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BEYOND THE TRUTH( तीसरी आंख)

14 अगस्त 2022

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संसार एक जंगल के समान यहा हर तरह जानवर निवास करते हैं ।कोई शाहांकारी तो कोई मांसाहारी। कोई ढंक से चोट करता है ।तो कोई चोचं  से चोट करता है। कोई पीछे से वार करता है। तो कोई आगे से वार करता है। किसी का जहर चढ़ता है, तो किसी का जहर उतरता हे। कोई स्वयं की मौत मरता है। तो कोई दूसरे के  द्वारा मारा जाता है । कोई अपनों से बेहभीत हे तो कोई दूसरों से । कभी अपने अपनों को नहीं समझ पाते तो कभी दूसरे दूसरों को नहीं समझ पाते।

मनुष्य जंगली जानवरों से बेहभीत नही जितना की इंसान से। अपने को अपनों की बात प्यारी नहीं लगती जबकि दूसरे की सही।
शराब कड़ीं लगती है। लेकिन आंख बंद कर पी ली जाती है। जो तन, मन, धन का नुकसान करती है।
हमारे देश में तंबाकू युक्त धूम्रपान या एल्कोहल आदि के पाऊस या डिब्बा मैं लिखा होता है कि- यह आप की मौत का कारण बन सकते हैं। लेकिन उनको भी बड़े शौक से खाते या पीते हैं।  जिससे आर्थिक सामाजिक गिरावट आती है।
जबकि दूध मीठा और पौष्टिक लगता है। लेकिन पीने से परहेज करते हैं। कोई मनुष्य  दूसरे के सामने सही तरीके से पेश आता है। या दूसरे की बात जल्दी मान जाता है। या फिर दूसरा गलत है ।लेकिन गलत की तरह व्यवहार नहीं करता।
उसको दूसरा मुर्ख और बेवकूफ ही समझते हे।
या फिर कहे की यह कुछ नहीं कर पायेगा। इसके साथ ठगी या बेईमानी की जा सकती है।
कोई मनुष्य खुद को अमर समझने की भूल भी कर बैठता है। साथ ही अन्याय अत्याचार, अनीति के रास्ते चलने लगता है। जब की किसी को पता नहीं रहता है। कि किस कारण किस वजह से या कैसे उसकी मृत्यु होगी।
लेकिन यह अटल सत्य है। कि जिस मनुष्य ने या जिस जीव ने धरती पर जन्म दिया उसकी मृत्यु निश्चित है।
लेकिन मनुष्य सभी जीव धारियों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
जिसको जन्म का पता तथा मृत्यु का भय रहता है।
लेकिन मनुष्य सर्वश्रेष्ठ नहीं बन पाता है वह( काम, क्रोध मद, लोभ,) इंद्रियों के अधीन होकर अच्छे बुरे की सोच नहीं पाता  है।
लेकिन जब मृत्यु की बात आती है ।तो अपने बचाव के लिए सब कुछ दाव पर लगा देता है।

जीवन एक रंगमंच है, हम सब एक किरदार है ।जो अच्छा किरदार निभाता है। उसका अस्तित्व रह जाता है।
बाकीयो का उनका अस्तित्व ही गायब हो जाता है।
जैसे कि- अपने दादा जी के पिताजी का क्या नाम था।
जबकि- हम श्री राम जी, के पिता जी का क्या नाम था।
हम सभी यह जानते हैं।
क्योकि जितने महान व्यक्ति हुए हैं उनको आदर मानते हैं। या पुजते हे क्योंकि उनका अस्तित्व वजूद अभी मौजूद है। या फिर उनके द्वारा किए गए कार्य या फिर सदगुण उनके मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित होते हैं।

