“माँ”
- *गीत*
जब तक हैं माँ घर के अंदर ,रोशन कोना कोना है |
माँ की ममता से हर घर, हों जाता सोना सोना है ||
(१)
माँ की गोद है नर्म बिछौना- लोरी सुन सुन सोता हूँ |
माँ का आँचल जब ना मिलता,मैं जोर जोर से रोता हूँ ||
*जब तक माँ ना आजाती है,सारे घर में रोना है ......
(२)
माँ का आँचल इतना बड़ा है ,जैसें नीला है अम्वर |
प्यार का सागर हरदम रहता ,माँ के ह्रदय के अंदर ||
माँ की ममता जिसें मिलजाये,उसका जीवन सोना है ...
(३)
बचपन होये या होये जवानी,जब चोट हमें लग जाती है |
इधर चोट लगते ही माँ की ,उधर छाती हिल जाती है ||
गीलें में माँ खुद सोती है ,हमकों सूखा देती बिछौना
हैं.....
(४)
जिस बेटे के पास है माता ,वो सुख की दौलत पाता हैं |
माँ को दुःख पहुँचानें वाला , दर दर की ठोकरें खाता है
||
माँ की ममता के आगें ये , जग सारा लगता बोना हैं.....
(५).
माँ के दूध का कर्ज़ कोई, जग में नहीं चुका पाया |
सारे संकट दूर रहें , जब तक थी माँ की छाया ||
जिसने माँ का किया निरादर ,उसकों “घायल” होना है......
********कवि अशोक गौतम”घायल”***************]