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गीत (माँ )

29 मार्च 2016

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“माँ”

  1.         *गीत*         

जब तक हैं माँ घर के अंदर ,रोशन कोना कोना है |

माँ की ममता से हर घर, हों जाता सोना सोना है ||

                  (१)

माँ की गोद है नर्म बिछौना- लोरी सुन सुन सोता हूँ |

माँ का आँचल जब ना मिलता,मैं जोर जोर से रोता हूँ ||

*जब तक माँ ना आजाती है,सारे घर में रोना है ......

                  (२)

माँ का आँचल इतना बड़ा है ,जैसें नीला है अम्वर |

प्यार का सागर हरदम रहता ,माँ के ह्रदय के अंदर ||

माँ की ममता जिसें मिलजाये,उसका जीवन सोना है ...

 

                  (३)

बचपन होये या होये जवानी,जब चोट हमें लग जाती है |

इधर चोट लगते ही माँ की ,उधर छाती हिल जाती है ||

गीलें में माँ खुद सोती है ,हमकों सूखा देती बिछौना हैं.....

                   (४)

जिस बेटे के पास है माता ,वो सुख की दौलत पाता हैं |

माँ को दुःख पहुँचानें वाला , दर दर की ठोकरें खाता है ||

माँ की ममता के आगें ये , जग सारा लगता बोना हैं.....

                    (५).

माँ के दूध का कर्ज़ कोई, जग में नहीं चुका पाया |

सारे संकट दूर रहें , जब तक थी माँ की छाया ||

जिसने माँ का किया निरादर ,उसकों “घायल” होना है......

********कवि अशोक गौतम”घायल”***************]

     

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