आज की नई पीढ़ी में कई तरह के नशों का शिकार होती जा रही है। जिससे सोचने समझने बे परखने की या क्या अच्छा क्या बुरा - जहां रामायण, श्रीमद् भागवत गीता जी, प्रवचन का पाठ होता तथा दूसरी तरफ बालाओं का नृत्य गान होता तो ज्यादातर मनुष्य बालोंओ के नृत्य में ही भाग लेगे ।
या लेखन कला की तरफ देखते हैं-
तो प्यार मोहब्बत शायरी, डरावनी कहानियां आदि की तरफ विशेष ध्यान देता है। जबकि- समाज सुधारक लेखन, देश भक्ति, या जिससे समाज,देश, व्यक्ति में सुधार हो।  या अच्छी लेखन कला पड़कर आगे बढ़ सके।
यहा मैं यह कहना चाहता हूं कि सभी व्यक्ति या लेखक एक समान नहीं होते। वो कहते हैं ना-

महापुरुषों के इतिहास को फिर से दोहराना है।
नई पीढ़ी को नया कुछ सबक देकर जाना है।

हमारे देश में बढ़ते हुए कहीं नशे के कारण  हत्या ,आत्महत्या करने पर विबश हे।जिससे संयुक्त परिवार बिखरते हुए नजर आ रहे हैं। साथ ही आपसी मतभेद आपस में बढ़ने से  हर घर में गृह क्लेश या लड़ाई झगड़े देखने को मिल रहे हैं। माता- पिता वृद्धा आश्रम में रहने के लिए मजबूर है या किये जाते हैं। मनुष्य को यह समझना चाहिए कि - अभी हम किसी के बेटे तो किसी रोज हम भी किसी के पिता होंगे।
और वही दिन स्वयं को भी देखना पड़ेगा।

पैसा कमाना और जीवन जीने का तरीका अलग अलग होता है। किसी का दिल दुखा कर या किसी को डरा कर या अनीति पूर्वक कमाया हुआ पैसा कभी नहीं ठहरता
वो कहते हैं ना- अनीति, अन्याय ,अत्याचार ,बेईमानी पूर्वक कमाया हुआ पैसा कभी नहीं ठहरता या कभी सफलता का कारण नहीं बनता। और वही पैसा उसी के विनाश का कारण होता है या किसी दुसरे व्यक्ति से पैसे लेते हैं । उसी तरह ब्याज(सुत) रूप में देना पड़ता है।

बिना किसी कारण मनुष्य या जीव का जन्म नहीं होता।
या उनका अपनी जगह अलगे ही महत्व होता है। जिस तरह जंगल में शेर या अन्य जानवर बिना जंगलों का विनाश हो रहा है। अगर ताकत,या दिमाग की बात की जाए तो जो चींटी सबसे छोटी होती है। लेकिन अपनी एकता( संगठन )की  वजह से अपने से भारी कहीं गुना बड़े जानवर अजगर(सापं) को भी मार देती।

कर्म का महत्व ज्यादा है जन्म का नहीं- जिस प्रकार  मनुष्य किसी भी कुल या परिवार जन्म लेता है। लेकिन उसके कर्म से सही नहीं है तो। जन्म लेने का महत्व नहीं होता।
कोई भी व्यक्ति अच्छे विचार या अच्छी बात स्वीकार नहीं करता क्योंकि- चिकनी -चुपड़ी या स्वयं के ही हित की
आदि हो चुके हैं।

पाठ विशेष- इस पाठ में किसी भी विषय वस्तु, समाज,व्यक्ति, स्त्री की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।
तीसरी आंख (अध्यात्मिक ज्ञान ) को जागृत करना बताया गया है।या अंदर की भावनाओं को के विचार प्रस्तुत किये है।




सद्गुण-सत्कर्म को जीवन आधार बनाना है।
फिर से धरती पर स्वर्ग वे रामराज्य लाना है।

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BEYOND THE TRUTH ( तीसरी आंख)
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मनुष्य जीवन में कई तरह के संघर्ष करने पर ही जिंदगी को आगे बढ़ाया जा सकता है। जीवन जीने का मतलब जीना नहीं है अपितु उच्च विचार, अच्छे आदर्श परिवार को सही स्तर से भरण-पोषण अध्यात्मिक ज्ञान और मर्यादाओ को बनाए रखकर चलना होता हे। तथा माता- पिता की सेवा ।वरना मनुष्य जीवन जीने का कोई महत्व नहीं होता।

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