानदानी बच्चा पढ़ा, लिखा बे सरकारी, नौकर पैसा वाला। मां बाप को यही चाहिए।
1.लेकिन अगर गरीब घर से रिश्ता करना चाहता है तो अमीर घर बालों के लिए मंजूर नहीं होते।
क्योंकि उसमें उस लड़के के लिए खामियां दिखती है।
1. देहज नहीं मिलता है।
2. या गरीब घर की लड़की से शादी करने पर परिवार या कुल की मर्यादा नहीं रहती। यही समझते हैं।
जबकि यही सब बेटों के लिए भी चुनते या स्वीकार करते हैं। या नहीं करते।
हर व्यक्ति अपने रिश्तो, बेटा- बेटी, परिवार ,खानदान और आर्थिक स्थिति मे खामियां(कमी) नहीं देखना चाहते चाहे लड़की वाला हो या लड़के वाला।
लेकिन इससे परेआदमी को अलग ही सोच रखनी जरूरी होती है।
1. जिस परिवार या खानदान के पास पहले से ही आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत है।
उसे मध्यम वर्ग या अपने समाने व्यक्ति से संबंध या रिश्ता बनाने में कोई एतराज नहीं होना चाहिए।
परिणाम- 1.रिश्ता मजबूत रहेगा।
2. रिश्तो में खटास या मतभेद की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी।
-क्योंकि ज्यादातर रिश्ते-
ज्यादातर रिश्ते अपनों से बड़े लोगों के साथ बनाने से रिश्तो में मतभेद रहता है। इसलिए ज्यादातर रिश्ते सक्सेज या निभे नहीं पाते।
अधिकतर या 90 प्रतिशत व्यक्ति ऊपरी आवरण या वातावरण की तरफ ज्यादा आकर्षित होता है।
जैसे - गाड़ी ,आलीशान मकान।
लेकिन इसमें भी कुछ खामियां हो सकती है।
उनको यह पता नहीं रहता है । कि उनके कितना पैसा कर्ज है।
या नहीं।
जिन रिश्तो को हम आर्थिक तौर पर देखते हैं। पता नहीं उनकी की स्थिति भविष्य में अपनों से ज्यादा सुधर सकती है। या हो सकती है।
और जिन रिश्तो की हम ज्यादातर आर्थिक तौर पर मानते हैं पता नहीं भविष्य में उनकी स्थिति नाजुक हो जाए।
समय एक जैसा नहीं रहता । समय बड़ा बलवान
जबकि यह देखा गया कि रंक से राजा, राजा से रंक बनते हुए देखें।