वर्षा ऋतु के आगमन का सभी जीव, जंतु, पेड़- पौधे और मनुष्य को इंतजार रहता है। क्योंकि गर्मी में झुलसे हुए पेड़- पौधे एवं जीव जंतु नया संचार आ जाता है। धरती मां ने मानो हरि चुनरी धारण कर रखी हो। चारों तरफ पक्षियों के चमकाने और झरणों व नदियों की कल- कल की आवाजों से मानो धरती पर स्वर्ग सा महसूस होता है। साथ ही किसानों को बिना संचित किए खेती एवं आगामी फसल के लिए जल स्तर मे़ कोई कमी ना आये। साथ ही त्योहारों एवं मेलो आना प्रारंभ हो जाता है । जैसे- रक्षाबंधन, तीज, कृष्णा जन्माष्टमी ईद-उल-जुहा, प्रकाश वर्ष, मोहर्रम, ओणम व गणेश पूजा। राजस्थान मैं मेले प्रारंभ- मिति भादवा बुदी १४ से भाद्रपद शुक्ल ११ तक सभी के चेहरे पर हर्ष और उल्लास का माहौल रहता है। राजस्थान के बारां जिले के किसानों को आपत की वर्षा कहर का सामना दिनांक २०/८/२२ से २३/८/२२ पानी रुकने का नाम नहीं लिया। हवा बे भारी पानी ने सारी फसलें बर्बाद कर दी। पार्वती नदी एवं काली सिंध नदियों का जलस्तर इतना बढ़ गया दकि। व्यक्ति, जानवर जाके ताहि रहे गये पास के गांव को अपनी चपेट में ले लिया। जिससे कितने ही मकान ध्वस्त हो गये। कितने ही जानवर एवं व्यक्ति नदियों की चपेट में आने से प्राकृतिक आपदा के काल में समा गए। रेस्क्यू टीम ने हेलीकॉप्टर की मदद से टापू पर फसें लोगों निकाला। और उन लोगों की खुशियां गम में बदल गई।
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