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ग़ुलज़ार नाम से प्रसिद्ध सम्पूर्ण सिंह कालरा हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध गीतकार हैं। इसके अतिरिक्त वे एक कवि, पटकथा लेखक, फ़िल्म निर्देशक नाटककार तथा प्रसिद्ध शायर हैं। उनकी रचनाएँ मुख्यतः हिन्दी, उर्दू तथा पंजाबी में हैं, परन्तु ब्रज भाषा, खड़ी बोली, मारवाड़ी और हरियाणवी में भी इन्होंने रचनायएँ कीं। गुलज़ार को वर्ष २००२ में सहित्य अकादमी पुरस्कार और वर्ष २००४ में भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष २००९ में डैनी बॉयल निर्देशित फ़िल्म स्लम्डाग मिलियनेयर में उनके द्वारा लिखे गीत जय हो के लिये उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीत का ऑस्कर पुरस्कार मिल चुका है। इसी गीत के लिये उन्हें ग्रैमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। गुलज़ार का जन्म 18 अगस्त 1936 को दीना (अब पाकिस्तान में) के एक छोटे से शहर में हुआ था। अंताक्षरी में एक उत्सुक प्रतिभागी और शायरियों के उत्सुक शिक्षार्थी, उनका झुकाव अपने स्कूल के दिनों से ही साहित्य और कविता की ओर था। गुलज़ार बहुत सारे हिंदुस्तानी संगीत भी सुनते थे, विशेष रूप से तार वाले वाद्ययंत्र, जो उनके पड़ोसियों के घरों में प्रचलित होते थे। जब उन्होंने कॉलेज जाना शुरू किया, तो वे संगीत में और भी गहरे डूब गए, और नियमित रूप से रविशंकर और अली अकबर खान जैसे कलाकारों के संगीत कार्यक्रमों में भाग लेते थे। गुलजार को उनके काम के लिए बार-बार सम्मानित किया जा चुका है। इसमें तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार जीतना शामिल है - कोषिश के लिए सर्वश्रेष्ठ पटकथा, मौसम के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और इजाज़त के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार। उन्हें कई बार फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिल चुका है। उन्होंने फिल्म स्लमडॉग मिलियनेयर के लिए सर्वश्रेष्ठ गीत जय हो .. के लिए प्रतिष्ठा अकादमी पुरस्कार जीता। गुलज़ार कविता, लघु कथाए

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 त्रिवेणी

त्रिवेणी

पुस्तक गुलज़ार की कुछ कविताओं का संकलन है। गुलज़ार के गीत, गुलज़ार के संवाद, गुलज़ार की फ़िल्में, सभी में एक गुण है- उनमें कविता का "रस" है क्योंकि मूल रूप से वह एक कवि बने हुए हैं।

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195/-

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पुस्तक गुलज़ार की कुछ कविताओं का संकलन है। गुलज़ार के गीत, गुलज़ार के संवाद, गुलज़ार की फ़िल्में, सभी में एक गुण है- उनमें कविता का "रस" है क्योंकि मूल रूप से वह एक कवि बने हुए हैं।

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मौसम

मौसम

साहित्य में ‘मंजरनामा’ एक मुक्कमिल फार्म है | यह एक ऐसी विधा है जिसे पाठक बिना किसी रूकावट के रचना का मूल आस्वाद लेते हुए पढ़ सकें| लेकिन मंजरनामा का अंदाजे-बयाँ अमूमन मूल राचन से अलग हो जाता है या यूँ कहें कि वह मूल रचना का इंटरप्रेटेशन हो जाता है |

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मौसम

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साहित्य में ‘मंजरनामा’ एक मुक्कमिल फार्म है | यह एक ऐसी विधा है जिसे पाठक बिना किसी रूकावट के रचना का मूल आस्वाद लेते हुए पढ़ सकें| लेकिन मंजरनामा का अंदाजे-बयाँ अमूमन मूल राचन से अलग हो जाता है या यूँ कहें कि वह मूल रचना का इंटरप्रेटेशन हो जाता है |

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 रात पश्मीने की

रात पश्मीने की

पुस्तक गुलज़ार की कुछ कविताओं का संकलन है। गुलज़ार के गीत, गुलज़ार के संवाद, गुलज़ार की फ़िल्में, सभी में एक गुण है- उनमें कविता का "रस" है क्योंकि मूल रूप से वह एक कवि बने रहते हैं।

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 रात पश्मीने की

रात पश्मीने की

पुस्तक गुलज़ार की कुछ कविताओं का संकलन है। गुलज़ार के गीत, गुलज़ार के संवाद, गुलज़ार की फ़िल्में, सभी में एक गुण है- उनमें कविता का "रस" है क्योंकि मूल रूप से वह एक कवि बने रहते हैं।

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 समय का खटोला -  बच्चों की कवितायेँ झूल रहीं हैं

