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... गुजर गया फिर से

29 जुलाई 2022

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कोई यूं रूठ कर गया, फिर से
एक लम्हा गुजर गया, फिर से

अश्क आंखों से मचल कर गिरते
गर उठ गयीं होती पलकें
कोई यूं मूंद कर गया, फिर से
एक लम्हा गुजर गया, ... 

तमाम शख़्स तो बैठे थे मगर
उठ गयी महफ़िल फिर भी
कोई यूं उठ कर गया, फिर से 
एक लम्हा गुजर गया, ... 

लम्हा-लम्हा बिखर कर टुकड़े हुआ
वक़्त ये कांच की तरह
कोई यूं टूट कर गया, फिर से
एक लम्हा गुजर गया, ... 

मेरा मेरे पास कुछ भी न रहा
उसके सब हारने के बाद भी
कोई यूं लूट कर गया, फिर से
एक लम्हा गुजर गया, ... 

*विपिन कुमार सोनी (c) 
30.06.2000,
28.06.2001
27.06.2005

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रचनाएँ
संकल्प-विकल्प
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