समय का खटोला - बच्चों की कवितायेँ झूल रहीं हैं

महान कवि और कथाकार गुलज़ार के बच्चों के लिए कविताओं और गीतों का एक अद्भुत संग्रह।

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 समय का खटोला -  बच्चों की कवितायेँ झूल रहीं हैं

समय का खटोला - बच्चों की कवितायेँ झूल रहीं हैं

महान कवि और कथाकार गुलज़ार के बच्चों के लिए कविताओं और गीतों का एक अद्भुत संग्रह।

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पन्द्रह पाँच पचहत्तर

पन्द्रह पाँच पचहत्तर

‘पन्द्रह पाँच पचहत्तर' की कविताएँ पंद्रह खंडों में विभाजित हैं और हर खंड में पाँच कविताएँ हैं। गुलज़ार का यह पहला संग्रह है, जिसमें मानवीयकरण का इतना व्यापक प्रयोग किया गया है। यहाँ हर चीज बोलती है-आसमान की कनपट्टियाँ पकने लगती हैं, काल माई खुदा को न

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पन्द्रह पाँच पचहत्तर

पन्द्रह पाँच पचहत्तर

‘पन्द्रह पाँच पचहत्तर' की कविताएँ पंद्रह खंडों में विभाजित हैं और हर खंड में पाँच कविताएँ हैं। गुलज़ार का यह पहला संग्रह है, जिसमें मानवीयकरण का इतना व्यापक प्रयोग किया गया है। यहाँ हर चीज बोलती है-आसमान की कनपट्टियाँ पकने लगती हैं, काल माई खुदा को न

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पाजी नज़्में

पाजी नज़्में

ये गुलज़ार की नज़्मों का मजमूआ है जिससे हमें एक थोड़े अलग मिज़ाज के गुलज़ार को जानने का मौका मिलता है। बहैसियत गीतकार उन्होंने रूमान और ज़ुबान के जिस जादू से हमें नवाज़ा है, उससे भी अलग। ये नज़्में सीधे सवाल न करते हुए भी हमारे सामने सवाल छोड़ती हैं, ऐ

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पाजी नज़्में

पाजी नज़्में

ये गुलज़ार की नज़्मों का मजमूआ है जिससे हमें एक थोड़े अलग मिज़ाज के गुलज़ार को जानने का मौका मिलता है। बहैसियत गीतकार उन्होंने रूमान और ज़ुबान के जिस जादू से हमें नवाज़ा है, उससे भी अलग। ये नज़्में सीधे सवाल न करते हुए भी हमारे सामने सवाल छोड़ती हैं, ऐ

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रावी पार

रावी पार

रवि पार लघु कथाओं का एक संग्रह है जो किसी विशेष विषय का पालन नहीं करता है बल्कि विभिन्न मानवीय भावनाओं को छूता है। इस पुस्तक की कहानियों की जड़ें भारतीय संस्कृति में हैं, लेकिन उन सार्वभौमिक भावनाओं को व्यक्त करती हैं जो क्षेत्रों, जाति और पंथ की सीम

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रावी पार

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रवि पार लघु कथाओं का एक संग्रह है जो किसी विशेष विषय का पालन नहीं करता है बल्कि विभिन्न मानवीय भावनाओं को छूता है। इस पुस्तक की कहानियों की जड़ें भारतीय संस्कृति में हैं, लेकिन उन सार्वभौमिक भावनाओं को व्यक्त करती हैं जो क्षेत्रों, जाति और पंथ की सीम

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पुखराज

पुखराज

पुस्तक गुलज़ार की कुछ कविताओं का संकलन है। गुलज़ार के गीत, गुलज़ार के संवाद, गुलज़ार की फ़िल्में, सभी में एक गुण है- उनमें कविता का "रस" है क्योंकि मूल रूप से वह एक कवि बने हुए हैं।

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पुखराज

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पुस्तक गुलज़ार की कुछ कविताओं का संकलन है। गुलज़ार के गीत, गुलज़ार के संवाद, गुलज़ार की फ़िल्में, सभी में एक गुण है- उनमें कविता का "रस" है क्योंकि मूल रूप से वह एक कवि बने हुए हैं।

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 मिर्ज़ा ग़ालिब

मिर्ज़ा ग़ालिब

पुस्तक गुलज़ार की कुछ कविताओं का संकलन है। गुलज़ार के गीत, गुलज़ार के संवाद, गुलज़ार की फ़िल्में, सभी में एक गुण है- उनमें कविता का "रस" है क्योंकि मूल रूप से वह एक कवि बने रहते हैं।

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 मिर्ज़ा ग़ालिब

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पुस्तक गुलज़ार की कुछ कविताओं का संकलन है। गुलज़ार के गीत, गुलज़ार के संवाद, गुलज़ार की फ़िल्में, सभी में एक गुण है- उनमें कविता का "रस" है क्योंकि मूल रूप से वह एक कवि बने रहते हैं।

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